कोरबा। जिस ईमानदार और संवेदनशील कलेक्टर अजीत वसंत (IAS, 2013 बैच) पर हाल ही में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने आरोप लगाए, उसी अफसर ने पदभार ग्रहण करने के बाद से जिले में विकास की नई तस्वीर गढ़ी है।
3 जनवरी 2024 को 18वें कलेक्टर के रूप में कोरबा आने के बाद वसंत ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे को प्राथमिकता दी। आरोपों और विवादों की राजनीतिक गूंज के बीच उनकी कार्यशैली ने यह साबित किया कि प्रशासनिक ईमानदारी और पारदर्शिता ही विकास का असली रास्ता है।
शिक्षा व्यवस्था में बड़े फैसले
कलेक्टर वसंत ने बच्चों की शिक्षा सुधारने के लिए ऐसे कदम उठाए, जिन्हें अभूतपूर्व कहा जा सकता है –
- 50 करोड़ रुपये से जर्जर स्कूलों का जीर्णोद्धार
- मिड-डे मील के साथ नाश्ते की व्यवस्था, जिसे महिला स्व-सहायता समूह (SHG) को सौंपा गया
- सभी स्कूलों में LPG गैस, चूल्हा और रिफिल की सुविधा
- स्कूलों की बाउंड्रीवाल का निर्माण, जिसकी जिम्मेदारी पंचायत और SMC को दी गई
- हर साल 100 छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग के लिए रायपुर भेजना
- 30 जगह शिक्षकों के क्वार्टर्स का निर्माण
महिला शिक्षा और युवाओं को अवसर
- 300 कॉलेज छात्राओं के लिए हॉस्टल
- लगभग 1000 युवाओं को DMF से गेस्ट टीचर और भृत्य के रूप में नियुक्ति
- 150+ PVTG युवाओं को DMF से रोजगार
स्वास्थ्य सेवाओं में नई ऊर्जा
- मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 39 नई मशीनें (एक्स-रे, सोनोग्राफी आदि)
- 11 करोड़ से CT Scan मशीन की स्वीकृति
- 35 जगह हेल्थ स्टाफ क्वार्टर्स का निर्माण
- मेडिकल कॉलेज को सशक्त करने 50 करोड़ का प्रावधान
- 40 नए प्राथमिक/सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
- आयुर्वेद अस्पताल में DMF से ऑपरेशन और भर्ती सुविधा
- 60 करोड़ रुपये से आंगनबाड़ी केंद्रों का जीर्णोद्धार और 33 नए आंगनबाड़ी केंद्र
बुनियादी ढांचे में रफ्तार
कोरबा जिले की सड़कों को बेहतर बनाने 145 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की गईं।
कलेक्टर का स्पष्ट निर्देश है कि गुणवत्ता, पारदर्शिता और गति से कोई समझौता न हो।
आरोप बनाम उपलब्धियाँ
पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने हाल ही में प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कई गंभीर आरोप लगाए। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि पिछले डेढ़ साल में शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में जितने ठोस काम हुए हैं, उतने लंबे समय से नहीं दिखे थे।
विशेषज्ञों का मानना है कि –
ननकीराम का आरोप और पत्र व्यवहार प्रशासन को राजनीतिक घेरे में लेने का प्रयास है,
लेकिन दूसरी तरफ यह भी सच है कि DMF फंड का उपयोग, मेडिकल कॉलेज की मजबूती और ग्रामीण स्कूलों में सुधार जैसी योजनाएँ जनता को सीधा लाभ पहुँचा रही हैं।
विकास की राह पर कोरबा
कलेक्टर अजीत वसंत ने यह संदेश दिया है कि –
“विकास का मतलब केवल घोषणा नहीं, बल्कि गांव-गांव तक शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएँ पहुँचाना है।”
आरोपों और विवादों से परे कोरबा की तस्वीर बदल रही है। यही कारण है कि लोग सवाल कर रहे हैं –
“क्या राजनीति विकास की रफ्तार को रोक पाएगी ?”

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