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विशेष लेख – कांग्रेस की शिकस्त पर फर्माबरदार रहे अफसरों में टेंशन, घट जाएगा रुतबा, छिन जाएगी पावर, जब्त न हो जाए पेंशन

सबसे समझदार अफसर नासमझ के किरदार में आ जाएं तो फिर भला जनता और मातहत कर्मी कहां जाकर दुखड़ा सुनाएं, आप ही बताएं?

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कोरबा। जब रमन सरकार को रुकसत कर बघेल ने छत्तीसगढ़ की कमान संभाली तो उसके साथ ही कांग्रेस के कृपा पात्र रहे उन अफसरों के अच्छे दिन शुरू हो गए थे, जिन्होंने बुरे वक्त में भी पंजा थामे रखा था। उनके वे अच्छे दिन पलक झपकते गुजर गए और करारी शिकस्त के साथ कांग्रेस के फर्माबरदार रहे उन अफसरों में अब तिलमिलाहट महसूस की जा सकती है। उन्हें यही डर खाए जा रहा है कि इस शासन में अब उनकी क्या भूमिका होगी। क्या करूं, कहां जाऊं के साथ टेंशन, यह भी कि 5 साल की कारगुजारियों की फाइल कहीं खुल गई तो कहीं पेंशन भी जब्त हो जाएगी। भले ही सरकार चली गई पर कांग्रेस के प्रति निष्ठा कायम रखने वाले ऐसे अफसर फिलहाल एक नए मिशन पर हैं। अब वे अपने मातहत उन अफसरों को निशाना बना रहे हैं, जिन्होंने भाजपा के साथ जाने का निर्णय लिया था।

 

चुनाव के वक्त राजनीतिक दलों ने ऐसे कई अफसरों पर आरोप लगाए कि निष्पक्ष होने की बजाय उनकी निष्ठा प्रतिद्वंद्वी पार्टी पर है। आयोग ने गंभीरता दिखाई और शिकायतों पर फौरी एक्शन भी लिए गए। अब कौन सी बातें सच और किसके आरोप हवा-हवाई थे, यह तो जांच करने वाले ही जानें, पर ये बात सोलह आने सच है कि प्रोटोकॉल के अनुरूप अफसर की वेशभूषा के भीतर भी एक इंसान ही होता है, जिसमें से किसी ने कांग्रेस को चुना, कोई भाजपा के साथ गया तो हो सकता है किसी ने निर्दलीय या नोटा का बटन ही दबाया हो। भाजपा चुनने वाले अफसर तो अब अगले पांच साल हवा में उड़ने की तैयारी कर रहे हैं और कई ने तो शायद सर्दियों में गोवा घूमने हवाई टिकट भी बुक करा ली होगी। पर ऐसे दफ्तरशाहों की भी संख्या बहुतायत में है, जिन्होंने कांग्रेस का न केवल हाथ थामा था, बीते पांच साल कांग्रेस सरकार के उसी हाथ की छत्रछाया में रहकर चांदी काटी, सोना उगाया और रुतबे-पावर के साथ ठस्के से सरकार चलाई। कांग्रेस प्रिय और कांग्रेसी सरकार के कृपा पात्र रहे ऐसे अफसरान तो अब बेकार हो चले हैं और उनके बेगारी के दिन भी आ गए।

 

ग्राम यात्रा छग न्यूज नेटवर्क पर उठेगा नकाब, कौन हैं पेंशन की टेंशन वाले जनाब

 

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार के बाद कोरबा के भी कुछ अधिकारी भी अपनी बीपी शुगर जांच कराने डॉक्टरों के चक्कर लगा रहे हैं। कई तो बीपी शुगर की नई मशीन ही खरीद लाए हैं। अब भी उनकी निष्ठा कांग्रेस से बनी हुई है और वे सच्चे सिपाही की तरह भाजपा के लिए काम करने वालों को निशाने पर लेकर अपने अधिकार का ग़लत इस्तेमाल करने और उन्हे उलझाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। अगर आप इन कांग्रेसी फर्माबरदारों की पेशानी से रूबरू होना चाहते हैं तो ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के साथ बने रहें। ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क जल्द ही ऐसे चेहरों से नकाब हटाएगा।

 

बदल गई प्रशासन की सुगंध, फ़्रस्ट्रेट हैं पांचों इंद्री जीतने वाले कमांडर

 

दल चाहे आपकी पसंद का हो या ना हो, सरकार की सूरत देखकर प्रतिक्रिया देना ही किसी सरकारी अफसर के लिए समझदारी है। पर ऊर्जावान नागरिकों के शहर में 3 दिसंबर की सुबह तक महक बिखेरने लालाइत-उत्साहित नजर आने वाले सुगंधित अफसर की महक न जाने अब कहां कफूर हो गई, भाजपा वालों के लिए समझना मुश्किल हो रहा है। प्रशासनिक गलियारों में सत्ता बदलने का गम या गुस्सा भला किसे शोभा देता है। कुछ ऐसी ही दशा दो गेट बाद वाले दफ्तर में भी बनी हुई है, जहां पांचों इंद्री जीतकर कमान संभाल रहे अफसर भी फ़्रस्ट्रेट दिखाई दे रहे हैं। जब जिले के सबसे समझदार अफसर नासमझ के किरदार में आ जाएं तो फिर भला जनता और मातहत कर्मी कहां जाकर दुखड़ा सुनाएं, आप ही बताएं?

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