कोरबा। बालको प्रबंधन की लापरवाही एक बार फिर मजदूरों की जान पर भारी पड़ी। शुक्रवार सुबह बालको के 540 मेगावाट ऊर्जा प्लांट के इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रेस्पिटेटर (ईएसपी) संयंत्र का एक बड़ा हिस्सा अचानक धारासायी हो गया। हादसे के बाद संयंत्र परिसर में अफरातफरी मच गई और मजदूरों के बीच दहशत का माहौल है। हालांकि अब तक जान-माल के नुकसान को लेकर आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन मजदूरों में प्रबंधन के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा देखने को मिल रहा है।
हादसे के बाद ऊर्जा प्रमुख अनिल दूबे, सुरक्षा प्रमुख शिव कुमार और मुख्य कार्यपालक अधिकारी राजेश कुमार के इस्तीफे की मांग मजदूरों ने तेज कर दी है। मजदूरों का आरोप है कि प्रबंधन लगातार सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर आर्थिक मुनाफे को प्राथमिकता दे रहा है और इसी वजह से ऐसे हादसे बार-बार हो रहे हैं।
मजदूर बोले – “मुनाफे के लिए हमारी जान से खेल”
मजदूर संगठन का कहना है कि सीईओ राजेश कुमार के नेतृत्व में प्रबंधन मजदूरों की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहा है। संयंत्र में कई बार सुरक्षा संबंधी खामियों को लेकर आवाज़ उठाई गई, लेकिन आवाज़ उठाने वाले मजदूरों को या तो ट्रांसफर कर दिया जाता है या निलंबित कर दिया जाता है। इस तानाशाही रवैये ने मजदूरों में खौफ़ का माहौल बना दिया है।

औद्योगिक सुरक्षा विभाग पर भी सवाल
इस हादसे ने औद्योगिक सुरक्षा विभाग की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। मजदूरों का कहना है कि अगर विभाग ने समय रहते प्रबंधन पर कार्रवाई की होती और मजदूरों के हित में कदम उठाए होते, तो शायद आज का यह हादसा टल सकता था। विभाग पर आरोप है कि वह बालको प्रबंधन के पक्ष में काम करता है और मजदूरों की सुरक्षा की अनदेखी करता है।
हादसों का गढ़ बनता बालको
यह कोई पहला मामला नहीं है। करीब सात दिन पहले ही संयंत्र परिसर के अंदर एक बड़ा रेल हादसा हुआ था, जिसे प्रबंधन ने दबाने की कोशिश की। उस समय एल्यूमिनियम कैप्सूल से लदा रेल इंजन अनियंत्रित होकर ट्रैक से उतर गया था। प्रबंधन की ताक़तवर पकड़ के चलते उस हादसे की खबर बाहर नहीं आ पाई थी।
लगातार हो रही घटनाओं ने बालको संयंत्र को हादसों का गढ़ बना दिया है। मजदूरों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो किसी भी दिन बड़ी जनहानि हो सकती है।

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