छत्तीसगढ़

डॉक्टर ने बेटे से कहा- रेफर नहीं करूंगा, माताजी को ठीक कर दौड़ाते हुए घर भेजूंगा, कुछ घंटे में मौत, 3 डॉक्टरों और 2 नर्स के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का जुर्म दर्ज करने की मांग

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0 पुत्र ने शिकायत में लिखा- जीवन रक्षा के लिए महत्वपूर्ण 5 घंटे की देरी, मैं घड़ियां गिनते मां को मौत से जूझते देखता रहा। डॉक्टरों ने जानते हुए भी वह होने दिया, जिससे बेवक्त मां की मृत्यु हो गई, यह आपराधिक मानव वध की श्रेणी का गंभीर अपराध है।

कोरबा। एसईसीएल मुड़ापार स्थित मुख्य चिकित्सालय में डॉक्टरों की जिद और लापरवाही के चलते हुई मरीज की मौत का एक बड़ा ही अक्रोशित करने वाला मामला सामने आया है। शिकायत है कि 81 वर्षीय बुजुर्ग महिला को सांस लेने में कठिनाई होने पर बेटे ने यहां भर्ती कराया। उन्होंने निवेदन भी किया कि बिना देर मरीज को तत्काल अपोलो रेफर कर दें। पर डॉक्टर ने यह कहते हुए रेफर करने से इंकार कर दिया कि हॉस्पिटल में ही सारा इलाज हो जाएगा और माताजी को पूरी तरह से ठीक कर वे दौड़ाते हुए घर भेजेंगे। पर जो भरोसा डॉक्टर ने दिलाया था, वह सिर्फ हवा हवाई बातें बन कर रह गई और आखिर वही हुआ, जिसकी चिंता बेटे को थी। वक्त गुजरता रहा। एक एक कर चेकब के लिए 3 डॉक्टर आए पर सिर्फ देख कर चलते बने। नर्सिंग स्टाफ ने भी लापरवाही की। इस बीच माताजी की हालत और भी ज्यादा बिगड़ने लगे। आखिर डॉक्टर्स ने सीएमओ से डिस्कस के बाद मरीज को 5 घंटे की देरी से अपोलो रेफर कर दिया गया। एंबुलेंस अभी बिलासपुर के मोपका पहुंची थी कि बुजुर्ग ने अंतिम बार सांस लेकर प्राण त्याग दिए। मृतका के पुत्र ने पुलिस में शिकायत कर तीन डॉक्टर और दो नर्स के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का जुर्म दर्ज करने की मांग की है।

इस मामले में एसईसीएल मुख्य अस्पताल मुड़ापार कोरबा की सीएमओ डॉ. सीमा अरोरा, डॉ. अचिंत्य कुमार, डॉ. अपूर्व शर्मा, स्टाफ नर्स भारती गार्डिया, रश्मि तथा एसईसीएल प्रबंधन मुख्य अस्पताल मुड़ापार कोरबा के विरुद्ध गैर इरादतन हत्या का अपराध पंजीबद्ध किए जाने का आवेदन पुलिस के समक्ष किया है। मृतका के पुत्र एवं अधिवक्ता चुन्नी लाल राजवाड़े पिता स्व. मदनमोहन राजवाड़े निवासी दुरपा रोड पुरानी बस्ती वार्ड 4 ने मानिकपुर चौकी प्रभारी को लिखित में शिकायत की है। उन्होंने बताया कि माता श्रीमती गोदावरी बाई पति स्व. मदनमोहन राजवाड़े उम्र लगभग 81 वर्ष, को 10 फरवरी 2024 को सुबह 9.30 से 10 बजे के लगभग एसईसीएल मुख्य अस्पताल मुडापार में सीने में कफ जमने के कारण सास लेने में कठिनाई होने से भर्ती किया गया था। अस्पताल में डॉ. अचित्य कुमार के द्वारा चिकित्सा प्रारंभ किया गया। डॉ. अचिंत्य कुमार से निवेदन किया कि तत्काल अपोलो अस्पताल रिफर कर दिया जाए। लेकिन डॉक्टर ने रेफर करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया कि एसईसीएल अस्पताल में ही चिकित्सा उपलब्ध है। मैं आपकी माताजी को ठीक करके दौड़ाते हुए वापस घर भेजूंगा। श्री राजवाड़े ने बताया कि डॉक्टर को पूर्व में भी मुडापार अस्पताल से अपोलो अस्पताल बिलासपुर रिफर किये जाने की जानकारी थी। वहाँ से चिकित्सा उपरांत वापस भी आई थी। डॉ. अचिंत्य कुमार ने सुबह 10.30 बजे सीने का एक्स-रे कर बताया कि, फेफड़े में पानी भर गया है, जिसके कारण सांस लेने में दिक्कत हो रही है। प्रारंभिक उपचार से स्वास्थ्य में कोई परिवर्तन नहीं आने के कारण पुन: 12.30 बजे अपोलो रिफर करने का निवेदन किया जिसे अनसुना कर दिया गया। इसके बाद दोपहल लगभग दो बजे डॉ. अपूर्व शर्मा ने भी जांच किया पर उन्होंने भी रेफर करने से मना कर दिया। डॉ शर्मा ने ड्यूटी पर मौजूद नर्स को एक इंजेक्शन देने की बात कहकर चले गए। पर नर्स ने भी लापरवाही की और दोपहर 3 बजे तक इंजेक्शन नहीं लगाया।

