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पैसे सरकारी और जनता से गद्दारी, पूर्व मेयर के कार्यकाल में चहेते ठेकदारों को सफाई का ठेका देकर निगम के खजाना करते रहे साफ, नियम दरकिनार कर करोड़ों का खेल,,, राजकिशोर के राज में अब भी खेला है जारी…

 

कोरबा। ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क,,,  पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के कारनामों से तो आप सभी वाकिफ हैं। अब उनकी धर्मपत्नी और नगर निगम कोरबा की पूर्व महापौर श्रीमती रेणु अग्रवाल के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के पुलिंदे भी पढ़ लीजिए।

शहर की जनता ने बड़े विश्वास के साथ वर्ष 2015 में निगम के महापौर की कुर्सी रेणु अग्रवाल को सौंपी थी। पर उन्हीं के कार्यकाल में इस विश्वास पर कुठाराघात कर भ्रष्टाचार की एक ऐसी नई परंपरा शुरू की गई, जो मौजूदा मेयर राजकिशोर प्रसाद के राज में भी जारी है। साल 2015 में ही निगम क्षेत्र के अलग अलग वार्डों का सफाई ठेका पहले तो चहेते ठेकेदारों में रेवड़ी की तरह बांट दिया गया। इसके बाद एग्रीमेंट की तय दर में नियम विरुद्ध फेरबदल करते हुए एकाएक रकम बढ़ा दी गई।

सफाई कार्य के लिए श्रमिकों के लिए प्रति व्यक्ति प्रतिदिन भुगतान की जिस दर पर टेंडर के वक्त जो निर्णय हुआ था, ठेकेदार को फायदा पहुंचाने उसे बाद में अवैध रूप से बढ़ा दिया गया। इस तरह निगम के खजाने की सफाई का एक नया खेल शुरू हो गया और करोड़ों का गोलमाल किया जाने लगा। निविदा अनुबंध तथा निगम एक्ट का उल्लंघन करते हुए शहर के ही 18 वार्डों के ठेके पर करोड़ों के गबन की सोची समझी साजिश रची गई।

इस मामले को उजागर करते हुए समाजसेवी अब्दुल सुल्तान ने आरटीआई में यह बड़ी जानकारी हासिल की और करोड़ों के भ्रष्टाचार का पदार्फाश किया। उन्होंने इस की शिकायत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से की है। नगर निगम कोरबा को भ्रष्टाचार के अड्डे में तब्दील कर देने वाली पूर्व महापौर श्रीमती रेणु अग्रवाल, मेयर इन काउंसिल के सदस्य, तत्कालिन निगम आयुक्त, तत्कालिन मुख्य लेखा अधिकारी पीआर मिश्रा, तत्कालिन लेखा अधिकारी आनंद गुप्ता, तत्कालिन स्वास्थ्य अधिकारी व्हीके सारस्वत, तत्कालिन आॅडिटर मेसर्स बोरकर एण्ड मजुमदार मुम्बई, ठेकेदारों मेसर्स बरून गोस्वामी कस्ट्रक्शन कोरबा, मेसर्स राजीव जायसवाल कोरबा, मेसर्स राजेश्वरी सन्स कोरबा और अकेले चार अलग क्षेत्रों का ठेका हथियाने वाले एसएन अग्रवाल, सफाई शाखा के इस कृत्य में सम्मिलित अन्य अधिकारी व कर्मचारी, लेखा पाल शाखा के इस कृत्य में सम्मिलित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों, आॅडिट शाखा के इस कृत्य में सम्मिलित अन्य अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध एकराय होकर षड़यंत्र पूर्वक फर्जी व अवैध भुगतान करने, निगम की राशि का गबन करने के संबंध में अपराध पंजीबद्ध करने की मांग की गई है।

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18 वार्ड 7 मामले, आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में मामला दर्ज, सीएम तक शिकायत, जल्द हो सकती है कार्रवाई
सुचना के अधिकार से कुल 7 मामले में नगर निगम में करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा किया गया है।

इनमें जल्द कार्यवाही हो सकती है और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में भी मामला दर्ज हो चुका है। मामले में पुन: मुख्यमंत्री से शिकायत की गई है।

तीन वार्ड एमपी नगर, चार वार्ड कोरबा टाउन, दो वार्ड शिवाजीनगर, रवि कृष्णानगर, दो वार्ड बुधवारी व काशीनगर, दो वार्ड डॉ आरपी नगर, पोड़ी बहार, कोसाबाड़ी, तीन वार्ड शारदा विहार, मुड़ापार, अमरैया पारा क्षेत्र और लालूराम कॉलोनी, टीपी नगर, राताखार क्षेत्र के दो वार्ड समेत कुल 18 वार्डों में करोड़ों के भ्रष्टाचार का यह खेल जो वर्ष 2015 में शुरू किया गया था, वह बदस्तूर आज भी जारी है।

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इस फर्जीवाड़ा व करोड़ों के भ्रष्टाचार को ऐसे समझें

वैसे तो 18 वार्डों में सफाई ठेके पर किए गए भ्रष्टाचार की सीमा का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, पर तरीके पर गौर किया जा सकता है। उदाहरण के लिए वार्ड 22, 24 व 25 में एमपी नगर व साडा कॉलोनी क्षेत्र के लिए मेसर्स एसएन अग्रवाल को ठेका दिया गया। 25 अप्रैल 2015 से जुलाई 2015 तक अनुबंधित दर 296 रुपये प्रति श्रमिक, प्रति दिवस के हिसाब से भुगतान किया गया। बाद में जुलाई 2017 से दर में बढ़ोत्तरी कर 372 रुपये प्रति श्रमिक, प्रति दिवस भुगतान प्रारंभ किया गया। जब अंतिम देयक तैयार किया गया, तो प्रारंभ से अंतिम तक 372 रुपये प्रति श्रमिक, प्रति दिवस के दर से भुगतान बिल तैयार किया गया और कुल 79 लाख 31 हजार 040 रुपये का भुगतान किया गया। जबकि अनुबंध के अनुसार 296 रुपये प्रति श्रमिक, प्रति दिवस के हिसाब से 63 लाख10 हजार 720 रुपये होता था। इस प्रकार कुल 16 लाख 20 हजार 320 रुपये का फर्जी और अवैध भुगतान किया गया। इसी तरह से वर्ष 2015 से अब तक सात मामलों में करोड़ों का भ्रष्टाचार किया जा चुका है।

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