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भाजपा का कथित नेता नूतन राजवाड़े फिर विवादों में : सरकारी जमीन पर पेट्रोल पंप के बाद अब उज्ज्वला योजना का गलत लाभ

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कोरबा। भाजपा का कथित नेता नूतन राजवाड़े एक बार फिर विवादों में घिर गया है। पहले सरकारी जमीन पर कब्जा कर ग्राम कनकी में पेट्रोल पंप निर्माण और जप्त पेट्रोल-डीज़ल को चोरी से बेचने के आरोप झेल चुका यह नेता अब केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का नियम विरुद्ध लाभ उठाता पकड़ा गया है। जबकि आधिकारिक रिकॉर्ड में इसका परिवार APL (Above Poverty Line – सामान्य परिवार) श्रेणी का है। गरीबों के लिए बनी इस योजना का फायदा लेकर राजवाड़े ने न सिर्फ गरीबों का हक छीना बल्कि भाजपा की छवि पर भी गहरा धब्बा लगाया है।

दस्तावेज़ से हुआ खुलासा

मिली जानकारी के मुताबिक नूतन राजवाड़े की पत्नी शीतू राजवाड़े मुखिया के रूप में राशनकार्ड में दर्ज हैं और परिवार को आधिकारिक रिकॉर्ड में APL श्रेणी का माना गया है। यह विवरण खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। बावजूद इसके, उज्ज्वला योजना के अंतर्गत इस परिवार को एलपीजी कनेक्शन जारी कर दिया गया। योजना के नियमों के अनुसार यह लाभ केवल उन्हीं महिलाओं को दिया जाना चाहिए जो BPL श्रेणी में आती हों और जिनके घर में पहले से LPG कनेक्शन न हो।

गरीबों का हक छीना गया

इस खुलासे से साफ़ हो गया है कि प्रभावशाली लोग योजनाओं का गलत लाभ उठा कर असल जरूरतमंदों का हक छीन रहे हैं। जहाँ हजारों पात्र BPL परिवार आज भी गैस कनेक्शन के लिए इंतजार कर रहे हैं, वहीं ऐसे मामलों से योजना का मूल उद्देश्य ही प्रभावित होता है। यह न सिर्फ गरीबों के साथ अन्याय है बल्कि सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठता है।

पुराना विवादों का इतिहास

नूतन राजवाड़े का नाम पहले भी विवादों से जुड़ा रहा है। ग्राम कनकी में आरोप हैं कि उसने सरकारी जमीन पर पेट्रोल पंप का निर्माण कराया था, जिसका लाइसेंस प्रशासन ने निलंबित किया था। इसके अलावा, जप्त किए गए पेट्रोल और डीजल को चोरी-छिपे बेचने के आरोप भी लगे थे। अब उज्ज्वला योजना का दुरुपयोग करना इस इतिहास को और मजबूत करता है कि वह लगातार नियमों की अनदेखी कर रहा है।

भाजपा की छवि पर प्रभाव

यह मामला सीधे-सीधे पार्टी की छवि पर भी असर डालता है। भाजपा सरकार जहां महिलाओं और गरीबों के उत्थान के लिए योजनाएं चला रही है, वहीं ऐसे कथित नेता इन योजनाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं। स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि क्या पार्टी इस तरह के आरोपों पर कड़ी कार्रवाई करेगी या चुप्पी साधेगी।

विभाग और प्रशासन की जवाबदेही

जब सरकारी रिकॉर्ड में स्पष्ट रूप से APL दर्ज है तब इतने बड़े दुरुपयोग को कैसे मंज़ूर कर लिया गया, यह बड़ा प्रश्न है। क्या यह महज़ लापरवाही थी या मिलीभगत का खेल? इस पर जांच होना आवश्यक है और जिन अधिकारियों ने निगरानी नहीं की, उन पर भी जवाबदेही तय की जाए।

स्थानीय लोग और सामाजिक समूह अब मांग कर रहे हैं कि नूतन राजवाड़े के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई की जाए, उज्ज्वला योजना के तहत लिया गया कनेक्शन रद्द किया जाए और दोषियों के विरुद्ध उत्तरदायी कार्रवाई हो। साथ ही विभागों से पारदर्शिता और रिकॉर्ड की समुचित जाँच की भी माँग उठ रही है।यह मामला दिखाता है कि किस तरह प्रभाव और पहुँच का इस्तेमाल कर कुछ लोग गरीबों के हक पर डाका डाल रहे हैं। अब देखना यह है कि भाजपा और प्रशासन इस कथित नेता पर कैसी कार्रवाई करते हैं — क्या यह मामला भी दब जाएगा या सार्वजनिक जांच और कार्रवाई से न्याय होगा।

 
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