छत्तीसगढ़

सामाजिक बहिष्कार से पीड़ित ने लगाई न्याय की गुहार, राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की मांग

बिलाईगढ़ । बिलाईगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत सिंधीचुआ से एक बेहद दयनीय मामला सामने आया है, जहां एक शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्ति ने सामाजिक बहिष्कार और अन्याय से तंग आकर राज्यपाल से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।

पीड़ित का नाम करण पटेल है, जो तीन वर्ष पूर्व एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होकर शारीरिक रूप से अपंग हो गया था। तब से वह बिस्तर पर है और किसी प्रकार का काम करने में सक्षम नहीं है।

सामाजिक बहिष्कार से टूट चुका हूं : पीड़ित
करण पटेल ने बताया कि दुर्घटना के बाद से उन्हें समाज और रिश्तेदारों द्वारा सहयोग तो दूर, उल्टा झूठे आरोप लगाकर समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है।

 

उनका कहना है कि उनके परिवारिक जमीन विवाद को लेकर कुछ लोगों ने उनके खिलाफ ‘सामाजिक पैसों के दुरुपयोग’ का झूठा आरोप लगाकर उन्हें समाज से निकाल दिया।

पीड़ित के अनुसार, उनके पास समाज द्वारा जारी एक लिखित सामाजिक पत्र मौजूद है, जिसमें सामाजिक प्रतिबंध और बहिष्कार का उल्लेख किया गया है। इसके बावजूद, उन्हें आज तक किसी भी स्तर पर न्याय नहीं मिल पाया।

भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी
न्याय की मांग करते हुए करण पटेल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है और कहा है कि यदि निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो वे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्यपाल के आदेश के बावजूद भटगांव थाना प्रभारी द्वारा निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही।

“मैं न्याय की उम्मीद में कई बार प्रशासन के पास गया, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला। अब या तो मुझे न्याय मिले या फिर मरने की अनुमति।”
-करण पटेल, पीड़ित

पुलिस ने दी सफाई
दूसरी ओर थाना प्रभारी राजेश चंद्रवंशी ने बताया कि इस प्रकरण में संबंधित पक्षों से पूछताछ की गई है और जांच रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है।
उन्होंने कहा कि “पुलिस निष्पक्ष रूप से जांच कर रही है, और रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

सामाजिक पत्र पर उठे सवाल
करण पटेल द्वारा प्रस्तुत सामाजिक पत्र में उनके खिलाफ सामाजिक प्रतिबंध का उल्लेख है, जिसके आधार पर उन्होंने थाना और तहसील में शिकायत दर्ज कराई है। हालांकि, इस पत्र की वैधता और प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।

समाज द्वारा किसी व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार और उस पर प्रशासनिक कार्यवाही के अभाव ने मामले को और पेचीदा बना दिया है।

परिवार की दयनीय स्थिति
पीड़ित अपने माता-पिता, पत्नी और दो बच्चों के साथ रहते हैं। दुर्घटना के बाद से उनका परिवार आर्थिक और सामाजिक रूप से बुरी तरह प्रभावित है।

उन्होंने शासन-प्रशासन से अपील की है कि उनकी स्थिति को देखते हुए उन्हें सहायता और न्याय दोनों मिले, ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें।

 

 
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