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कोरबा मेडिकल कॉलेज बना मौत का कारखाना, ऑक्सीजन के बिना तड़पता रहा युवक, सिस्टम देखता रहा तमाशा — डॉक्टर नहीं जल्लाद, अस्पताल नहीं कसाईखाना !

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 कोरबा मेडिकल कॉलेज बना मौत का कारखाना 

ऑक्सीजन के बिना तड़पता रहा युवक, सिस्टम देखता रहा तमाशा — डॉक्टर नहीं जल्लाद, अस्पताल नहीं कसाईखाना !

कोरबा। ये खबर नहीं, खौफनाक हकीकत है — कोरबा के स्व. बिसाहू दास महंत मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक ज़िंदा इंसान को इलाज के नाम पर तिल-तिल मार डाला गया। 24 साल का अनिकेत यादव ऑक्सीजन के लिए छटपटाता रहा, हाथ-पैर पटकता रहा, लेकिन नर्सिंग स्टाफ, डॉक्टर और पूरा सिस्टम जैसे कंबल ओढ़कर बैठा था।

इलाज नहीं, इंतज़ार मिला — और मौत ने गले लगा लिया !

22 मई की सुबह पेट दर्द लेकर आया युवक ब्लड टेस्ट, सोनोग्राफी, सिटी स्कैन जैसे झोलाछाप सिस्टम की उलझनों में फंसता गया। जब तक टेस्ट पूरे हुए, तब तक अनिकेत की हालत बिगड़ चुकी थी।
सांसें उखड़ रही थीं, आंखें उलट रही थीं — लेकिन डॉक्टर का जवाब था,
“ऑक्सीजन कब देंगे, ये हम नहीं बता सकते !”

ये हत्या है, इलाज नहीं !

ये मौत किसी बीमारी से नहीं हुई — ये सरकारी मेडिकल सिस्टम के हाथों की गई सुनियोजित हत्या है।
कहना गलत नहीं होगा कि यह अस्पताल नहीं, मौत की फैक्ट्री है, जहाँ डॉक्टर की डिग्री लापरवाही के लिए दी जाती है।
यहाँ पर दया नहीं, लापरवाही का टारगेट पूरा किया जाता है।

 डॉ. गोपाल कंवर का तमाशा

मौत के बाद पहुंचे अस्पताल अधीक्षक डॉ. गोपाल कंवर ने मौके पर ऐसा बर्ताव किया जैसे किसी मशीन का पुर्जा फेल हो गया हो।
“जांच-कार्रवाई होगी, देखेंगे…” जैसे घिसे-पिटे जुमले उछालकर अपनी जिम्मेदारी से बचते दिखे — जैसे अनिकेत की जान का कोई मोल ही नहीं।

एक और शर्मनाक हरकत — दूसरे मरीज का ऑक्सीजन सपोर्ट भी काट दिया गया !

जब परिजन हंगामा कर रहे थे, उसी दौरान एक और मरीज का ऑक्सीजन सपोर्ट बिना सूचना के बंद कर दिया गया।
ये सिर्फ़ लापरवाही नहीं, जानलेवा खिलवाड़ है — जिसकी सजा सिर्फ माफीनामा नहीं, सीधी बर्खास्तगी और जेल होनी चाहिए।

कोरबा के प्रशासन समेत जनता को जागने की जरूरत है — अब और खामोश मत रहो !

 कोरबा, अब खामोश मत रहो !

– क्या तुम्हारे बेटे की मौत यूं ही फाइलों में दबा दी जाएगी?
– क्या तुम इस ‘अस्पताल’ को माफ करोगे जहाँ ऑक्सीजन मिलना किस्मत की बात हो गई है ?
– क्या अब भी तुम्हारा खून नहीं खौलेगा?

अगर इस सिस्टम को ठीक नहीं किया गया, तो अगली लाश किसी और अनिकेत की होगी — और तब कोई तुम्हारी चीख नहीं सुनेगा।

अब बहुत हो गया —

लापरवाह डॉक्टरों और एमएस को सस्पेंड नहीं, गिरफ्तार करो।
प्रबंधन को जांच नहीं, चार्जशीट दो।

वरना हर घर में एक अनिकेत होगा और सिस्टम कहेगा — “हम कुछ नहीं कर सकते…”

 

 
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