पूर्व महापौर राजकिशोर पर बड़ा आरोप! सत्ता जाते ही उजागर हुआ कब्जे का खेल, महिला को करवा दिया पार्षद कार्यालय में कब्जा

कोरबा- कांग्रेस शासनकाल में नगर निगम के महापौर रहे राजकिशोर प्रसाद पर एक और सनसनीखेज आरोप लगा है। कहा जा रहा है कि उन्होंने एसईसीएल पंप हाउस कॉलोनी के एक मकान को पार्षद कार्यालय के नाम पर कब्जा कर रखा था। लेकिन सत्ता परिवर्तन होते ही एक महिला ने वहां अपना दावा ठोक दिया और समान समेत मकान पर कब्जा जमा लिया। इस घटनाक्रम के बाद नगर निगम में हड़कंप मच गया है, और यह मामला तेजी से राजनीतिक रंग ले रहा है।
*पार्षद कार्यालय या निजी कब्जा? रहस्यमयी महिला के दावे से उठे सवाल*
जिस मकान को पार्षद कार्यालय बताया जा रहा था, वह एसईसीएल कॉलोनी का था। सवाल यह है कि यदि यह सरकारी भवन था, तो इसे मौजूदा पार्षद को सौंपा जाना चाहिए था। लेकिन अब एक महिला द्वारा कब्जा लिए जाने के बाद नई बहस छिड़ गई है। वह महिला कौन है? उसे इस मकान पर अधिकार किसने दिया? क्या यह भी कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुई अनियमितताओं का एक हिस्सा है? ये तमाम सवाल स्थानीय जनता के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं।
*नगर निगम में पूर्व मंत्री का कब्जा, ठेकों से लेकर सफाई व्यवस्था तक फैला था भ्रष्टाचार?*
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस शासनकाल के दौरान नगर निगम पर पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल का सीधा प्रभाव था। निगम में ठेके, सफाई व्यवस्था, सड़क निर्माण और अन्य विकास कार्यों में जमकर मनमानी की गई। कहा जाता है कि तत्कालीन महापौर ने सीएसईबी कॉलोनी के बी-टाइप मकान को भी अपने कब्जे में रखा था। अब जब सत्ता परिवर्तन हुआ है, तो कांग्रेस कार्यकाल में हुए इन विवादित फैसलों पर सवाल उठने लगे हैं।
*फर्जी जाति प्रमाणपत्र विवाद और सत्ता का दुरुपयोग, हमेशा विवादों में रहे महापौर*
साल 2020 में अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर बने राजकिशोर प्रसाद का कार्यकाल शुरू से ही विवादों में रहा। उनके खिलाफ फर्जी जाति प्रमाणपत्र का मामला भी सामने आया, जिसकी पुष्टि बाद में हुई, लेकिन तब तक उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका था। इसके अलावा, निगम के तमाम फैसलों में पारदर्शिता की कमी देखी गई। अब यह नया मामला कांग्रेस शासनकाल में हुई गड़बड़ियों की फेहरिस्त में एक और कड़ी जोड़ रहा है।
*वीडियो वायरल, क्या होगी जांच या मामला दब जाएगा?*
इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ा एक वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें महिला को मकान पर दोबारा कब्जा करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो सामने आने के बाद नगर निगम प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या यह मामला सिर्फ एक मकान पर कब्जे का है, या फिर इसके पीछे सत्ता के प्रभाव का बड़ा खेल छिपा हुआ है? क्या प्रशासन इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करेगा, या फिर यह भी अन्य घोटालों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
राजनीतिक हलचल तेज, निगम और एसईसीएल प्रशासन पर कार्रवाई का दबाव
इस मामले ने स्थानीय राजनीति में जबरदस्त हलचल मचा दी है। सत्ता परिवर्तन के साथ ही कांग्रेस शासनकाल में हुए भ्रष्टाचार के और भी कई मामले सामने आने की संभावना जताई जा रही है। नगर पालिक निगम समेत स्थानीय प्रशासन पर भी इस मुद्दे पर कार्रवाई करने का भारी दबाव बन गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रकरण पर कोई कानूनी कार्रवाई होती है या फिर यह मामला राजनीतिक गलियारों में ही गुम हो जाता है।
फिलहाल, इस विवाद ने कांग्रेस शासनकाल की कार्यप्रणाली और पूर्व महापौर राजकिशोर प्रसाद द्वारा किए गए कामों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या यह मामला केवल एक मकान तक सीमित है, या फिर इसके पीछे सत्ता की हनक और भ्रष्टाचार का गहरा खेल छिपा है? आने वाले दिनों में स्थिति और स्पष्ट हो सकती है।