September 1, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
बाढ़ में बही पुस्तकें, टेबलेट भी हुआ खराब, पर नहीं रुकेगी पूनम की प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी,मुख्यमंत्री की पहल पर पूनम को मिली पुस्तकें और नया टेबलेटदीदी के गोठ सीएम साय ने दीदियों को प्रेरित किया, स्व-सहायता समूहों की सफलता की कहानियाँ बनी मिसालकोरबा में रेल्वे कर्मचारियों की हड़ताल: छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी ने किया समर्थनआगाज़ इंडिया का महादान: विशाल रक्तदान शिविर का आयोजन,थैलेसीमिया पीड़ितों को मिला जीवनदानमौत का अड्डा बन चुका मेडिकल कॉलेज अस्पताल – अधीक्षक गोपाल कंवर की नाकामी ने ली एक और माँ की जानखेत की बाड़ी में थैले में मिला नवजात, चींटियों और कीड़ों ने काटा…ग्रामीणों में मचा हड़कंपपति की मौत के दूसरे दिन पत्नी ने भी दम तोड़ दियाबस्तर दौरे पर सीएम साय: हवाई सर्वे के बाद राहत कार्यों की करेंगे समीक्षा…पुजारी की हत्या का राजफाश एक नाबालिग समेत 5 आरोपी गिरफ्तार, वजह जानकर रह जाएंगे दंगआज छत्तीसगढ़ के कई जिलों में होगी जमकर बारिश, मौसम विभाग ने इन जिलों के लिए जारी किया ऑरेंज अलर्ट
छत्तीसगढ़

कोरबा के श्वेता हॉस्पिटल में चमत्कारी देखभाल : प्रीमैच्योर बच्चे की सफल उपचार यात्रा ने रचा विश्वास का नया अध्याय

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

कोरबा(ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। शहर के श्वेता हॉस्पिटल से एक प्रेरणादायी और उम्मीद भरी खबर सामने आई है। यहाँ के अनुभवी डॉक्टरों और उन्नत चिकित्सा सुविधाओं की बदौलत एक बेहद प्रीमैच्योर नवजात शिशु को जीवनदान मिला है।

इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल परिजनों को राहत दी है, बल्कि श्वेता हॉस्पिटल की चिकित्सा गुणवत्ता पर आमजन का विश्वास भी और मजबूत किया है।

मूलतः कोरबा निवासी सरोजनी आदित्य और अजय कुमार अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान श्वेता हॉस्पिटल में नियमित इलाज करवा रहे थे। गर्भावस्था के लगभग छठे महीने के बाद सरोजनी को अचानक तबियत बिगड़ने की शिकायत हुई और जटिलताएँ उत्पन्न हो गईं। तत्कालीन परिस्थिति को देखते हुए गायनिक विशेषज्ञ डॉ. एम. कुजूर ने गहन जांच की और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय वर्मा के साथ परामर्श कर तुरंत ऑपरेशन का निर्णय लिया।

ऑपरेशन के बाद एक बेहद प्रीमैच्योर शिशु का जन्म हुआ, जिसका वजन मात्र 1 किलो था। सामान्य परिस्थितियों में ऐसे बच्चे का बच पाना बेहद कठिन होता है। जन्म के तुरंत बाद ही शिशु को अस्पताल के अत्याधुनिक एनआईसीयू में भर्ती किया गया, जहाँ विशेषज्ञ टीम ने लगातार निगरानी और उपचार किया।

डॉक्टरों की टीम ने शिशु को पूरी तरह विशेष देखरेख में एनआईसीयू में रखा। 24 घंटे पैथोलॉजी, इन-हाउस दवाइयाँ और आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता ने उपचार को और बेहतर बनाया। बीच में तकनीकी कारणों से कुछ दिनों के लिए अस्पताल अस्थायी रूप से बंद हुआ, जिस वजह से शिशु को बाहर के अस्पताल ले जाना पड़ा। इस दौरान बच्चे का वजन घटकर मात्र 900 ग्राम रह गया, जो परिजनों के लिए बेहद चिंता का विषय था। हालांकि, दोबारा श्वेता हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद डॉक्टरों की टीम ने दिन-रात मेहनत कर बच्चे की हालत को स्थिर किया।

 

महज दो हफ्तों के भीतर बच्चे का वजन 1540 ग्राम तक पहुँच गया और आखिरकार शिशु को स्वस्थ अवस्था में डिस्चार्ज कर दिया गया।
बच्चे के माता-पिता सरोजनी आदित्य और अजय कुमार ने भावुक होते हुए कहा कि यह अनुभव उनके लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था। जिस समय उन्हें हर ओर हताशा नज़र आ रही थी, उस समय श्वेता हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने उन्हें उम्मीद दी। यहाँ की सुविधाएँ, नर्सिंग स्टाफ की तत्परता और डॉक्टरों का समर्पण देखकर उन्हें भरोसा हुआ।

 

आज उनका बच्चा स्वस्थ है और इसका पूरा श्रेय अस्पताल की टीम को जाता है। यहां के नर्सिंग स्टॉफ न केवल अपने कार्य मे दक्ष है बल्कि मनोबल को भी बढ़ाते है।

श्वेता हॉस्पिटल लंबे समय से कोरबा और आसपास के मरीजों के लिए भरोसेमंद स्वास्थ्य केंद्र के रूप में पहचान बना चुका है। यहाँ गायनिक और शिशु रोग विशेषज्ञों की सेवाएँ 24 घंटे उपलब्ध रहती हैं। अत्याधुनिक एनआईसीयू यूनिट, इन-हाउस पैथोलॉजी और दवाओं की सुविधा हर वक्त मौजूद है। मरीजों को एक ही छत के नीचे संपूर्ण इलाज मिलना इस अस्पताल की सबसे बड़ी विशेषता है।
इस सफलता ने न सिर्फ़ एक परिवार को खुशियाँ लौटाई हैं बल्कि यह भी साबित किया है कि समय पर सही उपचार और आधुनिक सुविधाओं से कठिन से कठिन परिस्थिति को भी बदला जा सकता है। श्वेता हॉस्पिटल की यह उपलब्धि कोरबा और पूरे अंचल के लिए गर्व की बात है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close