छत्तीसगढ़

फर्जी आदिवासी बनी रंजना सिंह का जाति प्रमाण पत्र निलंबित, हित या लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी अपना फर्जी आदिवासी होने का सर्टिफिकेट…. आदेश जारी..

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कोरबा। सीधे रास्ते पर चलकर किसी तरह मेहनत-मशक्कत से अपनी रोजी-रोटी चलाने वाले एक आम आदमी और वह भी पहाड़ी कोरवा से पंगा आखिरकार खुद को पूर्व राजस्व मंत्री की करीबी बताने वाली कांग्रेस नेत्री रंजना सिंह को भारी पड़ गया। सन् 1991 से अब तक, यानी पिछले 33 साल से फर्जी आदिवासी सर्टिफिकेट की आड़ में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सुविधाओं का लाभ लेती रही रंजना सिंह का जाति प्रमाण पत्र निलंबित कर दिया गया है। मजबूर-गरीब आदिवासियों का हक मारती आ रही कांग्रेस नेत्री रंजना सिंह को यह भी आदेश दिया गया है कि अब वह अपने इस फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल किसी भी प्रकार के हित या लाभगत कार्यों, योजनाओं या सुविधाओं के लिए नहीं कर सकेगी। इस पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

यह आदेश कार्यालय जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति कोरबा ने जांच कार्यवाही पूर्ण कर पारित किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्राम आछिमार निवासी फिरत राम पहाड़ी कोरवा पिता स्व. पंचराम ने मानिकपुर बाजार निवासी रंजना सिंह पिता स्व. शोभरन सिंह निवासी के आदिवासी होने पर सवाल उठाते हुए शिकायत की थी। इसकी जांच उपरांत 6 मार्च को पारित आदेश में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (सामाजिक प्रास्थिति प्रमाणीकरण का विनियमन) नियम, 2013 एवं यथा संशोधित अधिसूचना दिनांक 24 सितंबर 2020 में निहित प्रावधान अनुसार रंजना सिंह को तहसीलदार कोरबा द्वारा 8 अगस्त 1991 को जारी जाति प्रमाण पत्र प्रथम दृष्टया संदेहास्पद एवं कपटपूर्वक प्राप्त कराना पाया गया है। इस कारण अनुसूचित जनजाति के लिए अंतिम जांच होने तक रंजना सिंह का जाति प्रमाण पत्र निलंबित करने और उसके द्वारा किसी भी प्रकार के हित लाभ के लिए जाति प्रमाण पत्र का उपयोग नहीं किए जाने के आदेश जारी किए गए है। आदेश में यह भी कहा गया है कि इसके परिपालन में अधोहस्ताक्षरकर्ता कार्यालय द्वारा रंजना सिंह को जारी अस्थायी सामाजिक प्रास्थिति प्रमाण-पत्र को अंतिम जांच एवं आदेश जारी होने तक निलंबित किया जाता है। इसके साथ ही रंजना सिंह को उक्त प्रमाण पत्र के आधार पर किसी भी प्रकार की हित लाभ के लिए उपयोग में लाए जाने प्रतिबंधित भी किया गया है। कार्यालय तहसीलदार कोरबा की ओर से जारी यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा। आदेश की प्रतिलिपि कार्यालय उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति रायपुर, कोरबा कलेक्टर एवं जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति कोरबा और अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कोरबा को प्रस्तुत किया गया है। जल्द हो सकती है बड़ी कार्यवाही!

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