कोरबा : कोरबा में डीएमएफ कार्य शुरू से विवादित रहा है यहां जो भी कलेक्टर आये है उन पर भ्रष्टाचार के आरोप जरूर लगे है। कलेक्टर जो कि अघोषित रूप से डिस्ट्रिक मिनरल फंड के अरबों रुपये का मालिक है उनकी व्यक्ति के साथ रुचि भी बदल दी जाती है। भाजपा सरकार में जब कलेक्टर डीएमएफ के अध्यक्ष हुआ करते थे, तब के कलेक्टर पी दयानंद ने कोरबा में अधोसंरचना के कइयों कार्य कराए। उनके काम आज भी धरातल में दिखते है। रजत कुमार की सीएसआर से बनवाई सड़कें, आरपीएस त्यागी के बनवाये ट्रामा सेंटर और आईटी कॉलेज बिल्डिंग आज भी विधमान है। लेकिन बाद के कलेक्टरों के कार्य क्षणिक दिखे निर्माण से अधिक सप्लाई पर जोर दिया गया कहते है सप्लाई में रेट अच्छा मिलता है।
रानू साहू के बाद अगर किसी रिस्की कलेक्टर का नाम सामने आता है तो कोरबा में जुलाई 2022 से जुलाई 23 तक के 13 माह में कमाल करने वाले संजीव झा का नाम सबसे ऊपर होगा। संजीव झा ने माया के मायाजाल में फंसकर डीएमएफ की ऐसी प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की जिसको सुनकर आप दंग रह जाएंगे।
“मसलन एनीमिया जांच के लिए करोड़ो का फंड आबंटित किया गया, लेकिन ये फंड स्वास्थ्य विभाग को नहीं बल्कि चहेते सीईओ को दिया गया यहां से एनजीओ के माध्यम से एनीमिया की मनमानी जांच की गई, वहीं कृषि उपकरण का वितरण कृषि विभाग ने नहीं बल्कि जनपद ने ही किया है। यहां भी राशि कई करोड़ो में है, बाड़ी विकास के करोड़ो के कार्य उद्यानकी नहीं बल्कि जनपद के जिम्मे था। महिला बाल विकास विभाग में फर्नीचर शिक्षा विभाग ने सप्लाई की है। इन सबकी राशि भी जारी हो गई और विभाग ने भुगतान भी कर दिया है।”
डीएमएफ कार्यो की जड़ प्रशासनिक स्वीकृति से ही होती है डीएमएफ खुद एजेंसी बनने के बजाए विभागों को एजेंसी बनाता है ताकि वो पाक साफ रहे और दामन दागदार हो विभाग का। कलेक्टर संजीव झा के समय डीएमएफ के परियोजना समन्वयक थे डिप्टी कलेक्टर भरोसराम ठाकुर, नाम के जैसा ही काम था पैसा दीजिए सब काम हो जाएगा भरोसराम रानू साहू के समय से पदस्थ थे इसलिए माया वारियर के खास थे। इनकी सरपरस्ती में जनपद, शिक्षा, आदिवासी विकास विभाग, महिला बाल विकास विभाग ने जमकर गुल खिलाये है। यह सब तब हुआ है जब ईडी रानू साहू के कार्यकाल के डीएमएफ की जांच का रही थी।”
ग्राम यात्रा न्यूज़ आगे के चरणों मे सिलसिलेवार मय दस्तावेज खुलासा कर बताएगा कि कैसे और कहां कितना भ्रष्टाचार किया गया है इसके लिए किस कदर प्लानिंग हुई और कौन कौन सफेदपोश इसमें शामिल है।
हालांकि सीधे नज़र आने वाले कलेक्टर सौरभ कुमार ने भी कम AS कोरबा में जारी नहीं किए है आत्मानंद स्कूलों के बच्चों के लिए ड्रेस और जूते खरीदने के लिए 10 करोड़ की राशि जारी की गई है विधानसभा के आचार संहिता लगने से महज 4 दिन पहले ही, इनके मामलों का भी खुलासा होगा। लेकिन हम एक एक कर कारनामो से पर्दा उठाएंगे।
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