छत्तीसगढ़

रेलवे की जमीन पर भू-माफिया का कब्जा

लैंडमार्क गायब कर बाहरी लोगों के नाम रजिस्ट्री

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रायपुर। रेल पटरी के आसपास की 2 सौ मीटर जमीन रेलवे की संपत्ति मानी जाती है। 20-30 साल पहले जो लैंडमार्क लगाए गए वो अब नदारत है, इसके पीछे भू-माफिया का खेल चला है। डीआरएम दफ्तर से कुछ सौ मीटर दूरी पर बिल्डरों ने कब्जा कर लैंड मार्क को आगे कर दिया है और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
मामला डब्ल्यूआरएस कॉलोनी स्थित डीआरएम कार्यालय से लगभग 1 किलोमीटर दूर गोंदवारा और श्रीनगर इलाके का है। वहां लोगों ने अपनी जरूरत के हिसाब से रेलवे की जमीन में कब्जा लगातार कर रहे है। इतना ही नहीं इस इलाके में रेलवे के लैंड मार्क वाले पोल भी बड़ी संख्या में गायब हो गए है, जिसकी कोई भी रिपोर्ट रेलवे के आला अधिकारियों ने अब तक दर्ज नहीं कराई है। जीरो ग्राउंड पर पहुंचने के बाद यह बात सामने आई कि पोल नीचे गिरे हुए है, तो कही पर निजी घरों में रेलवे का मार्का यानी दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) लिखा हुआ है। मामले में डीआरएम कौशल किशोर ने इसे सिरे से ही नकार दिया कि रेलवे ने किसी भी निजी घरों में रेलवे का मार्का नहीं लगाया।
गोंदवारा क्षेत्र में दलालों के साथ ही कई बिल्डर भी सक्रिय है, जमीन की रजिस्ट्री जिनके नाम है वे सभी बाहरी है, इस नए खेल के आड़ में जमीन दलाल लोगों को झांसे में लेकर रेलवे की ज़मीन को औने-पौने दाम पर बेच दिए हैं। लोगों का कहना है कि उन्होंने 15-20 साल पहले ज़मीन खऱीदी थी। लेकिन वहां अभी कुछ वर्षों पहले बनाना शुरु किया है। घर मालिकों का दावा है कि जिनसे उन्होंने ये जमीन खरीदी वे ओडिशा, तेलंगाना, हैदराबाद और झारखंड के रहने वाले है। इस मामले में डीआरएम कौशल किशोर बताया कि मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है कि रेलवे की जमीन को अवैध तरीके से बेचा गया है। इसकी जांच के लिए टीम बना दी गई जो अपनी रिपोर्ट सौपेगी।

 
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