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आरिफ मोहम्मद खान बने केरल के राज्यपाल, कलराज मिश्रा भेजे गए राजस्थान, जानें कहां-कौन

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इसके अलावा बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वहीं, आरिफ मोहम्मद खान को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। इसके अलावा तमिलिसाई सौंदराजन को तेलंगाना का राज्यपाल बनाया गया है। राष्ट्रपति भवन की विज्ञप्ति के अनुसार, ये सभी नियुक्तियां पदभार संभालने के दिन से प्रभावी होंगी।
कौन हैं आरिफ मोहम्मद खान
पूर्व कांग्रेसी केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान राजीव गांधी की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। साल 1951 में उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में जन्मे आरिफ मोहम्मद खान पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। उनके पास ऊर्जा से लेकर नागरिक उड्डयन तक के कई पोर्टफोलियो रहे हैं। आरिफ मोहम्मद खान ने दिल्ली के जामिया मिलिया स्कूल से पढ़ाई की। उसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और लखनऊ के शिया कॉलेज से उच्च शिक्षा हासिल की। आरिफ मोहम्मद खान छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं। वह प्रारंभिक दिनों में ही राजनीति से जुड़ गए। उन्होंने स्टूडेंट लीडर के तौर पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। भारतीय क्रांति दल नाम की स्थानीय पार्टी के टिकट पर पहली बार आरिफ खान ने बुलंदशहर की सियाना सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा था, मगर वह हार गए थे। फिर महज 26 साल की उम्र में 1977 में आरिफ मोहम्मद खान पहली बार विधायक चुने गए।
भगत सिंह कोश्यारी
भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को उत्तराखंड के बागेश्वर जिले स्थित नामती चेताबागड़ गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रराम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा में पूरी की और उसके पश्चात उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेज साहित्य में आचार्य की उपाधि प्राप्त की। कोश्यारी 2001 से 2002 तक उत्तराखंड के सीएम भी रहे हैं, उसके बाद 2002 से 2007 तक उत्तराखंड विधानसभा में नेता विपक्ष भी रहे। वर्ष 2008 से 2014 तक वे उत्तराखंड से राज्यससभा के सदस्य चुने गए थे। आरएसएस से भगत सिंह कोश्यारी की काफी नजदीकी रही है। 1977 के आपातकाल के दौरान जेल भी जाना पड़ा था। अब उन्हें राष्ट्रपति द्वारा महाराष्ट्र के राज्यपाल के तौर पर नियुक्त किया गया है।
कलराज मिश्र
भाजपा के विरष्ठ नेता कलराज मिश्र राजस्थान के नए राज्यपाल होंगे। अभी तक वे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इससे पहले कलराज मिश्र मोदी सरकार में 2017 तक सूक्ष्‍म, लघु और उद्यम मंत्री (एमएसएमई) रहे। वह तीन बार राज्‍यसभा के भी सदस्‍य रह चुके हैं। कलराज मिश्र ने 2019 के चुनाव से पहले लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया था। इसके पीछे उन्होंने कारण बताया था कि उन्हें अहम जिम्‍मेदारियां दी गई हैं, जिसके चलते वे अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। बता दें कि 2014 के बाद 75 साल से अधिक आयु के कई वरिष्‍ठ नेता सक्रिय राजनीति से रिटायर हो गए थे। यही माना जा रहा था कि इसी आधार पर 2017 में कलराज मिश्र ने मंत्री पद से इस्‍तीफा दे दिया था। यूपी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहने के अलावा वह तीन बार राज्यसभा सांसद और एक बार देवरिया से लोकसभा सदस्य भी रहे।

 
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