छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में उड़िया पढ़ाई! शिक्षा विभाग बेखबर

कौन दे रहा है इजाजत, विभाग क्यों अनजान
बिलाईगढ़ । छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में राज्य भाषा और मातृभाषा को छोड़कर उड़िया पढ़ाई जा रही है। यह सिलसिला कोई नया नहीं है। करीब बारह साल से यह चल रहा है। सवाल यह है कि आखिर इसकी जरूरत किसने बताई, इसकी अनुमति किसने दी और क्या शिक्षा विभाग इस पूरे मामले से अनजान है। देखिए खास रिपोर्ट।
हम बात कर रहे हैं सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के उन सरकारी स्कूलों की, जिनकी संख्या करीब 143 है। ये सभी स्कूल उड़ीसा बॉर्डर के पास आते हैं। यहां पिछले दस से बारह साल से बच्चों को उड़िया भाषा में पढ़ाया जा रहा है। यह पढ़ाई न तो राज्य भाषा के सिलेबस में है और न ही शिक्षा विभाग की किसी आधिकारिक सूची में।
इतना ही नहीं। इन स्कूलों में उड़िया पढ़ाने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति भी की गई है। लेकिन इनका वेतन छत्तीसगढ़ सरकार नहीं दे रही। यह खर्च एक निजी संस्था उठा रही है। जब मामला सामने आया, हमारी टीम ने जांच शुरू की और कई चौंकाने वाली बातें पता चलीं।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि बरमकेला विकासखंड के शिक्षाधिकारी को इस पूरी व्यवस्था की जानकारी ही नहीं है। जबकि यह सब सरकारी शिक्षकों की मौजूदगी में सालों से चलता आ रहा है। किसी भाषा से समस्या नहीं है, मुद्दा यह है कि सरकारी स्कूलों में तय सिलेबस की जगह किसी दूसरे राज्य की भाषा पढ़ाई जा रही है। और यह बिना अनुमति के हो रहा है।
जब हमारी टीम ने इस पर सवाल किया, बरमकेला के विकासखंड शिक्षाधिकारी ने साफ कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा हो रहा है तो यह गलत है। विभाग जांच करेगा और जिम्मेदारों पर कार्रवाई भी होगी।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि बिना अनुमति के किसी बाहरी संस्था को उड़िया पढ़ाने की इजाजत किसने दी। यह व्यवस्था कौन चला रहा है। और यह सब शिक्षा विभाग की नजर से बचकर कैसे चल रहा था। जांच के बाद सच सामने आएगा।

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