छत्तीसगढ़

नक्सल मिलिट्री चीफ देवजी को एमएमसी जोन का प्रभार

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राजनांदगांव, 19 जनवरी। नक्सल संगठन के मिलिट्री चीफ देवजी उर्फ तिरूपति को महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोन का नया प्रभारी बनाए जाने की खबर से खुफिया एजेसियों के कान खड़े हो गए है। बस्तर से लेकर राजनांदगांव के नक्सल इलाको में देवजी को एमएमसी जोन का मुखिया बनाए जाने की खबर की सुरक्षा एजेंसियां तस्दीक कर रही है। सूत्रों का कहना है कि दीपक तिलतुमड़े के मारे जाने के बाद से एमएमसी जोन को नए सिरे से खड़ा करने के लिए संगठन स्तर पर कई दौर की बैठके हुई। देवजी के नाम पर संगठन में देवजी के नाम को प्रस्ताव के बाद मंजूर कर लिया गया है। हालांकि देवजी को प्रभार सौपें जाने को लेकर महाराष्ट्र पुलिस की राय एकदम अलग है। सूत्रों का कहना है कि देवजी राष्ट्रीय स्तर पर मिलिट्री चीफ के तौर पर काम कर रहा है ऐसे में महज तीन-चार जिलों के सीमा वाले एमएमसी जोन में काम करने की संभावना सिर्फ अटकलेबाजी है। वही देवजी को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस के शीर्ष अफसर मान रहे है कि नक्सलियो को एक मजबूत चहेरे में देवजी एकमात्र चहेरा है। इसलिए प्रभार देने के निर्णय को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। सूत्रों का कहना है कि एमएमसी जोन में देवजी के अपनी बड़ी फौज के साथ धमकने की खबर से तीनों राज्यों की सरहद की पुलिस हाईअर्लट में है। इधर पिछले कुछ महीनों से दीपक तिलतुमड़े की जगह मुरली नामक हार्डकोर नक्सली को प्रभार बनाए जााने की चर्चा थी। 13 नवंबर 2021 को एमएमसी जोन के लिए निकले दीपक और उसके 26 साथियों को गढ़चिरौली पुलिस ने राजनांदगांव के सरहदी गांव में मार गिराया था। सूत्रों का कहना है कि दीपक के मारे जाने से नक्सल संगठन हिल गया है। चर्चा है कि फोर्स पर जवाबी हमला करने के लिए नक्सली हर तरह की पैतरेबाजी भी कर रहे है। ऐसे में एमएमसी जोन को नए प्रभारी के हाथ सौपें जाने के लिए शीर्ष नक्सली बैठके और रणनीति बना रहे थे।

एमएमसी जोन क्यों है जरूरी
एमएमसी जोन नक्सलियों के लिए एक ुसुरक्षित कॉरीडोर माना जाता है। दरअसल एमएमसी जोन के रास्ते नक्सली अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाते अपना वर्चस्व बनाना चाहते है। वही बस्तर में फोर्स के बढ़ते दखल से बचने के लिए नक्सली एमएमसी जोन में नया ठिकाना बनाने की फिराक में भी है। सूत्रों का कहना है कि नए टेक्नोलॉजी के चलते नक्सल नेताओं तक सुरक्षाबल अब पहुंचने लगे है। नक्सल संगठन अपने नेताओं की सुरक्षा को लेकर एमएमसी जोन के घने जंगलो को बेहतर पनाहगाह मान रहा है। इस कॉरीडोर के जरिए नक्सली अमरकंटक तक अपनी जड़े मजबूत करने के लिए आगे बढऩे का मंसूबा पाले हुए है। यही कारण है कि एमएमसी जोन को मजबूत करने के लिए नक्सली हाथ-पैर मार रहे है।

 
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