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डॉक्टर बोले- इंजेक्शन लगाना हमारा नहीं नर्स का काम है

जब पुत्र चुन्नीलाल ने इंजेक्शन नहीं लगाने की बात कही, तो उन्हे डॉक्टर ने यह कह दिया गया कि यह उनका नहीं नर्स का काम हैं। उन्होंने बताया कि कुछ देर बाद स्टार्फ नर्स बर्थडे मनाकर आती होगी, वही इंजेक्शन लगाएगी। दोपहर लगभग 3.30 बजे माता का स्वास्थ जब अत्यधिक खराब होने व श्वांस लेने में अत्यधिक तकलीफ होने पर अंचित्य कुमार तथा अपूर्व शर्मा के द्वारा सी.एम.ओ. से चर्चा कर शाम 4 बजे रेफरल दस्तावेज तैयार कर अपोलो रिफर किया गया। आनन फानन में अस्पताल के एम्बुलेंस कमांक-सी.जी. 04 एन.के. 9047 में नर्स के स्थान पर आया कुमुदिनी के साथ अपोलो भेज दिया गया। शाम करीबन 7 बजे मोपका बिलासपुर के पास मरीज को जोरदार हिचकी आई और उनकी सांसें उखड़ने लगी। अपोलो अस्पताल बिलासपुर पहुँचने पर प्रारंभिक जाँच पश्चात डॉक्टर ने बताया कि, मरीज अब नहीं रही, आप लोगों ने लाने में काफी देर कर दी।

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एंबुलेंस का o2 खत्म, दूसरा सिलेंडर लेने फिर लौटे हॉस्पिटल
जिस एंबुलेंस में माताजी को अपोलो लेकर निकले, उसमें भी बड़ी लापरवाही पेश आई। एम्बुलेंस में चालक संतोष महानदीया, आया कुमुदिनी, पुत्र चुन्नीलाल तथा परिजन श्रीमती फिरतीन बाई भी थे। एम्बुलेंस सर्वमंगला मंदिर पहुँचने तक मां की सांसे रूकने लगी तब ड्राईवर और आया कुमुदिनी ने बताया कि, एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सिलिन्डर ही खत्म हो गया है। वापस एसईसीएल हॉस्पिटल मुडापार जाना होगा। चालक के द्वारा कहा गया कि अस्पताल प्रबंधक के द्वारा एम्बुलेंस में एक्सट्रा ऑक्सीजन सिलेण्डर रखवाया नहीं गया है। शाम 5 बजे ऑक्सीजन सिलेण्डर बदलकर अपोलो अस्पताल रवाना हुए। इस तरह बेवजह की लापरवाही के चलते मरीज को अपोलो पहुंचने में एक घंटे की अतिरिक्त देरी हुई।

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डॉक्टर ने इंजेक्शन लिखा, सीरिंज में भरकर नर्स गायब, डेढ़ घंटे बाद बर्थ डे मानकर लौटी

पुत्र चुन्नीलाल ने आरोप लगाया कि डॉ. अचित्य कुमार एवं डॉक्टर अपूर्व शर्मा तथा उपस्थित नर्सों के द्वारा प्रारंभिक जाँच व चिकित्सा के पश्चात् यदि सुबह 10.30 बजे तत्काल अपोलो अस्पताल बिलासपुर रिफर कर दिया जाता तो संभवत: मां आज जीवित होती। उपरोक्त व्यक्तियों के द्वारा चिकित्सा उत्तरदायित्व एवं कर्तव्यों की घोर अवहेलना करते हुए तत्कालिक समय में उचित चिकित्सा के अभाव में यह जानते हुए भी कि, भर्ती मरीज का पूर्व में अपोलो अस्पताल बिलासपुर में ईलाज चला है, मरीज गंभीर स्थिति में है, फिर भी घोर लापरवाही करते हुए उचित चिकित्सा के अभाव में उचित समय पर रिफर नहीं किए जाने से माताजी की मृत्यु हो गई। इनका कृत्य गैर इरादतन अपराध की श्रेणी में आता है। स्टार्फ नर्स भारती गार्डिया व रश्मि दवाई को सिरिंज में भरकर टेबल पर रखकर अस्पताल में ही किसी का जन्म दिन मनाने में व्यस्त थी। डॉक्टर अचिंत्य कुमार, डॉक्टर अपूर्व शर्मा, सी.एम.ओ. सीमा अरोरा, एसईसीएल अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही एवं उचित समय में रेफलर ऑर्डर के अभाव में मृत्यु की पूर्ण संभावना जानते हुए भी उक्त अपराधिक कृत्य किया गया है, जो कि आपराधिक मानव वध की श्रेणी का गंभीर अपराध है।

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