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निर्माण कार्यों में GST–रॉयल्टी पर बड़ा फैसला: 1 अप्रैल 2026 से लागू होगी एकरूप व्यवस्था, मनमानी पर लगेगा ब्रेक

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छत्तीसगढ़ में सरकारी निर्माण कार्यों को लेकर लंबे समय से चली आ रही GST कटौती, रॉयल्टी भुगतान और SOR की विसंगतियों पर अब राज्य शासन ने बड़ा और निर्णायक कदम उठा लिया है। वित्त विभाग की अगुवाई में हुई उच्चस्तरीय बैठकों के बाद GST Payment System और Royalty Clearance Certificate से जुड़ी वर्तमान व्यवस्था में एकरूपता लाने पर सहमति बन गई है।

वित्त विभाग, मंत्रालय महानदी भवन में आयोजित बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार, राज्य के विभिन्न निर्माण विभागों में GST को लेकर अलग–अलग प्रक्रिया अपनाई जा रही थी। कहीं GST को SOR में शामिल माना जा रहा था तो कहीं अलग से भुगतान किया जा रहा था, जिससे न केवल ठेकेदारों को भ्रम की स्थिति का सामना करना पड़ रहा था बल्कि शासन को भी राजस्व हानि की आशंका बनी हुई थी।

SOR और PAC में एकरूपता पर सहमति

बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में राज्य में PWD, WRD, PHE सहित विभिन्न विभाग अलग–अलग SOR का उपयोग कर रहे हैं। कुछ SOR GST सहित हैं, तो कुछ GST रहित। इससे अनुमानित लागत (PAC) और वास्तविक भुगतान में अंतर उत्पन्न हो रहा था।

अब यह निर्णय लिया गया है कि PAC/BOQ तैयार करते समय दरें GST रहित (Excluding GST) मानी जाएंगी, जबकि भुगतान के समय प्रचलित GST अलग से जोड़ा जाएगा। इससे निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और ठेकेदारों को भी स्पष्ट स्थिति मिलेगी।

रॉयल्टी क्लियरेंस में भी बड़ा बदलाव

रॉयल्टी क्लीयरेंस सर्टिफिकेट को लेकर भी शासन ने सख्त रुख अपनाया है। बैठक में माना गया कि वर्तमान व्यवस्था में रॉयल्टी की कटौती और प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया समान नहीं होने के कारण राजस्व हानि की स्थिति बन रही थी।

अब तय किया गया है कि निर्माण कार्यों में प्रयुक्त गौण खनिजों की रॉयल्टी राशि कार्य मूल्य से काटकर संबंधित विभाग द्वारा जमा कराई जाएगी और उसके बाद ही Royalty Clearance Certificate जारी होगा। इससे अवैध या अपूर्ण रॉयल्टी भुगतान की संभावनाओं पर रोक लगेगी।

1 अप्रैल 2026 से नई व्यवस्था लागू

राज्य शासन ने स्पष्ट किया है कि यह पूरी संशोधित और एकरूप व्यवस्था 01 अप्रैल 2026 से लागू होगी। इसके लिए सभी निर्माण विभागों को अपने–अपने नियम, निर्देश और SOR में आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दिए गए हैं।

उच्चस्तरीय समिति ने दी सहमति

इस महत्वपूर्ण निर्णय पर वित्त विभाग, वाणिज्यिक कर (GST), लोक निर्माण, जल संसाधन, नगरीय प्रशासन, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा, खनिज विभाग समेत सभी संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने सहमति व्यक्त की। समिति का मानना है कि इससे न केवल राज्य की राजस्व सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता भी आएगी।

क्यों अहम है यह फैसला

यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि वर्षों से निर्माण कार्यों में GST और रॉयल्टी को लेकर असमान प्रक्रिया के कारण विवाद, आपत्तियां और भुगतान अटकने की शिकायतें सामने आती रही हैं। अब एकरूप प्रणाली लागू होने से ठेकेदारों की मनमानी, विभागीय भ्रम और वित्तीय अनिश्चितता पर विराम लगने की उम्मीद है।

 

 
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