July 31, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
बिलासपुर में आर्किटेक्ट फर्जीवाड़ा : 10 साल से चल रहा था नक्शा पासिंग का खेल, असली खुलासा अब हुआASI का भ्रष्ट खेल उजागर: रिश्वत लेकर आरोपी को लौटाया जब्त मोबाइल, कोर्ट आदेश को दिखाया ठेंगा — शिकायत करने पर दी धमकी, ऑडियो वायरलमहिला अधिकारी ने डीएमसी के खिलाफ की थी झूठी शिकायत ! प्रशासन की जांच में आरोप पाए गए गलत, किसके शह पर बिछाए गए थे मोहरे पढ़िए पूरी रिपोर्ट…शोक समाचार :  पत्रकार एवं छत्तीसगढ़ अखबार वितरक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद सिन्हा नहीं रहेONC BAR पर प्रशासन की चुप्पी पर उठा विवाद, विश्व हिंदू परिषद ने जताई नाराज़गीबिलासपुर कलेक्टर की अनुकरणीय पहल – पशु व जनहित में सराहनीय कदमसीएम साय ने किया ‘गौ विज्ञान परीक्षा अभियान 2025’ का शुभारंभग्रीन उद्यम की परिकल्पना को साकार करने साय सरकार दे रही विशेष पैकेज: उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगनबालको महिला मंडल ने धूमधाम से मनाया तीज महोत्सव“जब कोई साथ नहीं होता… तब ‘आगाज़ इंडिया’ साथ होता है” ‘आख़िरी सफर’ — एक संवेदनशील और मानवीय पहल
छत्तीसगढ़

रेत से भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग बनाकर माता सीता ने की थी पूजा अर्चना

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article


त्रिवेणी संगम के बीच स्थित है भगवान कुलेश्वर नाथ महादेव का मंदिर

गरियाबंद (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। छत्तीसगढ़ की तीर्थ नगरी राजिम में तीन नदियों पैरी, सोढ़ूर और महानदी के संगम होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहा जाता है। त्रिवेणी संगम के मध्य में भगवान भोलेनाथ का विशाल मंदिर स्थित है, जो कुलेश्वनाथ महादेव के नाम से ख्याति प्राप्त है। किवदंती के अनुसार वनवास काल के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण, माता सीता के साथ यहीं पर स्थित लोमष ऋषि के आश्रम में कुछ दिन गुजारे थे। उसी दौरान माता सीता ने नदी की रेत से भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की थी। तभी से इस शिवलिंग को कुलेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

इस खुरदुरे शिवलिंग को माता सीता ने अपने हाथों से बनाया था, जिसके निशान होने की बात जनमानस में प्रचलित है। वर्तमान में यह शिवलिंग क्षरण के कारण अपना मूल स्वरूप शनैः शनै खोता जा रहा है, इसलिए शिवलिंग की सुरक्षा के लिए उपाय किए गए है, ताकि शिव भक्तों द्वारा पूजा अर्चना में उपयोग किए जाने वाले वस्तुओं से शिवलिंग की सुरक्षा की जा सकें।

 

 

भगवान कुलेश्वनाथ को लेकर मान्यता है कि बरसात के दिनों में कितनी भी बाढ़ आ जाए। यह मंदिर डूबता नहीं है। कहा जाता है बाढ़ से घिर जाने के बाद नदी के दूसरे किनारे पर बने मामा-भांचा मंदिर को गुहार लगाते हैं कि मामा मैं डूब रहा हूं मुझे बचा लो। तब बाढ़ का पानी कुलेश्वरनाथ महादेव के चरण पखारने के बाद स्वतः कम होने लगाता है। आज भी इस मान्यता को क्षेत्र के लोग श्रद्धा से स्वीकारते हैं।

 

 

कहा तो यह भी जाता है कि राजिम के स्वर्ण तीर्थ घाट के समीप बने संत कवि स्व. पवन दीवान के आश्रम में स्थित प्राचीन सोमेश्वर महादेव का मंदिर जिसमें एक गुफा भी है जिसमें काली माता की मूर्ति विराजमान है। इस मंदिर से एक सुरंग, सीधे कुलेश्वरनाथ मंदिर तक पहुंचती है। संभवत बरसात के दिनों में पुजारी इसी सुरंग से होकर भगवान कुलेश्वर नाथ की पूजा अर्चना के लिए जाया करते होंगे। वर्तमान में ये सुरंग पूरी तरह से बंद हो चुका है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close