February 7, 2025 |

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मेडिकल छात्रों ने शवयात्रा निकालकर एनएमसी बिल का विरोध किया

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रायपुर। प्रदेश के सैकड़ों मेडिकल छात्रों ने शनिवार को यहां नेशनल मेडिकल कमीशन बिल-2019 की शवयात्रा निकालकर उसका जमकर विरोध किया। नारेबाजी करते हुए उनका कहना है कि इस बिल से ना सिर्फ लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा, बल्कि मेडिकल शिक्षा का भी दिवाला निकल जाएगा। इससे अन्य पैथी से प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को मिक्सपैथी से इलाज की अनुमति मिल जाएगी। वहीं 50 फीसदी सीटें मैनेजमेंट कोटे में देने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा। जनहित में यह बिल वापस लिया जाए।
प्रदेश के सैकड़ों मेडिकल छात्र आज सुबह रायपुर मेडिकल कॉलेज परिसर में एकजुट हुए। इसके बाद वे सभी बैनर-पोस्टर के साथ एक रैली निकाल वहां से शास्त्री चौक पहुंचे। चौक पर उन सभी ने नारेबाजी करते हुए एनएमसी बिल का जमकर विरोध किया। उनका कहना है कि एनएमसी बिल पास होने से एमबीबीएस मेडिकल प्रोफेशनल्स के अलावा अन्य पैथी में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को मिक्सपैथी (सभी प्रकार की पैथी) से इलाज करने की अनुमति मिल जाएगी। इससे भारत के उच्च गुणवत्ता वाले मेडिकल प्रोफेशनल का स्तर काफी नीचे गिर जाएगा। दूसरी ओर नेशनल मेडिकल कमीशन बिल से निजी मेडिकल कॉलेजों की 50 फीसदी सीटें मैनेजमेंट कोटे में दे दी जाएगी, जिससे मेडिकल शिक्षा बहुत ज्यादा महंगी हो जाएगी। अर्ध शिक्षित, तथाकथित झोलाछाप डॉक्टरों को एलोपैथी मॉडर्न मेडिसिन की प्रैक्टिस करने की अनुमति मिल जाएगी और उसका असर इलाज की गुणवत्ता पर पड़ेगा।
आईएमए अस्पताल बोर्ड अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि मेडिकल बिल-2019 के विरोध में निजी डॉक्टरों के साथ अब मेडिकल छात्र भी आ गए हैं। प्रदेशभर के करीब 4 सौ मेडिकल स्टूडेंट रायपुर मेडिकल कॉलेज परिसर में एकजुट हुए। इसके बाद वे सभी एनएमसी बिल का विरोध करने लगे। उनका सबसे बड़ा विरोध सेक्शन 32 से है, जो लाखों मेडिकल छात्रों को प्रैक्टिस करने की इजाजत देता है। इस बिल से नीम-हकीम भी डॉक्टर बन जाएंगे। प्राइवेट कॉलेज अपनी मनमर्जी से फीस तय कर सकेंगे। गरीब बच्चों का पढऩा मुश्किल हो जाएगा और भ्रष्टाचार बढ़ेगा। उनकी मांग है कि बिल के कई प्रावधानों को हटाया जाए। उल्लेखनीय है कि इंडियम मेडिकल एसोसिएशन के आव्हान पर छत्तीसगढ़ समेत देशभर के लाखों निजी डॉक्टर एनएमसी बिल-2019 के विरोध में तीन दिन पहले हड़ताल पर रहे। निजी अस्पतालों की ओपीडी बंद होने से वहां आने वाले सैकड़ों मरीज परेशान हुए।

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