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कोरबा के प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ियों के साथ हो रहा खुला अन्याय: जिला फुटबॉल संघ की लापरवाही से लगातार तीसरे साल टीम टूर्नामेंट से बाहर

कोरबा 18 सितंबर : नेताजी सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम, एनटीपीसी कोरबा टाउनशिप में सीनियर महिला इंटर-जिले राज्य स्तरीय फुटबॉल चैम्पियनशिप 2024-25 का आयोजन तो धूमधाम से हुआ, लेकिन यह आयोजन कोरबा के फुटबॉल प्रेमियों और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के साथ हो रही गंभीर नाइंसाफी को एक बार फिर उजागर करता है।

यह सोचने वाली बात है कि जहां राज्यभर की टीमें इस मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए जुटी हैं, वहीं कोरबा की महिला फुटबॉल टीम पिछले तीन सालों से इस टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले रही है। और यह मामला केवल महिला टीम तक सीमित नहीं है—कोरबा की U-14, U-16, U-19, U-21 और सीनियर पुरुष टीमों का भी पिछले कई वर्षों से किसी भी बड़े टूर्नामेंट में नामोनिशान नहीं है। यह स्थिति कोरबा के फुटबॉल विकास के प्रति गंभीर उदासीनता और खिलाड़ियों के भविष्य के साथ खुला अन्याय है।

इसकी शुरुआत जनवरी 2022 में तब हुई, जब जिला फुटबॉल संघ के सचिव की मृत्यु के बाद, अध्यक्ष जयसिंह अग्रवाल ने बिना किसी पंजीकृत क्लब से चर्चा किए पवन गुप्ता को कार्यकारी सचिव नियुक्त कर दिया। यह नियुक्ति कोरबा फुटबॉल संघ में विवाद का कारण बनी, और तब से अब तक, कोरबा की किसी भी टीम ने न तो राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है और न ही खिलाड़ियों को कोई उचित मंच मिला है।

कोरबा में फुटबॉल का यह हाल तब है, जब NTPC ने इस खेल को गोद लेकर इसे बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं और पूरे राज्य के टूर्नामेंट यहीं आयोजित होते हैं। बावजूद इसके, कोरबा के स्थानीय खिलाड़ी मैदान में उतरने के लिए तरस रहे हैं। ऐसे समय में जब जिले के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाने की क्षमता रखते हैं, उन्हें फुटबॉल संघ की आंतरिक राजनीति और खराब प्रबंधन का शिकार बनाया जा रहा है।

यह स्थिति सिर्फ खेल के लिए नहीं, बल्कि कोरबा के युवाओं के भविष्य के लिए भी चिंता का विषय है। प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को न सिर्फ उनके खेल कौशल को निखारने से रोका जा रहा है, बल्कि उनके सपनों को भी कुचल दिया जा रहा है। फुटबॉल के प्रति समर्पण रखने वाले खिलाड़ियों के लिए यह बेहद दर्दनाक है कि वे अपने ही शहर में आयोजित हो रहे टूर्नामेंट में भाग नहीं ले सकते।

कोरबा में हर साल बड़े स्तर पर फुटबॉल टूर्नामेंट होते हैं, जिनमें राज्यभर की टीमें हिस्सा लेती हैं, लेकिन कोरबा के खिलाड़ी अपनी ही धरती पर खेलने के हक से वंचित हैं। यह किसी मजाक से कम नहीं कि जहां NTPC फुटबॉल को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है, वहीं जिला फुटबॉल संघ की लापरवाही ने खिलाड़ियों के सपनों को दफन कर दिया है।

आज समय आ गया है कि जिला फुटबॉल संघ के इस अनुचित रवैये पर सवाल उठाया जाए। अगर जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो कोरबा का फुटबॉल भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। कोरबा के खिलाड़ी यह जानने के हकदार हैं कि कब उन्हें उनके अपने जिले में खेलने का अवसर मिलेगा, और कब यह अन्याय खत्म होगा।

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