छत्तीसगढ़

शहर में नहीं हो रही सफाई और राजस्व मंत्री की पत्नी ने करा दिया सफाई घोटाला, जांच में करोड़ो के बोगस भुगतान की हुई पुष्टि, कभी भी दर्ज हो सकती है FIR

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कोरबा –आपके मुहल्ले में भले ही कचरे का ढेर पड़ा रहता है लेकिन निगम सफाई ठेकेदारों को करोड़ो का बोगस भुगतान कर देती है। ये हम नहीं कह रहे है खुद नगरीय प्रशासन विभाग की जांच कह रही है। जिसमें ठेकेदारों को काम का तय दाम से कहीं ज्यादा करोड़ो का भुगतान कर दिया गया है। आर्थिक अपराध अन्वेषण याने ईओडब्ल्यू ने भी मामले में जांच तेज कर दी है वहीं मुख्यमंत्री कार्यालय से पूरे मामले में FIR दर्ज करने निर्देशित किया गया है। मजे की बात तो ये है कि ये पूरा घोटाला पूर्व महापौर और राजस्व मंत्री की पत्नी रेणु अग्रवाल के कार्यकाल से अंजाम दिया जा रहा है। यहां मुख्य रूप से 6 ठेकेदारों को उपकृत किया गया है। पुख्ता दस्तावेज बताते है कि वार्ड क्रमांक 12,26,27, शारदा विहार, मुड़ापार अमरैया क्षेत्र ठेकेदार एस एन अग्रवाल इस वार्ड में प्रति वर्ष 20,79162/- अवैध भुगतान। वार्ड क्रमांक 01, 04, 05, 06 ठेकेदार मेसर्स बरून गोस्वामी 1,78,60225/- रूपए का अवैध भुगतान किया गया। वार्ड क्रमांक 02,13 राताखार,लालुराम,टी पी नगर ठेकेदार एस एन अग्रवाल अवैध भुगतान 30,64,575/- भुगतान। वार्ड क्रमांक 22,24,25 एम पी नगर साडा कालौनी ठेकेदार एस एन अग्रवाल अवैध भुगतान 63,10,720/- अवैध भुगतान।

वार्ड क्रमांक 28,29, आर पी नगर पोड़ी बहार,कोसाबाडी ठेकेदार मेसर्स राजेश्वरी सनस कोरबा अवैध भुगतान 13,64,729/-।  वार्ड क्रमांक 20,21, बुधवारी, काशी नगर ठेकेदार एस एन अग्रवाल अवैध भुगतान 9,14,374/-अवैध भुगतान। वार्ड क्रमांक 22,23, शिवाजी नगर,रविशंकर नगर, कृष्णा नगर ठेकेदार राजीव जयसवाल अवैध भुगतान 11,77,221/-  इस प्रकार इन ठेकेदारों के माध्यम से प्रति वर्ष करोड़ों का फर्जी भुगतान कर नगर निगम कोरबा के तत्कालीन महापौर रेणु अग्रवाल के अध्यक्षता वाली एम आई सी ने मिलकर हर वर्ष करोड़ों का निगम के खजाने को नुकसान पहुंचा अपना और अपनों को लाभ पहुंचाया हैं।

नगर पालिक निगम कोरबा में भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि जनता से टैक्स के रूप में मिले रूपयों की बर्बादी अपने चाहते लोगों को काम देने तथा बोगस कार्य का भुगतान करने में खर्च किया जा रहा है। शहर के विधायक के अघोषित दखल में संचालित हो रहे नगर निगम में इस पूरे भ्रष्ट कार्य और गबन को पिछले महापौर श्रीमती रेणु अग्रवाल के कार्यकाल में अंजाम दिया गया और कार्य के एवज में दिए जाने राशि से अतिरिक्त 36 लाख रुपए से अधिक का भुगतान कर गबन किया गया है। मामले का खुलासा सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों के बाद हो सका है।

सामाजिक कार्यकर्ता ने जानकारी मिलने के बाद पूरे मामले की शिकायत करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक एवं संबंधित विभाग से तत्कालीन आयुक्त सहित गबन में संलिप्त सभी लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने आवेदन सौंपा है. वहीं राज्य सरकार ने शिकायत मिलने के बाद कराई जांच में अब करोड़ो के भ्रष्टाचार पुष्टि हो गई है।

कैसी हुआ है घोटाला सिलसिलेवार समझिए

मामला नगर पालिक निगम कोरबा वार्ड क्रमांक-12, 26, 27 शारदा विहार, मुड़ापार, अमरैया क्षेत्र के सफाई कार्य में किये गये अवैध भुगतान का है। इन क्षेत्र के सफाई कार्य की निविदा आमंत्रित की गई थी। निविदा में निम्न दर मेसर्स एस.एन. अग्रवाल कोरबा का प्राप्त हुआ। जिसे निविदा समिति नें अनुशंसा किया। जिसमें एस. एन. अग्रवाल का वार्षिक दर प्रति श्रमिक, प्रति दिवस – 289/- रू. का तथा अपशिष्ट परिवहन दर बरबसपुर हेतु 335/- रू. प्रति दर प्रस्तुत किया गया था। स्वीकार करके अनुबंध किया गया एवं कार्य आदेश जारी किया गया।

