छत्तीसगढ़

गालीबाज भाजपा नेता का घमंड हुआ चकनाचूर, ननकीराम का तिलिस्म भी नहीं आया काम, 5 एकड़ भूमि से प्रशासन ने बलपूर्वक हटवाया बेजा कब्जा

कोरबा, 21 सितंबर 2024: भाजपा नेता नूतन राजवाड़े, जो पूर्व गृहमंत्री और सीधे-सादे आदिवासी नेता ननकीराम कंवर के करीबी माने जाते हैं, द्वारा ग्राम कनकी में शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करने का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। प्रशासन ने आज कड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 05 एकड़ शासकीय भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब नूतन राजवाड़े पर इस तरह का आरोप लगा है। इस बेदखली की कार्रवाई से न केवल अतिक्रमित भूमि मुक्त हुई है वरन नूतन का घमंड भी चकनाचूर हो गया ।

इससे पहले भी जब प्रशासनिक टीम कब्जा हटाने पहुंची थी, तब नूतन राजवाड़े ने अपनी राजनीतिक पकड़ का इस्तेमाल कर ननकीराम कंवर को आगे कर खूब हंगामा किया था। उस समय राजवाड़े ने अस्थायी रूप से कब्जा छोड़ते हुए मामला शांत कर दिया था, लेकिन कुछ ही समय बाद उन्होंने फिर से शासकीय जमीन पर नेट लगाकर सब्जी बाड़ी तैयार कर ली थी।

इतना ही नहीं, जब स्थानीय सरपंच ने इस अवैध कब्जे के खिलाफ आवाज उठाई, तो नूतन राजवाड़े ने अपनी दबंगई दिखाते हुए सरपंच को फोन पर गालियां दीं। इस घटना की भी शिकायत की गई थी, लेकिन राजवाड़े की राजनीतिक पहुँच और प्रभाव के चलते कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई थी।

नूतन राजवाड़े द्वारा किया गया कब्जा प.ह.न. 03 राजस्व निरीक्षक मंडल बरपाली, तहसील बरपाली के तहत था। यह मामला न्यायालय तहसीलदार बरपाली में रा. प्र. क्रं. 202306052800020/अ-68/2022-23 के तहत दर्ज किया गया था, जिसमें पक्षकार छत्तीसगढ़ शासन विरुद्ध नूतन राजवाड़े पिता होमशंकर राजवाड़े थे। तहसीलदार की जांच में शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा सही पाया गया, जिसके बाद छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत बेदखली की कार्यवाही की गई।

यह कब्जा कनकी के पटवारी हल्का नंबर 03 में स्थित शासकीय भूमि पर था। इस शासकीय भूमि के विभिन्न खसरों पर कब्जा किया गया था, जिनमें खसरा नंबर 1238/1 रकबा 0.288 हेक्टेयर, खसरा नंबर 1344/1 रकबा 6.844 हेक्टेयर (जिसमें 1.081 हेक्टेयर और 0.170 हेक्टेयर पर कब्जा था), खसरा नंबर 1344/3 रकबा 0.809 हेक्टेयर (जिसमें 0.134 हेक्टेयर पर कब्जा था), खसरा नंबर 1345/1 रकबा 1.157 हेक्टेयर (जिसमें 0.069 हेक्टेयर पर कब्जा था), और खसरा नंबर 1609 रकबा 14.165 हेक्टेयर (जिसमें 0.152 हेक्टेयर पर कब्जा था) शामिल थे। कुल मिलाकर, नूतन राजवाड़े द्वारा 1.251 हेक्टेयर, 0.203 हेक्टेयर और 0.152 हेक्टेयर पर कब्जा था, जो लगभग 05 एकड़ बनता है।

इस बार, ग्रामीणों द्वारा जनचौपाल में दी गई शिकायत पर कलेक्टर अजीत वसंत ने मामले को गंभीरता से लिया। तहसीलदार बरपाली को निर्देशित कर इस प्रकरण की जांच करवाई गई, जिसमें नूतन राजवाड़े का अवैध कब्जा सही पाया गया। तहसीलदार ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 248 के तहत कार्रवाई करते हुए बेदखली का आदेश पारित किया।

आज एसडीएम सरोज महिलांगे, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारी की टीम ने ग्रामीणों की उपस्थिति में नूतन राजवाड़े के कब्जे से जमीन को मुक्त कराया। यह शासकीय भूमि, जिसमें घास और बड़े झाड़ों के जंगल मद की जमीन शामिल थी, पर नूतन ने सब्जी बाड़ी बना रखी थी।

हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया के दौरान भी नूतन राजवाड़े का रवैया बेहद अहंकारी और धौंसपूर्ण रहा। वह अपनी राजनीतिक पहुंच का लगातार प्रदर्शन करते नजर आए, लेकिन इस बार प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस बार शासकीय भूमि की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाता है ताकि भविष्य में इस प्रकार के अतिक्रमण को रोका जा सके।

ग्रामीणों के लिए यह कार्रवाई एक बड़ी जीत साबित हुई है, जो लंबे समय से इस अवैध कब्जे के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे।

 

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