छत्तीसगढ़

क्या बीजेपी नेता नूतन राजवाड़े ने सरकारी जमीन पर कब्जे के बाद अब पेट्रोल-डीजल में की चोरी?

 

 

कोरबा के कनकी क्षेत्र में भाजपा नेता नूतन राजवाड़े द्वारा संचालित शीतला फ्यूल्स का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। पहले सरकारी जमीन पर कब्जे के आरोप में इस पेट्रोल पंप की एनओसी रद्द की गई और संचालन बंद करवाया गया था। अब नए मामले में खाद्य विभाग की ओर से स्टॉक में भारी अनियमितताओं और प्रशासन की ओर से सुपुर्द किए गए डीजल-पेट्रोल को चोरी-छुपे बेचने का आरोप लग रहा है। इसको लेकर जवाब पेश करने अब नूतन को अंतिम समय दिया गया है।

 


सरकारी जमीन पर कब्जे का पुराना मामला

शीतला फ्यूल्स का एक हिस्सा सरकारी जमीन पर होने का खुलासा पहले ही हो चुका है। जांच के बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए पंप की एनओसी रद्द कर दी थी और संचालन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद पंप के सभी गतिविधियों पर प्रशासन ने निगरानी बढ़ा दी थी, लेकिन इस बार की गड़बड़ी ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

 

ईंधन स्टॉक का जप्ती और अनियमितता का खुलासा

पेट्रोल पंप बंद करने के दौरान खाद्य विभाग ने पंप पर मौजूद डीजल और पेट्रोल के स्टॉक को जप्त कर संचालक नूतन राजवाड़े के सुपुर्द कर दिया था। लेकिन हाल की जांच में खुलासा हुआ है कि नूतन ने इस स्टॉक को बिना प्रशासनिक अनुमति के बेच दिया।

 

स्टॉक में भारी गड़बड़ी

4 नवंबर 2024 की जांच में पाया गया कि रिकॉर्ड के अनुसार पंप पर 16,554.62 लीटर डीजल और 12,552.52 लीटर पेट्रोल है जिसकी जप्ती कर नूतन को ही सुपुर्दनामा में दिया गया था, लेकिन 9 नवंबर को हुई जांच में मौके पर 3,378.62 लीटर डीजल और 5,463.52 लीटर पेट्रोल कम मिला। यह गड़बड़ी साफ तौर पर ईंधन के अवैध बिक्री की ओर इशारा करती है।

 

*प्रशासन की चूक या मिलीभगत?*

 

सवाल यह भी उठता है कि जब ईंधन को जप्त कर संचालक को सौंपा गया था, तो प्रशासन ने उसकी निगरानी क्यों नहीं की? क्या यह प्रशासनिक चूक थी या जानबूझकर की गई अनदेखी?

 

*प्रशासन ने भेजा नोटिस, 24 घंटे में मांगा जवाब*

खाद्य विभाग ने नूतन राजवाड़े को 24 घंटे में जवाब देने का आदेश दिया है। विभाग का कहना है कि यदि संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। स्थानीय जनता ने प्रशासन की इस लापरवाही पर सवाल उठाए हैं। जनता का कहना है कि जब प्रशासन ने ईंधन जप्त किया था, तो संचालक की इतनी हिम्मत कैसे हो गई जो उसे बेच दिया ?

 

 

*इस मामले से जुड़ी हर छोटी-बड़ी खबर और प्रशासनिक कार्रवाई पर “ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़” की टीम लगातार नजर बनाए हुए है। इस घटना ने कोरबा जिले में प्रशासनिक पारदर्शिता और राजनीतिक दांव-पेंच पर नई बहस छेड़ दी है।*

 
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