November 14, 2024 |

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22 जुलाई सावन का पहला सोमवार, इस बार पड़ रहा कई संयोग

Gram Yatra Chhattisgarh
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रायपुर। हिन्दू धर्म में सावन के सोमवार व्रत का अत्यंत महत्व है। इस दिन भगवान शिव को विधि विधान से पूजा कर प्रसन्न करने का शुभ असवर होता है। श्रावण मास का पहला सावन सोमवार 22 जुलाई और अंतिम 12 अगस्त को पड़ेगा। सोमवार को शिव दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त शिवालय में जुटेंगे। इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं, जिसे शुभ माना जा रहा है। इस बार शिवरात्रि भी 30 जुलाई को है।
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रावण मास के पहले सोमवार में कल नगर सहित आसपास के शिवमंदिर में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर जलाभिशेक कियाा जाएगा। हजारों कांवरियों के द्वारा भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे 21 जुलाई रविवार की रात्रि से ही पदयात्रा करते हुए महादेव घाट पहुॅचकर शिव मंदिर मे भगवान शिव का जलाभिशेक करेगे। हजारों की संख्या में महिला पुरुष युवा वर्ग बच्चे सहित शिव भक्तों के आगमन को लेकर शहर के विभिन्न समाजसेवी संस्थाएं विभिन्न स्थानों पर शिव भक्तों के लिए सेवा शिविरों का आयोजन किया गया है। मंदिर में प्रति सोमवार के साथ प्रति दिन विशेष शिव पूजन किया जायेगा। ड्ढद्य साल में पडऩे वाले सावन में हिंदू मान्यताओं के अनुसार सावन में कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इस बार सावन के पहले सोमवार को ही श्रावण कृष्ण पंचमी है, वहीं दूसरे सावन में त्रयोदशी प्रदोष व्रत के साथ ही सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग भी है। सावन में तीसरे सावन में नागपंचमी के शुभयोग हैं, जो कि बहुत ही भाग्यशाली माने जाते हैं. वहीं सावन के अंतिम सोमवार को त्रयोदशी तिथि का शुभ संयोग है। इस मुहूर्त पर पूजा करना लाभकारी है।
सोमवार व्रत रखने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए। साफ कपड़े पहनेकर पूजा घर में जाएं। वहां भगवान शिव की मूर्ति, तस्वीर या शिवलिंग को गंगा जल से धोकर साफ कर लें। फिर तांबे के लोटे या अन्य पात्र में जल भरकर उसमें गंगा जल मिला लें। फिर भोलेनाथ का जलाभिषेक करें और उनको सफेद फूल, अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार 17 जुलाई को सूर्य प्रधान उत्तरा साढ़ा नक्षत्र से सावन माह की शुरुआत हो रही है। इस दिन वज्र और विष कुंभ योग भी बन रहा है। इस बार पूरे 30 दिन का सावन है और इस दौरान चार सोमवार पड़ेगा। इसमें तीसरे सोमवार को त्रियोग का संयोग बन रहा है जो विशेष फलदायी होगा।
सोमवार और नागपंचमी का संयोग
पांच अगस्त सोमवार को नागपंचमी का संयोग बन रहा है। भगवान भोलेनाथ की आराधना सोमवार को की जाती है, साथ ही नागपंचमी पर भी भोलेनाथ के गण नागदेवता की पूजा का विधान है। इसके चलते नागपंचमी का महत्व बढ़ गया है। इस दिन चंद्र प्रधान हस्त नक्षत्र और त्रियोग का संयोग भी बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग, सिद्धि योग और रवि योग अर्थात त्रियोग के संयोग में काल सर्प दोष निवारण के लिए पूजा करना फलदायी होगा।

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