छत्तीसगढ़

सफलता की कहानी : आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के प्रयासों से दीप्ति और दिव्या हुई सुपोषित

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महासमुंद। महिला व बाल विकास विभाग के प्रयासों और एकीकृत बाल विकास परियोजना सरायपाली के आंगनबाड़ी केंद्र केदुवा ब की यह कहानी कुपोषण से जूझते बच्चों के लिए प्रेरणादायक है। इस कहानी में पिता तरुण की दो बेटियां दीप्ति और दिव्या, जो पहले अति गंभीर कुपोषण का शिकार थीं, आज सुपोषित होकर स्वस्थ और निरोगी हो गई हैं।

दीप्ति, जिसकी उम्र 2 वर्ष 10 माह थी, का वजन मात्र 9 किलोग्राम और ऊंचाई 85 सेंटीमीटर थी, जबकि दिव्या, जिसकी उम्र 9 माह थी, का वजन 5.7 किलोग्राम और ऊंचाई 67 सेंटीमीटर थी। इन कम वजन और ऊंचाई के कारण दोनों बच्चियों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित हो रहा था। जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा भूख परीक्षण किया गया, तो यह स्पष्ट हुआ कि उन्हें उचित पोषण की सख्त आवश्यकता है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने माता-पिता के घर बार-बार जाकर उन्हें समझाने का प्रयास किया, ताकि दोनों बच्चियों को पोषण पुनर्वास केंद्र भेजा जा सके। कार्यकर्ता के लगातार प्रयासों के बाद, जुलाई 2024 में दोनों बच्चियों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया। वहाँ 15 दिन तक शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की सतत निगरानी में रहकर, उन्हें पोषण युक्त भोजन, रेडी-टू-इट खाद्य पदार्थ, और घर में तैयार पोषक तत्वों से भरपूर आहार दिया गया। सतत निगरानी और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की नियमित गृह भेंट से आज दीप्ति का वजन 10.9 किलोग्राम और ऊंचाई 88 सेंटीमीटर हो गया है, जबकि दिव्या का वजन 7.4 किलोग्राम और ऊंचाई 72 सेंटीमीटर है। अब दोनों बेटियों के माता-पिता उनके सुपोषित होने से बहुत खुश हैं और महिला एवं बाल विकास विभाग का आभार व्यक्त करते हैं।

 
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