छत्तीसगढ़

जयसिंह के खेमे में गए यूनियन नेता गोपाल नारायण, अधर में लटके विरोध करते रहे इंटक कार्यकर्ता, मजदूर हित करते करते मजदूर नेताओं ने पहले अपना हित साधा?

कोरबा – ठीक चुनाव की घड़ी में इंटक नेता गोपाल नारायण सिंह और बालको के श्रमिक नेता संजीव शर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल को समर्थन दे दिया है। ऐसे में इंटक के उनके कार्यकर्ता खुद को अधर में लटका महसूस कर रहे हैं।

 

मजदूर हित की बात करते करते मजदूर नेताओं ने खुद की हित में पहले सोचना मुनाशीफ समझा

 

 

इंटक नेताओं के प्रति निष्ठा रखते हुए उन्होंने हर मोड़ पर जिनका विरोध किया, अब उन्हें उनकी नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। असमंजस की स्थिति से गुजर रहे यूनियन के कार्यकर्ता अब इस सोच में हैं कि आखिर अब वे कैसे उनके बीच जाकर कार्य करें, जिनके विरुद्ध वे समय समय पर राजनीतिक लड़ाई लड़ते रहे हैं। जबकि उनके नेता तो बड़ी सेटिंग भिड़ाकर एक हो गए है।

 

राजनीति में नेताओं का पाला बदलना आम बात है। ऐन चुनाव के वक्त श्रमिक यूनियन इंटक में भी कुछ यही हुआ। अब तक विरोध के सुर आलापने वाले इंटक जिलाध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह और संजीव शर्मा ने कांग्रेस प्रत्याशी जयसिंह अग्रवाल का हाथ थाम लिया है।

पर बड़े नेताओं की बड़ी राजनीति का शिकार उनके कार्यकर्ता हो गए हैं, जो उनके लिए अपनी निष्ठा साबित करते हुए अब तक जयसिंह की खिलाफत करते रहे। हर मौके पर जयसिंह के विरुद्ध खड़े नजर आए इंटक कार्यकर्ताओं ने कई मौकों पर उनके समर्थकों की नाराजगी का भी सामना किया।

 

फिर भी अपने मुखिया के प्रति निष्ठा रखते हुए वे खड़े रहे। अब वे इस सोच में हैं, कि जिनके प्रति उन्होंने निष्ठा रखी, अब वे ही विरोधियों के गुट में शामिल हो गए।

 

ऐसे में कांग्रेस के जिन कार्यकर्ताओं के विरुद्ध राजनीतिक प्रतिद्वादिता का सामना किया, अब उनके साथ मिलकर कार्य करना कठिन चुनौती बन गया है। गुटीय राजनीति के शिकार हुए आई इंटक कार्यकर्ताओं ने रोष तो है ही, इस अप्रत्याशित बदलाव से अब उनका अपना राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगता दिख रहा है।

इस स्थिति में उनके समक्ष न इधर के रहे न उधर के, जैसी दशा निर्मित हो गई है। बड़े नेताओं ने तो गले मिलकर मुंह मीठा कर लिया पर उनकी सियासी लड़ाई में पिसते रहे निचले स्तर के कार्यकर्ताओं के बीच कड़वाहट बरकरार होने से मैदानी स्तर पर खुलकर कार्य करने की बजाय अब वे दबाव और तनाव से गुजरने विवश हो रहे हैं।

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