November 22, 2024 |

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बालको के श्रमिक विरोधी कृत्य का एक और उदाहरण: चोटिया माइंस की इनसाइड स्टोरी

Gram Yatra Chhattisgarh
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कोरबा, 31 जुलाई – जब से बालको में निजी कंपनी (स्टरलाइट) वेदांता की एंट्री हुई है, तब से यहां के श्रमिकों का शोषण जारी है। ताजा मामला चोटिया कोल ब्लॉक से जुड़ा है, जहां लगभग 500 भुविस्थापितों को बेरोजगार कर दिया गया है। आज के बाद यहां परमानेंट क्लोजर की तैयारी की जा रही है। यह सच है कि ऊंचे दाम पर ली गई इस खदान के कोयले से सस्ता एसईसीएल का कोयला मिल सकता है, लेकिन असल मसला श्रमिकों को बेरोजगार करने का है।

ऐसे में सवाल जायज है कि :-

  1.  क्या बालको द्वारा खदान बंद करने से पहले औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25(O) के तहत क्लोजर नोटिस दिया गया है?
  2. बालको द्वारा अप्रैल 2020 में खदान का परिचालन बंद करके जून 2021 में माइंस सरेंडर करने का नोटिस भारत सरकार को क्यों दिया गया?
  3. क्या बालको ने औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 और CMPDA एग्रीमेंट के प्रावधानों का पूर्णतः पालन किया?

चोटिया खदान की पृष्ठभूमि

मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर न्यायालय ने 24 सितंबर 2014 को Manohar Lal Sharma v. Principal Secretary (2014) [“Coal Block Allocation cases”] के मामले में 214 कोयला खदानों के आबंटन को अवैध करार दिया। इसके बाद, कोयला खदान आबंटन की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए और प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से सफल बोलीदाता को खदान आवंटित करने के लिए Coal Mines Special Provisions Act 2015 लागू किया गया।

चोटिया कोयला खदान की नीलामी में बालको ने 3025 रुपए/टन की दर से बोली लगाई थी, जिसके बाद बालको को सफल बोलीदाता के रूप में चयनित किया गया। 28 फरवरी 2015 को भारत एल्यूमीनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) के सीईओ रमेश नायर और कोयला मंत्रालय भारत सरकार के नामित प्रतिनिधि विवेक भारद्वाज के बीच CMPDA समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 10.832 मीट्रिक टन कोयला भंडार के खनन के लिए 17 जुलाई 2015 को बालको द्वारा कोयला मंत्रालय भारत सरकार के समक्ष Mining Plan प्रस्तुत किया गया।

राज्य सरकार ने लगभग 30 वर्षों के लिए माइनिंग लीज एग्रीमेंट बालको को प्रदान किया। 4 जून 2015 और 17 जून 2015 को MoEF&CC ने चोटिया 1 और 2 खदानों के पर्यावरणीय स्वीकृति को प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड से बालको के पक्ष में हस्तांतरण को स्वीकृति दी। बालको ने दिसंबर 2015 में चोटिया कोयला खदान 1 से खनन कार्य प्रारंभ किया, लेकिन अगस्त 2016 तक केवल 3,00,000 टन कोयला ही खनन किया।

जनवरी 2018 के पहले सप्ताह में चोटिया कोयला खदान 2 के लिए जनसुनवाई हुई और 18 जुलाई 2018 को पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त हुई। बालको ने अक्टूबर 2018 से अप्रैल 2020 तक लगभग 16.69 लाख टन कोयला खनन किया और फिर मनमाने तरीके से खदान का परिचालन बंद कर दिया। 20 जून 2021 को कोयला मंत्रालय भारत सरकार को बालको द्वारा माइंस सरेंडर करने का नोटिस दिया गया।

आज की तारीख में चोटिया

बालको ने चोटिया कोयला खदान 2 का परिचालन सितंबर 2022 को पुनः प्रारंभ किया, जिसका परिचालन 31 जुलाई 2024 तक पूर्णतः बंद कर दिया जाएगा।

चोटिया को लेकर सबसे बड़ा सवाल

1. औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 25(O): बालको ने खदान बंद करने से पहले इस धारा के तहत क्लोजर नोटिस दिया है या नहीं? क्या इस प्रक्रिया में सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी की गईं?

2. रॉयल्टी भुगतान: बालको ने अप्रैल 2020 में खदान का परिचालन बंद करने के बाद 500 करोड़ रुपये का बकाया रॉयल्टी का भुगतान किया या नहीं? क्या खनिज साधन विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जारी किया गया नोटिस रॉयल्टी भुगतान से संबंधित था?

3. श्रमिकों की छंटनी और पुनः नियुक्ति: क्या बालको ने चोटिया कोयला खदान 2 के परिचालन को बंद करने के बाद 500 करोड़ रुपये बकाया रॉयल्टी की राशि का भुगतान किया? क्या छंटनी किए गए श्रमिकों को पुनः नियोजित किया गया है?

4. थर्ड पार्टी कॉन्ट्रैक्टर और श्रम कानूनों का पालन: क्या बालको ने धनसार इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड को खनन कार्यादेश जारी करने से पहले CLRA Act 1970 की धारा 10 के तहत उपयुक्त सरकार से अनुमति ली थी? क्या बालको ने समान कार्य के लिए समान वेतनमान का भुगतान किया है?

5. खनन कार्य और कानूनी अनुपालन : क्या वर्तमान में खनन कार्य बंद करने हेतु उपयुक्त सरकार से औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों के तहत बालको को स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है? क्या बालको ने अपने Mining Plan के अनुसार दिसंबर 2015 – जुलाई 2024 तक खनन कार्य किया?

बालको से जुड़े इन प्रश्नों का उत्तर और श्रमिकों के हितों की रक्षा करना आवश्यक है। यह समय की मांग है कि इन मुद्दों को व्यापक रूप से उठाया जाए और संबंधित अधिकारियों से जवाबदेही सुनिश्चित की जाए। इस संदर्भ में सभी कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रियाओं की जांच करना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी प्रकार की अनियमितता या श्रमिकों के अधिकारों का हनन न हो सके।

ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़

 

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