August 7, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
पीएम आवास निर्माण में लापरवाही: रोजगार सहायक बर्खास्तBSNL की 5G सेवाओं में हो रही देरी पर सांसद बृजमोहन ने उठाया सवालगुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी पर्व पर रायपुर से विशेष ट्रेन की चलाने की मांग9 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण,कई पर था लाखों का इनामEMD में छूट नहीं, ePBG में दोहरी चाल – टेंडर बना गोपाल कंवर का ‘खास पैकेज’ ! घोटाले की फिर शुरुआत?लाखेनगर मैदान में गणेश मूर्तियों की दुकानें लगाने के निर्देशकोरबा जेल से फरार दो बंदी रायगढ़ में गिरफ्तारमंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने चित्रकोट जलप्रपात के अद्भुत सौंदर्य का लिया आनंदस्कूल जा रही छात्रा के साथ रेप, परिचित युवक गिरफ्तारडिप्टी रेंजर को मालवाहक ने रौंदा, मौत
छत्तीसगढ़

सीएम हाउस में हरेली की धूम: पारंपरिक लोक यंत्रों के साथ नाचा का आयोजन

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। मुख्यमंत्री निवास में हरेली तिहार के अवसर पर पारंपरिक लोक यंत्रों की गूंज और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक छटा के साथ सुंदर नाचा का आयोजन किया जा रहा है। पूरा परिसर उत्सवमय वातावरण से सराबोर है। ग्रामीण परिवेश की जीवंत छवि इस सुंदर माहौल में साकार हो गई है। कहीं सुंदर वस्त्रों में सजे राउत नाचा कर रहे कलाकारों की रंगत बिखरी है, तो कहीं आदिवासी कलाकार पारंपरिक लोक नृत्य की मोहक प्रस्तुतियाँ दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ का अद्भुत ग्रामीण लैंडस्केप अपनी संपूर्ण सांस्कृतिक सुंदरता के साथ यहां सजीव रूप में अवतरित हो गया है। विभिन्न प्रकार की लोक धुनों में छत्तीसगढ़ी संगीत का माधुर्य अपने चरम पर है।

राउत नाचा, छत्तीसगढ़ की लोक-संस्कृति का एक प्रसिद्ध पारंपरिक लोकनृत्य है, जो विशेष रूप से दीपावली के अवसर पर गोधन पूजा के दौरान किया जाता है। यह नृत्य विशेषकर यादव समुदाय (ग्वाला/गोपालक वर्ग) द्वारा प्रस्तुत किया जाता है और भगवान श्रीकृष्ण तथा गोधन की आराधना का प्रतीक माना जाता है।

राउत नाचा की परंपरा छत्तीसगढ़ में सदियों पुरानी है। इसे गोवर्धन पूजा से जोड़ा जाता है, जब ग्वाल-बाल भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की स्मृति में यह नृत्य करते हैं। नर्तक रंग-बिरंगे परिधानों में सजते हैं, सिर पर पगड़ी धारण करते हैं और हाथों में लाठी थामे रहते हैं। उनके वस्त्रों को कौड़ियों, घुंघरुओं और अन्य सजावटी वस्तुओं से अलंकृत किया जाता है।

राउत नाचा की प्रस्तुति के दौरान पारंपरिक वाद्य यंत्रों — जैसे ढोल, मांदर और नगाड़ा — का प्रयोग होता है। इनकी थाप पर नर्तक सामूहिक रूप से तालबद्ध होकर नृत्य करते हैं।

यह नृत्य केवल धार्मिक आस्था का ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, श्रम की महत्ता, पशुपालन के योगदान और सांस्कृतिक गौरव का संदेश भी देता है। नाचा के साथ गाए जाने वाले गीतों को ‘राउत गीत’ कहा जाता है, जिनमें धर्म, वीरता, प्रेम और भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन होता है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close