July 31, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
महिला अधिकारी ने डीएमसी के खिलाफ की थी झूठी शिकायत ! प्रशासन की जांच में आरोप पाए गए गलत, किसके शह पर बिछाए गए थे मोहरे पढ़िए पूरी रिपोर्ट…शोक समाचार :  पत्रकार एवं छत्तीसगढ़ अखबार वितरक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद सिन्हा नहीं रहेONC BAR पर प्रशासन की चुप्पी पर उठा विवाद, विश्व हिंदू परिषद ने जताई नाराज़गीबिलासपुर कलेक्टर की अनुकरणीय पहल – पशु व जनहित में सराहनीय कदमसीएम साय ने किया ‘गौ विज्ञान परीक्षा अभियान 2025’ का शुभारंभग्रीन उद्यम की परिकल्पना को साकार करने साय सरकार दे रही विशेष पैकेज: उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगनबालको महिला मंडल ने धूमधाम से मनाया तीज महोत्सव“जब कोई साथ नहीं होता… तब ‘आगाज़ इंडिया’ साथ होता है” ‘आख़िरी सफर’ — एक संवेदनशील और मानवीय पहलकोरबा मेडिकल कॉलेज में अब ‘सफाई घोटाला’ ! एक माह का टेंडर बना 6 माह का, अपात्र फर्म को काम देने की तैयारी, 100 की जगह 200 सफाईकर्मी करने की साज़िश ?रायगढ़-रायपुर NH में बिखरे मिले मवेशियों के शव तेज रफ्तार ने ली 18 गायों की जान
छत्तीसगढ़

तेंदूपत्ता संग्राहकों के खाते में राशि हस्तांतरण होने से ग्रामीणों में अत्यधिक हर्षोल्लास

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

ऑनलाईन के माध्यम से 41901 संग्राहकों के खाते में 20.10 करोड़ राशि किया गया है हस्तांतरण

जशपुरनगर। जशपुर जिले में तेंदूपत्ता संग्रहण वर्ष 2024 में निर्धारित लक्ष्य 32500 मानक बोरा था। जिसके विरूद्ध 36538.279 मानक बोरा का संग्रहण हुआ है। इस वर्ष विगत वर्ष की अपेक्षा 30 प्रतिशत अधिक निर्धारित लक्ष्य से 4038.279 मानक बोरा संग्रहण एक माह में किया गया। संग्रहित तेंदूपत्ता का राशि 5500 रुपए प्रति मानक बोरा की दर से राशि रूपये 20.10 करोड़ का भुगतान ऑनलाईन के माध्यम से 41901 संग्राहकों के खाते में राशि हस्तांतरण पूर्ण कर लिया गया है। जिससे ग्रामीणों में अत्यधिक हर्षोल्लास है।

विदित हो कि वनों की गौण उपज में तेंदूपत्ता का विशिष्ट स्थान है। तेन्दूपत्ता एक प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला पौधा है। इसके पत्तों से बीडी बनायी जाती है। माह मार्च अप्रैल के महीने में तेंदू के नये पत्ते निकलते है जो बीड़ी बनाने योग्य होते है। इन पत्तों का संग्रहण कार्य मई के प्रथम सप्ताह से जून के प्रथम सप्ताह तक किया जाता है। यह कार्य मुख्य रूप से समाज के निर्बल वर्ग के सदस्यों द्वारा किया जाता है। जिनमें 90 प्रतिशत व्यक्ति अनुसूचित जाति जनजाति तथा आदिवासी परिवारों के होतें है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close