August 3, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
रायपुर-जबलपुर एक्सप्रेस का भव्य शुभारंभ, सीएम साय ने दिखाई हरी झंडीथाने में न्याय मांगने पहुंची महिला के साथ मारपीट, TI और स्टाफ के खिलाफ FIRरेबीज से संक्रमित मरीज की मौत, अंबेडकर अस्पताल ने जारी किया तथ्यात्मक बयानरायगढ़ के जंगल में बाघ की दस्तक, वन विभाग अलर्ट…एक्सिस बैंक में करोड़ों की धोखाधड़ी, पूर्व अधिकारी और उसकी पत्नी गिरफ्तारशर्म करो एमएस साहब ! सरकारी नौकरी की मलाई खा रहे, लेकिन बिलासपुर में चला रहे निजी क्लिनिक – कब बंद होगा ये दोहरा खेल ?1200 नशीले इंजेक्शन के साथ युवक गिरफ्तारधमतरी में गौ-तस्करी करते सात आरोपी गिरफ्तार2 लाख के ईनामी नक्सली सहित 3 नक्सली गिरफ्तारमंत्री राजवाड़े ने शबरी एंपोरियम, और गारमेंट फैक्ट्री का किया अवलोकन
छत्तीसगढ़

अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन, शासकीय भूमि के आबंटन और डायवर्सन प्रक्रिया के सरलीकरण के संबध में आदेश जारी

7500 वर्गफुट भूमि के आबंटन का अधिकार अब जिला कलेक्टर को, नगर एवं ग्राम निवेश कार्यालय में लिए जाएंगे डायवर्सन के आवेदन, अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन के मामले में भी अर्थ-दंड की राशि होगी आधी* *15 वर्ष की एकमुश्त भू-भाटक जमा करने पर आगामी 15 वर्ष की मिलेगी छूट

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर/राज्य शासन द्वारा नगरीय क्षेत्रों में अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन और शासकीय भूमि के आबंटन तथा डायवर्सन प्रकरणों के निराकरण के लिए सरलीकरण प्रक्रिया के संबध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए है। डायवर्सन के मामले में तय की गई सरलीकृत प्रक्रिया के तहत अब नगर एवं ग्राम निवेश कार्यालयों में आवेदन लिए जाएंगे। इसी प्रकार अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन के मामले में भी अर्थ-दंड की राशि आधी की जा रही है। इसके अलावा भूमि आबंटन के मामलों के विचार के लिए गठित समिति में स्थानीय निकायों और नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालयों के अधिकारियों को शामिल किया गया है। एक ही भूमि के लिए एक से अधिक आवेदन मिलने पर पारदर्शिता हेतु नीलामी का प्रावधान किया गया है। 15 वर्ष की भू भाटक एक साथ जमा करने पर आगामी 15 वर्ष की भू-भाटक में छूट देने का प्रावधान भी रखा गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में कल 13 अगस्त को आयोजित कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया था।
राज्य शासन के समक्ष यह बात सामने आयी है कि अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन तथा शासकीय भूमि के आबंटन में अत्याधिक विलंब होता है। चूकि अतिक्रमित भूमि के व्यवस्थापन एवं निजी व्यक्ति और संस्था को शासकीय भूमि का अधिकार वर्तमान में राज्य सरकार के पास है, इसलिए शासन ने आम जनता को सुविधा देने के उददेश्य से 7500 वर्गफुट तक भूमि का आबंटन का अधिकार जिला कलेक्टर को दिए जाने का निर्णय लिया है।
राज्य शासन द्वारा सरलीकृत भूमि आबंटन प्रक्रिया के अनुसार आवेदक को प्रत्येक भूमि आबंटन के प्रकरण में सभी विभागों से अभिमत प्राप्त करने में होने वाली कठिनाईयों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि उनके आवेदन में आवेदक से सभी विभागों से अभिमत न मंगाया जावे बल्कि पूर्व से ही विभागों से अभिमत प्राप्त कर जिला कार्यालय में संधारित किया जाए ताकि आवेदक को प्रत्येक विभाग से अभिमत प्राप्त करने की आवश्यकता न पड़े।
भूमि आबंटन के पूर्व विकास योजना एवं जनता के हित को ध्यान दिया जाना आवश्यक होता है। अतः भूमि आबंटन के आवेदनों पर विचार करने के लिए गठित समिति में स्थानीय निकाय एवं नगर एवं ग्राम निवेश कार्यलय के अधिकारी को रखा गया है। जिससे सभी प्रकरणों में एक साथ इन कार्यालयों के अभिमत प्राप्त हो जाएगा और आवेदक को अलग से इन विभागों से अभिमत लेने की आवश्यकता नहीं होगी। अतिक्रमण के व्यवस्थापन के मामले में अर्थ दंड की राशि आधा किया जा रहा है। इसी प्रकार एक ही भूमि के लिए एक से अधिक आवेदन प्राप्त होने पर पारदर्शिता लाने के लिए नीलामी का प्रावधान किया जा रहा है।
प्रति वर्ष वार्षिक भू-भाटक जमा करने में होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए 15 वर्ष का वार्षिक भू-भाटक एक साथ जमा करने पर आगामी 15 वर्ष की भू-भाटक जमा करने से अवेदकों को छूट देने का प्रवधान किया जा रहा है। अर्थात आवेदक एक बार में 15 वर्ष का भू-भाटक जमा करके 30 वर्ष की भू-भाटक जमा करने की परेशानी से बच सकता है।
डायवर्सन के प्रकरणों में विकास योजना के अनुरूप ही भूमि का डायवर्सन किया जा सकता है। अतः प्रक्रिया को आसान करते हुए डायवर्सन के आवेदनों में अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय के स्थान पर नगर एवं ग्राम निवेश कार्यालय में ही आवेदन लिए जाएंगे। जिससे कि विकास योजना में भू-उपयोग की जानकारी प्राप्त करने में आवेदक परेशानियों से बच सके।

Related Articles

Check Also
Close