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तुलसी नगर में लोगो ने बदलाव का बनाया मन, पूर्ण उत्साह के साथ लोग लोकतंत्र का पर्व मनाने पहुंच रहे मतदान केंद्र

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कोरबा. राम मंदिर में बस्ती के लोगो के साथ किया गया भेदभाव अब चुनाव के समय में बदलाव का रंग लेकर आया है। तुलसी नगर के अधिकांश लोगो ने बदलाव का मन बना लिया है। दरअसल राम और हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी जमीन खिसकती देख कोरबा के विधायक जयसिंह अग्रवाल ने डीडीएम रोड में भव्य राम मंदिर का निर्माण कराया. यहां सार्वजनिक राम मंदिर तो बना दिया किंतु यहां गरबा का काम देख रहे लोगो की कपटपूर्ण मानसिकता जल्द ही सामने आ गई थी. जहां एक ओर नवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया गया और दुर्गा स्वरूप कन्याओं और युवतियों और महिलाओं के द्वारा रास गरबा डांडिया नृत्य कर अपनी भक्ति जताई जाती है. ऐसे वक्त में छोटी मानसिकता का परिचय देकर साकेत नगर वार्ड की गरीब कन्याओं के लिए यहां के दरवाजे बंद कर दिए गए थे. मां के दरबार में जाने की अनुमति नहीं दी गई अमीर और गरीब का अंतर साफ दिखाई देने लगा। भगवान के नाम की दुहाई देने वाले विधायक जयसिंह अग्रवाल भी लोगो के साथ अब तक खड़े नजर नहीं आए। मुहल्ले के व्हाट्सएप ग्रुप में लोग इस बात को लेकर जमकर अपनी भड़ास निकाले अब वोट के जरिए  उनका आक्रोश जमकर फूट रहा है।

व्हाट्सएप का मैसेज कुछ इस प्रकार है।

” नगर निगम और कोरबा विधानसभा कोरबा में वार्ड क्रमांक 2 से सूचना मिली है की राम दरबार के कर्ताधर्ता जयसिंह अग्रवाल ने डांडिया का आयोजन किया है जो की तुलसी नगर में है। वहां एसएस ग्रीन एवम आस पास के बिल्डिंग वालो एवम एसएस ग्रीन वालो ने तुलसी नगर के महिलाओं एवम बालिकाओ को उक्त डांडिया ग्राउंड से यह कह कर निकाल दिया की यहां तुलसी नगर के लोगो का आना मना है। यह व्यवहार 9 साल,12 साल 15 साल के डांडिया करते हुए बच्चो के साथ किया गया है जबकि पूरा कार्यक्रम सार्वजनिक है एवम सार्वजनिक जमीन पर कराया जा रहा है। ये लोग अपने आपको एसएस ग्रीन का मेंबर बता रहे हैं और ये कह रहे हैं की तुलसी नगर स्लम एरिया है और उनको यहां डांडिया करना मना है।
तुलसीनगर के 4 से 5 लोगों को गरबा प्रैक्टिस के आने दिया गया वो भी शायद इसलिए क्योंकि वे उच्च आय वर्ग के थे। इन्होंने समिति का नाम बड़े बड़े अक्षरों में साकेत नगर समिति लिख रखा है तो क्या वार्ड क्रमांक 2 जो की साकेत नगर के नाम से भी जाना जाता है, तुलसीनगर उसमें नहीं है ! या फिर देवस्थल और सार्वजनिक स्थलों में लोगों को उनकी आय के हिसाब से गरबा या पूजा अर्चना की जाने की अनुमति दी जाएगी। यहां और इस बात से अवगत होना जरूरी है की यह संपूर्ण कार्यक्रम एक सार्वजनिक मंच पर किया जा रहा है।”

इस विरोध पर मंदिर के निर्माणकर्ता विधायक की चुप्पी आखिर क्या कहना चाहती है। सार्वजनिक स्थल पर तो निसंदेह किसी भी वर्ग, भाषा, रंग रूप और स्थिति के सभी को आयोजन में शामिल होने का अवसर मिलना चाहिए।

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