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कोरबा में झूठ की दुकानदारी का पर्दाफाश : जयसिंह अग्रवाल का “फेसबुक उद्घाटन” औंधे मुंह गिरा, जनता ने सुनाया असली जनादेश ! पढ़िए लखन को बदनाम करने की साजिश कैसे हुई पर्दाफाश…

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कोरबा। राजनीति में सच्चाई और झूठ का द्वंद्व नया नहीं, लेकिन इस दीपावली कोरबा में जिस तरह से झूठ की दुकान सजाने की कोशिश हुई, उसने पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल को सियासत के कटघरे में खड़ा कर दिया है। होटल स्टे ऑरा के धार्मिक फातिहा कार्यक्रम में शामिल हुए अग्रवाल साहब ने तस्वीरें खींची, कैप्शन में उद्घाटन का दावा ठोंक दिया और फेसबुक की दुनिया में “मैंने होटल का शुभारंभ किया” का झंडा फहरा दिया—मगर हकीकत की आँच में यह झंडा पल में राख हो गया।

असली उद्घाटन, साजिश की नाकामी

कोरबा की जनता कोई अंधी भीड़ नहीं, यह नगर सच्चाई का किला है ! होटल स्टे ऑरा का असली उद्घाटन 20 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ सरकार के कद्दावर मंत्री लखनलाल देवांगन और महापौर संजू राजपूत की मौजूदगी में धूमधाम से हुआ—जिसकी खबर पहले से बैनर, पोस्टर और आमंत्रण कार्ड के जरिये चारों तरफ फैल गई थी। कार्यक्रम में शहर के बड़े उद्योगपति, व्यापारी, समाजसेवी और सैकड़ों नागरिक मौजूद रहे—पूरा शहर गवाह बना कि असली शुभारंभ देवांगन ने ही किया।

जयसिंह की चालों पर जनता का प्रहार

अग्रवाल की फेसबुक पोस्ट पर शहर में भारी नाराजगी रही—लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा,

“जिस कार्यक्रम में फीता तक नहीं कटा, उसे उद्घाटन बताना जनता की समझदारी का मजाक उड़ाना है !”

कुछ ने तीखा तंज कसा,

“पहले फेसबुक पोस्ट डाली, बाद में असली उद्घाटन हुआ—ये है नया राजनीतिक जादू !”

फर्जी दावों पर जनता ने साफ कह दिया, “यह कोरबा है साहब, यहाँ पोस्ट नहीं, सच्चाई चलती है !”

चुनावी सबक: कौन असली बेटा, कौन नकली किरदार

तीन बार विधायक, पाँच साल मंत्री और फिर भी हकीकत ये कि जनता ने 2023 के चुनाव में जयसिंह को सिरे से नकार दिया—क्योंकि कोरबा के लोगों के लिए ‘जनता का बेटा’ वही है जो ईमानदारी और काम के दम पर नाम कमा कर आया हो। जनता ने लखनलाल देवांगन को विधायक बनाया, सरकार ने उनकी हर उपलब्धि का सम्मान करते हुए पहले उनको श्रम व उद्योग मंत्रालय दिया बाद में पदोन्नत करते हुए आबकारी और सार्वजनिक उपक्रम विभाग की कमान सौंपी

जनसेवा की असली मिसाल !साजिशों की राजनीति हर बार फेल

पूर्व मंत्री की यह पहली कोशिश नहीं, बार–बार फर्जी प्रचार, झूठी अफवाहें और श्रेय चुराने की नौटंकी चली, मगर कोरबा ने हर बार झूठ को ठुकरा दिया।जनता के भरोसे को तोड़ने वाली “क्रेडिट पॉलिटिक्स” आज पूरे शहर के लिए मजाक बन गई—क्योंकि कोरबा की अदालत में सच की कीमत, फोटो-पोस्ट से कहीं बड़ी है !

जनता का बहिष्कार—झूठ के सौदागर बाहर !

कोरबा की जनता जानती है कि कौन असल में उनका बेटा है, और कौन झूठ की दुकान खोल के तिजोरी भर रहा है।सोशल मीडिया पर लोगों का कहना, “फेसबुक से उद्घाटन करने वालों को जनता ने 2023 में विश्राम दे दिया, अब दोबारा सच्चाई छुपाने आओगे तो चेहरा ही जल जाएगा !”शहरवासियों ने कहा, “ये कोरबा है, भाई ! यहां ठगों का झूठ नहीं, मेहनतकशों की ईमानदारी चलता है!”बंगले से फेसबुक तक, हर कोशिश नाकामसियासी गलियारों से लेकर चौक–चौराहों तक यही चर्चा है—होटल के फोटो में अपना चेहरा दिखाकर सस्ती लोकप्रियता पाने वाले, बार-बार झूठ फैलाकर कभी होटल तो कभी जनकार्य का श्रेय लेने पहुंच जाते हैं, मगर जनता के सामने असलियत एक दिन उजागर हो ही जाती है। नतीजा : झूठ का इंद्रजाल रचने वाले नेता अब खुद अपनी छाया से डरने लगे हैं—क्योंकि कोरबा में ना बैनर झूठ बोलते हैं, ना जनता बहकती है। यहां सिर्फ उनकी जयजयकार होती है, जो सच्चे मन से, बेदाग काम से, जनता का सिर ऊंचा करते हैं।
जयसिंह अग्रवाल की झूठ की राजनीति फिर औंधे मुंह गिरी—कोरबा के इतिहास में आज यह दिन दर्ज हो गया!

 
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