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इस मामले में कांग्रेस-भाजपा ने मिलाये सुर में सुर, राज्य सरकार पर साधा निशाना, जानें क्या है पूरा मामला

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कोलकाता: अमूमन हर विषय पर अलग विचार रखने वाली देश की दो सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी पश्चिम बंगाल हिंसा के मुद्दे पर एक साथ नजर आ रही है. (West bengal Panchayat Election Violence) दोनों ही दलों के नेताओं ने पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में हुई हिंसा पर खेद जताया है, साथ ही राज्य सरकार पर सुरक्षा में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.

इस प्रकरण पर भाजपा के नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा में 21 लोग मारे गए इसकी CBI जांच होनी चाहिए। हमने 6,000 बूथों पर दोबारा मतदान कराने को लेकर राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। मृतकों के परिवार और घायलों को सहायता राशि प्रदान करनी भी मांग है.

इसी तरह कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमारी तीन मांगे हैं पहला पीड़ितों को मुआवज़ा राशि दी जाए, दूसरा घायलों का पूरा इलाज कराया जाए और तीसरा इलाज के साथ-साथ वित्तीय सहायता दी जाए। हमने यह भी मुद्दा उठाया कि पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा होने की पूरी संभावना थी तो पहले से राज्य सरकार की ओर से तैयारी क्यों नहीं की गई। साथ ही हिंसा क्यों हुई? इतने लोग मारे गए, इसकी सख्त रूप से जांच होनी चाहिए.

बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग
वही कल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में सभी जिलों में बूथ पर कब्जा किए जाने, (West bengal Panchayat Election Violence) धांधली और फर्जी मतदान का जिक्र करते हुए दावा किया गया कि ‘मतदान के दिन ही राजनीतिक हिंसा में 15 मौतें हुईं.’ राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने मांग की कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाए या अनुच्छेद 355 का इस्तेमाल किया जाए.

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