June 27, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान हेतु उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के निर्देश पर टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर जारीछत्तीसगढ़ श्रमजीवी पत्रकार संघ ने पद्मश्री पं. सुरेंद्र दुबे को दी श्रद्धांजलियुवक के हाथ-पैर बांधकर बोलेरो से 7 बार कुचला:मौत नहीं हुई तो पत्थर से सिर फोड़ा, फिरौती के लिए मर्डर,3 आरोपियों को उम्रकैद…पदक प्राप्त राष्ट्रीय खिलाड़ियों का सम्मानराज्यपाल ने गोद ग्राम सोनपुरी के विकास कार्यों का लिया जायजामंत्रिमंडलीय उप समिति का फैसला : चावल जमा की समय-सीमा 5 जुलाई तक बढ़ीपद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर सांसद बृजमोहन ने जताया गहरा शोकपद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन पर सीएम साय ने जताया शोकसुदूर अंचल में वन विभाग की ऐतिहासिक पहल, कूप कटाई और वन संसाधनों से ग्रामीणों को मिला नया सहाराकेंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने मीसा बंदियों का किया सम्मान
Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

कोरबा, – बरसात में 15 अक्टूबर तक प्रतिबंध के बावजूद ग्रामीण इलाके से ज्यादा  शहर में रात के अंधेरे में रेत चोरी की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। गेरवा घाट, सीतामणी, सर्वमंगला नगर, आज़ाद नगर, बरबसपुर, रिसदा, रिसदी, ढेंगुर नाला, भिलाई खुर्द और दोन्द्रों जैसे स्थानों से बड़े पैमाने पर रेत की चोरी हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकांश रेत बालको के ब्लीचिंग प्लांट में जा रही है, जिससे क्षेत्र में अवैध रेत खनन का व्यापक जाल फैल चुका है।

रेत चोरी का यह धंधा केवल ट्रैक्टरों तक ही सीमित नहीं है; अब इसमें टिपर का भी बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। इन भारी वाहनों के माध्यम से रात में रेत का अवैध परिवहन किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में रेत माफिया की गतिविधियां बढ़ रही हैं। रेत माफिया विभागीय खानापूर्ति के लिए अपनी सैकड़ों गाड़ियों में से 2-3 गाड़ियों पर दिखावटी कार्रवाई करवाते हैं, और एक दिन के भीतर ही ट्रैक्टर से लेकर टिपर तक छूट जाते हैं।

रेत चोरी कर जा रहे ट्रैक्टर और टिपर की रफ्तार काफी तेज होती है, जिससे हादसे का खतरा हमेशा बना रहता है। पूर्व में सीतामणी में ऐसी ही एक घटना घटी थी, जिसमें चोरी की रेत ले जा रहे एक तेज रफ्तार ट्रैक्टर ने एक पिता और पुत्र की जान ले ली थी। इस प्रकार की घटनाओं से स्थानीय निवासियों की जान को हमेशा खतरा बना रहता है, जिससे उनका आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

विभाग के अधिकारी नहीं सुनते शिकायत

खनिज विभाग के अधिकारियों को जब स्थानीय लोग फोन करते हैं, तो वे मौके पर नहीं पहुंचते। स्थिति तो यह है कि पुलिस थाने के सामने से रेत से भरे ट्रैक्टर और टिपर बेरोक-टोक निकल रहे हैं, जबकि पुलिस सब कुछ आंखें बंद करके देखती है। इस संबंध में स्थानीय लोगो ने कई बार शिकायतें दर्ज कराई हैं, लेकिन कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत के बिना इस स्तर पर अवैध रेत खनन संभव नहीं हो सकता।

हर रोज लाखो की निकलती है अवैध रेत

इस अवैध रेत खनन से राज्य सरकार को कोरबा से ही हर रोज करीब 3 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। वहीं, इस अवैध कारोबार के आड़ में करीब 1 लाख रुपये की प्रतिदिन की अवैध वसूली हो रही है। रेत माफिया अपने मुनाफे के लिए कानून की धज्जियां उड़ाते हुए जनता को भी महंगे दामों पर रेत बेच रहे हैं, जिससे आम आदमी की परेशानी बढ़ गई है।

रेत चोरी की गाड़ियां सुबह अंदर रात को बाहर

रेत माफिया इस कदर इस अवैध कार्य को संगठित स्तर पर चला रहे है कि विभाग के कागज का पेट भरने हर 3-4 रोज में सुबह बिना बोले अपनी सैकड़ो गाड़ियों में से 3-4 गाड़ियों को कार्रवाई के लिए भेजते है फिर देर शाम मामूली जुर्माने के अदा कर चोरी के खेल में शामिल हो जाते है। इससे विभागीय अधिकारियों को मौके पर जाना नहीं होता है और घर बैठे उनको कार्रवाई मिल जाती है। रेत तस्करों ने अवैध घाट बना कोरबा की जीवनदायिनी हसदेव का सूरत ए हाल बिगाड़ दिया है। तस्कर पानी के नीचे से रेत को निकाल रहे है जबकि एनजीटी का साफ निर्देश है कि रेत उत्खनन स्वीकृत घाटों में 3 मीटर तक या फिर पानी मिलते तक जो पहले आये वहीं तक रेत निकालना है। लेकिन रुपयों के लालच ने सेंड माफियाओ को प्राकृतिक धरोहर से खेलने की पूरी छूट दे रखी है।

स्थानीय लोगो में बढ़ रहा आक्रोश

रेत चोरी के कारण स्थानीय निवासियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। तेज रफ्तार से चलने वाले ट्रैक्टर और टिपर अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, जिससे लोगों की जान को खतरा बना रहता है। इस प्रकार की घटनाओं से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने कई बार मौके पर जाकर नदी और सड़क की हालत ख़राब कर रहे अवैध कारिदों को रोकने का प्रयास भी किया है लेकिन बदले में सिर्फ मिली है तो धमकी, मारपीट और गुंडागर्दी ! कुछ साल पहले गेरुवा घाट में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर खूनी संघर्ष भी हो चुका है। बावजूद पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता के चलते स्थिति जस की तस बनी हुई है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं होती है, तो वे बड़े स्तर पर प्रदर्शन करेंगे। उनका मानना है कि केवल कठोर और सख्त कार्रवाई से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वह खनिज विभाग हो, राजस्व अमला हो या फिर पुलिस के जरिए रेत माफिया के खिलाफ सख्त कदम उठाए और अवैध रेत खनन को रोके। साथ ही, उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो इस धंधे में मिलीभगत कर रहे हैं।

अंततः, कोरबा में रेत चोरी की बढ़ती घटनाएं न केवल पर्यावरणीय क्षति पहुंचा रही हैं, बल्कि आम जनता के लिए भी खतरा बनी हुई हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन कब इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेता है और उचित कदम उठाता है। स्थानीय निवासियों की उम्मीदें अब केवल प्रशासन की कड़ी कार्रवाई पर टिकी हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close