छत्तीसगढ़

सरपंचों से ढाई करोड़ की कमीशनखोरी, जनपद सीईओ के खिलाफ मंत्री ने दिये जांच के आदेश

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बिलासपुर, 23 फरवरी। बिल्हा जनपद पंचायत के सीईओ बीआर वर्मा पर 2.40 करोड़ रुपये से अधिक के भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी है। जिला पंचायत सीईओ ने इसके लिये 4 सदस्यीय टीम भी बना दी है।

जिला पंचायत की पिछली बैठक में सभापति अंकित गौरहा ने यह मुद्दा उठाया था। उनका आरोप है कि कोरोना महामारी के दौरान 127 ग्राम पंचायतों वाले इस जनपद में वर्मा ने 6 कलस्टर बनाये। इनका प्रभारी अपने चहेते पंचायत सचिवों को बनाया। नियमानुसार पंचायत की राशि निकालने अथवा सप्लायर को ऑनलाइन का अधिकार सरपंच और पंचायत सचिव को होता है। दोनों के संयुक्त हस्ताक्षर के चेक बैंक में जमा करने पर राशि प्रदान की जाती है, लेकिन वर्मा ने इन 6 चहेते पंचायत सचिवों के माध्यम से राशि निकालने की प्रक्रिया गलत तरीके से लाद दी। इसके बाद सरपंच और सचिव इन क्लस्टर प्रभारी पंचायत सचिवों का चक्कर लगाते थे। आरोप के अनुसार जब तक 4 प्रतिशत कमीशन की राशि क्लस्टर प्रभारियों को नहीं मिल जाता था, वे राशि का भुगतान नहीं करते थे। यह प्रक्रिया दो साल चली और इस दौरान करीब 60 करोड़ रुपये की राशि आई। आरोप है कि चार प्रतिशत कमीशन के हिसाब से इस दौरान करीब 2.40 करोड़ रुपये वसूल किये गये। जिला पंचायत में मामला उठने के बाद जनपद सीईओ ने कलस्टर प्रभारी नियुक्त करने का पुराना आदेश रद्द कर दिया। उनका कहना था कि कोरोना काल को देखते हुए यह व्यवस्था की गई थी लेकिन वे यह नहीं बता सके कि इस व्यवस्था का कोरोना काल से क्या संबंध है।

जिला पंचायत में मुद्दा उठने के बाद शिकायत पंचायत मंत्री सिंहदेव तक पहुंची। उन्होंने जिला पंचायत सीईओ हैरिश एस को पूरे मामले की जांच करने कहा है। इसके बाद प्रमुख परियोजना अधिकारी रिमन सिंह के नेतृत्व में एक चार सदस्यीय जांच दल उन्होंने बनाया है। हालांकि जनपद सीईओ वर्मा अभी बिल्हा में ही पदस्थ है, ऐसे में सवाल किया जा रहा है कि उनके बने रहने से जांच निष्पक्ष हो पायेगी या नहीं?

 
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