जगदलपुर। माओवादी आंदोलन के इतिहास में यह सप्ताह निर्णायक साबित हुआ है। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में बीते तीन दिनों के भीतर पोलित ब्यूरो सदस्य एवं केंद्रीय क्षेत्रीय ब्यूरो (सीआरबी) सचिव भूपति और केंद्रीय समिति सदस्य तथा दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) प्रवक्ता रूपेश उर्फ विकल्प समेत 271 माओवादियों के सामूहिक रुप से पुर्नवासित होकर पुर्नजीवन की ओर बढ़ने के कदम ने संगठन की कमर तोड़ दी है।
इस घटना के साथ ही बस्तर में माओवादी हिंसा के विरुद्ध संघर्ष का अंतिम अध्याय प्रारंभ हो गया है। बस्तर, कोंडागांव और दंतेवाड़ा जिले पहले ही माओवादी प्रभाव से मुक्त घोषित हो चुके हैं।
नारायणपुर, कांकेर और अबूझमाड़ के जंगलों से भी माओवादी प्रभाव लगभग समाप्त हो गया है।
यानी, बस्तर का आधे से अधिक भूभाग अब माओवादी मुक्त हो चुका है।
अब माओवादी प्रभाव केवल दक्षिण बस्तर के बीजापुर और सुकमा जिलों के सीमावर्ती इलाकों तक सिमट गया है। सुरक्षा बलों की रणनीति अब इन्हीं क्षेत्रों में निर्णायक दबाव बनाने पर केंद्रित होगी। फिलहाल पोलित ब्यूरो सदस्य और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन प्रमुख देवजी, पूर्व महासचिव गणपति, केंद्रीय समिति सदस्य एवं बटालियन प्रभारी हिड़मा, तेलंगाना स्टेट कमेटी सचिव चंद्रन्ना और डीकेएसजेडसी सदस्य बारसे देवा को संगठन के शेष नेतृत्व के रूप में देखा जा रहा है।

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