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मीशो बनी मुनाफा दर्ज करने वाली पहली E-Commerce यूनिकॉर्न, रेवेन्यू में हुआ शानदार इजाफा

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नई दिल्ली। सॉफ्टबैंक, मेटा प्लेटफॉर्म्स और प्रोसस जैसे दिग्गजों के निवेश वाली कंपनी मीशो (Meesho) ने वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही (FY24Q2) के रिजल्ट्स जारी कर दिए हैं। एक्सचेंजों को दी गई जानकारी में कंपनी ने बताया कि वह चालू वित्त वर्ष 2023-24 की जुलाई-सितंबर तिमाही में कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट दर्ज करने वाली पहली ई-कॉमर्स यूनिकॉर्न बन गई है। कंपनी ने हालांकि जुलाई-सितंबर तिमाही में कितना मुनाफा हुआ, इसकी जानकारी नहीं दी।

ऑनलाइन सामान बेचने लाली ई-कॉमर्स कंपनी मीशो के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘मीशो ने वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही में पहली बार मुनाफा कमाया। दूसरी तिमाही के अंत और त्योहारी सीजन में सकारात्मक गति से मीशो भारत में प्रॉफिट में रहने वाली पहली ई-कॉमर्स कंपनी बन गई है।’ कंपनी ने भी अपने बयान में कहा कि उसने जुलाई तिमाही में पहली बार मुनाफा दर्ज किया। चालू वित्त वर्ष में कंपनी का रेवेन्यू भी शानदार तेजी से आगे बढ़ा। इसने सालाना आधार पर 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3,521 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया। कंपनी का घाटा भी चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कम होकर 141 करोड़ रुपये रह गया।

बढ़ी इनकम

मीशो की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपनी की परिचालन आय सालाना आधार पर 37 प्रतिशत बढ़कर 3,521 करोड़ रुपये रही। इस अवधि में घाटा 141 करोड़ रुपये था।’ data.ai के अनुसार, मीशो ऐप को भारत में 2023 में 14.5 करोड़ बार डाउनलोड किया गया।

वित्त वर्ष 23 में पिछले साल के मुकाबले 77 फीसदी बढ़ा रेवेन्यू

मीशो (Meesho) का वित्त वर्ष 23 में ऑपरेशन से रेवेन्यू 77 फीसदी बढ़ गया है। कंपनी ने एक साल में तेज रफ्तार से ग्रोथ करते हुए रेवेन्यू को वित्त वर्ष 22 में 3,232 करोड़ रुपये के मुकाबले 5,735 करोड़ कर दिया। कंपनी ने कहा कि कस्टमर्स द्वारा ज्यादा खरीदारी और लेनदेन की वजह से यह इजाफा देखने को मिला।

Meesho के रेवेन्यू बढ़ने के साथ ही साथ नेट घाटा में भी कमी देखने को मिली है। कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 22 में 3,251 करोड़ रुपये के मुकाबले चालू वित्त वर्ष में इसका नेट घाटा कम होकर 1,675 करोड़ रुपये रह गया है। बेंगलूरु स्थित कंपनी मीशो नए ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए किए जाने वाले खर्चों यानी कस्टमर एक्वीजीशन कॉस्ट (CACs), इंफ्रास्ट्रक्चर में लगने वाली लागत में कटौती करके औऱ साथ ही साथ साल भर में दो बार कर्मचारियों की छंटनी कर घाटे को कम किया है।

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