कोरबा।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में पिछले तीन दिनों से जिस विवाद ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, वह अब नए मोड़ पर पहुंच गया है। भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने हाल ही में कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत पर भ्रष्टाचार और मनमानी के गंभीर आरोप लगाते हुए तीन दिन में तबादले की मांग कर दी थी। उन्होंने यहां तक कहा था कि मांग पूरी न होने पर वे शासन-प्रशासन के खिलाफ धरने पर बैठेंगे।
लेकिन अब जब शिकायतों की जांच आगे बढ़ी है तो कई दावे खोखले साबित हो रहे हैं। शुरुआती रिपोर्ट्स ने यह साफ कर दिया है कि ननकीराम कंवर को गुमराह कर एक ईमानदार अफसर के खिलाफ मोर्चा खोलने की कोशिश हुई है।
महिला डॉक्टर पर लगाया था कामचोरी का आरोप, रिकॉर्ड ने खोली पोल
सबसे पहले बात उस महिला डॉक्टर की, जिस पर कंवर ने “बिना काम वेतन लेने” का आरोप लगाया था। जांच में मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आधिकारिक रिकॉर्ड खंगाले गए। नतीजे चौंकाने वाले रहे।
- पिछले 12 माह में महिला डॉक्टर ने कुल 623 ऑपरेशन किए हैं।
- औसतन हर महीने 52 ऑपरेशन।
- प्रतिदिन लगभग 2–3 ऑपरेशन।
- इसके अलावा हर माह 200 से अधिक मरीजों का उपचार।
ये आंकड़े अपने आप में बहुत कुछ कहते हैं। जिस डॉक्टर को कंवर ने निशाना बनाया, वह लगातार ओपीडी और ऑपरेशन थिएटर दोनों में सक्रिय रही हैं। अब सवाल उठता है कि इतने ठोस आंकड़ों के सामने कंवर के आरोपों की कोई विश्वसनीयता कैसे बचती है ? स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मानते हैं कि यह “कामचोरी का नहीं बल्कि ओवरवर्क करने वाले डॉक्टर का केस” है।
पाकसाफ बताने वाले नेता पर ही काले धब्बे
ननकीराम कंवर ने अपनी शिकायत में भाजपा नेता नूतन राजवाड़े को पाकसाफ बताने की कोशिश की थी। लेकिन जांच से साफ हो गया कि हकीकत इसके बिल्कुल उलट है।
राजवाड़े ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर पेट्रोल पंप बना रखा है। यही नहीं, शिकायतकर्ता ने ही खुलेआम गाली-गलौज की थी। रजगामार पंचायत के मामले में तो प्रशासन ने जांच कर गबन के आरोप सही पाए और कार्रवाई की। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसे विवादित व्यक्ति का पक्ष लेकर कंवर किसका एजेंडा साध रहे थे ? इस गालीबाज नेता का एक ऑडियो आप भी सुनिए…
मलगांव मुआवजा प्रकरण – खुलासा भी प्रशासन की जांच से
कंवर ने मलगांव और अन्य इलाकों में फर्जी मुआवजा बांटने का आरोप लगाकर कलेक्टर को घेरने की कोशिश की। लेकिन हकीकत यह है कि मुआवजा घोटाले की परतें भी प्रशासनिक जांच से ही खुलीं। जिन मामलों को कंवर भ्रष्टाचार बताकर प्रचारित कर रहे हैं, दरअसल उनकी पोल खुद जिला प्रशासन ने खोली और दोषियों पर कार्रवाई की।
बड़ा सवाल – किसके इशारे पर गुमराह हो रहे हैं ननकीराम ?
अब जबकि शिकायत के अधिकांश बिंदु खोखले साबित हो रहे हैं, राजनीतिक गलियारों में यह सवाल जोर पकड़ने लगा है कि आखिर ननकीराम कंवर को किसने गुमराह किया? क्या वरिष्ठ आदिवासी नेता को जानबूझकर मोहरा बनाकर ईमानदार और सख्त कलेक्टर अजीत वसंत की छवि धूमिल करने की कोशिश की गई?
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस समर्थित दलाल प्रवृत्ति के लोग पर्दे के पीछे से सक्रिय हो सकते हैं। विपक्ष लंबे समय से भाजपा सरकार को असहज करने की कोशिश में है और यह विवाद भी उसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा था – होगी जांच
मुख्यमंत्री ने खुद कहा था कि ननकीराम कंवर की शिकायतों की जांच कराई जाएगी। जांच शुरू होते ही सच्चाई सामने आने लगी है। डॉक्टर पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद निकले, नूतन राजवाड़े का कब्जा सामने आया और मुआवजा घोटाले का खुलासा भी प्रशासन की कार्रवाई से ही हुआ। यानी जिस मुद्दे को लेकर धरना देने की धमकी दी जा रही थी, उसी की नींव खोखली साबित हो रही है।
अब सवाल ननकीराम पर
ननकीराम कंवर जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता से यह अपेक्षा की जाती है कि वे तथ्यों और सबूतों के आधार पर ही आरोप लगाएं। लेकिन इस बार उनकी शिकायतें ही सवालों के घेरे में हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि जब शिकायतों का कोई ठोस आधार ही नहीं मिला तो कलेक्टर के खिलाफ धरने और आंदोलन की बात क्यों ? क्या वास्तव में ननकीराम को भटकाकर यह पूरा खेल खेला गया ?
कोरबा की जनता अब सच्चाई जानना चाहती है। और अब तक सामने आए तथ्य में सच्चाई यही है कि कलेक्टर अजीत वसंत की ईमानदार और सख्त कार्यशैली को बदनाम करने की कोशिश की गई। शासन-प्रशासन से उम्मीद है कि आरोपों पर पूरी जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी, ताकि झूठ और सच के बीच की रेखा साफ हो सके।

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