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कोरबा में बंटा पट्टा 4 महीने के बाद हो जायेगा निरस्त ! निरस्तीकरण से बचाना चाहते है तो करा लीजिए ये काम…

कोरबा,, ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज़ नेटवर्क
कोरबा में बंटा स्थायी पट्टा 4 महीने बाद स्वमेव ही निरस्त हो जायेगा जी हां आपके दिए गए शपथ पत्र में तो यही शर्त लिखी हुई है। अगर चार माह के भीतर 600 वर्गफूट मतलब लगभग डेढ़ डिसमिल से ज्यादा ज़मीन का कब्जा नहीं छोड़ा या उस जमीन को सरकार से डेढ़ गुना रेट पर नहीं खरीदा तो पट्टा निरस्त हो जायेगा फिर डेटा मिलने के बाद हो सकता है कि कब्जा खाली कराने लोकसभा चुनाव के बाद कोई अभियान भी चलाया जाए। ऐसे में जिस पट्टे को लेकर छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल अपना पीठ थपथपाते नहीं थक रहे हैं वह पट्टा सिर्फ चुनावी झुनझुना से कम नहीं लग रहा है। कोरबा ओद्योगिक नगरी है यहां पर 50 साल से भी पहले से लोग अपना घर बार छोड़ कर पेट पालने रोजगार के लिए आए और यही बस गए, इन्हें बिल्कुल शासन से पट्टा मिलना ही चाहिए ये गरीब मजदूर परिवार का मौलिक अधिकार भी बनता है। स्वर्गीय अजीत जोगी के मुख्यमंत्री रहते कुछ लोगों को जोगी पट्टा मिला भी था पर उसमें भी बहुत कुछ सरकारी नियम के कमी के कारण कोई काम का नहीं रहा फिर कोरबा शहर में माटी मंच के संयोजक स्वर्गीय अमर अग्रवाल ने इसे लेकर भी अपनी आवाज बुलंद करी थी और सरकार से इस संबंध में गरीबों को पट्टा मिल सकें बहुत से आन्दोलन भी किया था।

खैर चुनाव के ठीक पहले पट्टा कोरबा शहर में भी पट्टे का वितरण किया गया जो आधा अधुरा ही रहा और शहर के गरीब मजदूर परिवार को चुनाव बाद पट्टा देने का वादा भी किया गया और एक पट्टा दिए जाने के लिए एक शपथ पत्र भी सभी से भरवाए गए जिससे सभी वार्डो में कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के द्वारा घर घर जाकर सभी से यह फार्म भरवाकर जमा भी कराया गया।

हम कोरबा शहर और आस-पास के सभी गरीब जनता को पट्टा मिले इसके पक्षधर हैं आखिर इन गरीब मजदूर परिवारों के बदौलत दुनिया में कोरबा को पहचान मिली है कोरबा शहर को औद्योगिक विकास में इन मजदूरों का बड़ा योगदान भी रहा है। पर

कोरबा में पट्टा देने के नाम पर इन गरीब मजदूर परिवारों के साथ किया गया छल,, जी हां
ये हम नहीं कह रहे बल्कि आम गरीब जनता से भरवाए गए फार्म में जो लिखा है उसे हम बता रहे हैं।
पट्टा सिर्फ चुनावी झुनझुना है और कुछ नहीं,,
जिन गरीब मजदूर परिवारों को पट्टा दिया जा रहा है या जिन्हें अश्वाशन दिया गया है सिर्फ चुनावी रणनीति से ज्यादा कुछ नहीं, बल्कि इन परिवारों से सभी जानकारी लेकर इन्हें कानूनी पचड़ों में फंसा दिया गया है जो आम जनमानस से शपथ पत्र व फार्म भरवाकर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जमा कराया है। उस फार्म में स्पष्ट लिखा है की 600 वर्ग फुट से ज्यादा जमीन है उन्हें 04 चार महीने के अन्दर नगर निगम में नियमितीकरण या व्यवस्थापन के लिए लगाना अनिवार्य है।

**** शपथ पत्र में क्या लिखा है उसके कुछ अंश ****
मैं आवासीय पट्टा निशुल्क प्राप्त करने हेतु 600 वर्ग फुट तक पात्र हूं अतिरिक्त भू भाग पर कब्जा होने पर या तो कब्जा छोड़ना पड़ेगा या नियम अनुसार नियमित करण/व्यवस्थापन के आवेदन 04 माह के भीतर नहीं किया तो मैं पट्टा के लिए अपात्र हो जाऊंगा/जाऊंगी मैं यह भी जानता/जानतीं हूं कि यदि उक्त संबंध में मेरे द्वारा असत्य या भ्रामक जानकारी दी गई तो पट्टा निरस्त किये जानें के साथ साथ मेरे विरुद्ध कानूनी कार्यवाही भी की जा सकेगी।

*** अब आप खुद समझ सकते हैं आम गरीब जनता को कैसे गुमराह कर फार्म भरवाया गया क्यों कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा घर घर जाकर फार्म व शपथ पत्र जमा करने मदद की गई। अब गरीब मजदूर जनता कहां से सरकारी रेट से डेढ़ गुना अधिक पैसे पटाकर जमीन का पट्टा ले सकतीं हैं लाखों रुपए आखिर ये आम जनमानस कहा से लाएगी। कानूनी दांव पेंच में फंसा कर चुनावी के राजनीति में शहर की जनता फंस गई या जानबूझ कर फंसाया गया? कोरबा शहर विधायक व छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल अगर सचमुच इन गरीब जनता के हितैषी होते तो इतना कठीन नियम जटिल शर्त नहीं रखा होता आखिर राजस्व विभाग मंत्री जी का खुद का विभाग था तो इतने जटिल नियम शर्त क्यों???

**** मंत्री जी की कथनी कुछ करनी कुछ। ****
जिन्हें पट्टा मिल भी गया है वो भी चार महीने में नियमों के तहत निरस्त होना है क्योंकि लगभग परिवारों का घर 600 वर्ग फुट से ज्यादा में है, और नियमितीकरण,व्यवस्थापन कराते हैं तो लाखों रुपए बेचारे लाएंगे कहा से ***

 

चुनाव में जनता की सहानुभूति पाने के उद्देश्य से ही आचार संहिता लागू होने के कुछ दिन पूर्व ही पट्टा बांटा गया,, ताकि चुनाव में गरीब मजदूर जनता से लाभ मिले और चुनाव में इन भोली भाली जनता से वोट बटोरा जा सकें,,, तब तक चुनाव हो चुका होगा जिस उद्देश्य से शहर में इस पट्टे वितरित किए गये वो पुरे हो चुकें होंगे आम जनमानस ठगें जा चुके होंगे ???

राजनीति के शिकार जनता को छल कर शहर विधायक और छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री इन्हें किस बड़ी मुसीबत में फंसा दिये ये बात की जानकारी अभी गरीब मजदूर जनता को ठीक से पता नहीं और तो और पट्टा वितरण को लेकर भी अपनी वाहवाही कराने से भी नहीं चुकें अपने आप को गरीब जनता का मसीहा कहलाते नहीं थक रहे **** अगर शपथ पत्र में लिखा शब्द सही है तो हम जो विश्लेषण किये है वो भी सत्य है। वरना मंत्री जी ही जाने अपने विभाग की करनी…

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