उक्त कार्य के लिए कार्य आदेश दिनांक 25.04.2015 से माह जुलाई 2015 तक अनुबंधित दर 289/- रू. प्रति श्रमिक, प्रति दिवस के हिसाब से भुगतान किया गया। पश्चात् माह जुलाई 2017 से दर में बढोत्तरी कर 372 /- रु. प्रति श्रमिक, प्रति दिवस भुगतान प्रारंभ किया गया। जबकि अनुबंधित दर 289/- रू. ही था, फिर उसे बढाकर 428 /- रू. प्रति श्रमिक, प्रति दर किया गया। इसी तरह अपशिष्ट परिवहन दर को अपशिष्ट परिवहन दर- 335/- रू. को बढाकर 495/- रू. कर दिया गया है। अंतिम देयक तैयार किया गया, जिसमें प्रारंभ से अंतिम तक 428 /- रू. प्रति श्रमिक, प्रति दिवस के दर से भुगतान बिल तैयार किया गया और कुल राशि – 64,02,024 /- रू. (चौसठ लाख दो हजार चौबीस रू०.) भुगतान किया गया।

जबकि अनुबंध के अनुसार 289/- रू. प्रति श्रमिक, प्रति दिवस के हिसाब से 43,22,862 /- रू. तिरालीस लाख बाईस हजार आठ सौ बैसठ रू. होता था। इस प्रकार कुल 20,79,162 /- रू. ( बीस लाख उन्यासी हजार एक सौ बैसठ रू.) लगभग का फर्जी / अवैध भुगतान किया गया।

इसी तरह अपशिष्ट परिवहन कार्य में अनुबंध के अनुसार 335/- रू. घन मीटर के स्थान पर अंतिम देयक में प्रारंभ 2015 से अंतिम तक 495 /- रु. प्रति घन मीटर के हिसाब से बिल तैयार कर 48,39,699 /- रू. (अढतालिस लाख उन्चालिस हजार छः सौ निनायन्चे रू.) का भुगतान किया गया। जबकि अनुबंध के अनुसार प्रति घन मीटर 335/- रू. के हिसाब से कुल 32.75.351/- रू. (बत्तीस लाख पचहत्तर हजार तीन सौ इन्क्यावन रू. होता है। इस प्रकार परिवहन कार्य में भी राशि-15,64,347/- रू. (पन्द्रह लाख चौसठ हजार तीन सौ सैंतालिस रू.) का लगभग का फर्जी / अवैध भुगतान किया गया। कुल मिलाकर अनुबंध के विपरित राशि – 36,43,509 /- रू. (छत्तीस लाख तिरालीस हजार पाँच सौ नौ रू.) का फर्जी / अवैध भुगतान किया गया है।

इसी तरह ठेकेदार एस.एन. अग्रवाल को 35,96,704 /- रू. (पैतिस लाख छियान्बे हजार सात सौ चार रू.) का अनुबंध के तहत कार्य आदेश दिया गया था । किन्तु फाईनल बिल 1,22,61,238 /- रू. (एक करोड बाईस लाख एकसठ हजार दो सौ अढतीस रू.) का भुगतान किया गया है, जिसमें विरोधाभाष भी है जो कि निविदा अनुबंध तथा निगम एक्ट का उल्लंघन है। निगम एक्ट में किसी भी ठेके की अनुबंध राशि को 25 फीसदी से अधिक भुगतान किसी भी परिस्थिति में एमआईसी को भी करने का अधिकार नहीं है बावजूद अधिकारियों ने भुगतान कर दिया।

इन लोगो के नाम घोटाले में शामिल

उक्ताशय के संबंध में तत्कालीन महापौर रेणु अग्रवाल एवं मेयर इन काउसिल के सदस्य, तत्कालिन आयुक्त, तत्कालिन मुख्य लेखा अधिकारी पी.आर. मिश्रा, तत्कालिन लेखा अधिकारी आनंद गुप्ता तत्कालीन सहायक स्वास्थ्य अधिकारी सारास्वत, तत्कालिन ऑडिटर मेसर्स बोरकर एण्ड मजुमदार मुम्बई, एस.एन. अग्रवाल (ठेकेदार), सफाई शाखा के इस कृत्य में सम्मिलित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी लेखा पाल शाखा के इस कृत्य में सम्मिलित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारियों, ऑडिट शाखा के इस कृत्य में सम्मिलित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारिओ के विरुद्ध एकराय होकर षड़यंत्र पूर्वक फर्जी / अवैध भुगतान करने, निगम की राशि का गबन करने के संबंध में अपराध पंजीबद्ध करने का आग्रह पुलिस अधीक्षक एवं संबंधित विभाग से किया गया है। आम जनता का पैसा कैसे लुटा जा रहा है ये बात किसी से छुपी नहीं है।

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