छत्तीसगढ़

हाईकोर्ट में RTO/SRTO पर प्रशासनिक अफसरों की नियुक्ति को चुनौती, कोर्ट ने नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में मांगा जवाब

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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में परिवहन विभाग के कई अधिकारियों ने राज्य शासन द्वारा संयुक्त कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों को सीनियर आरटीओ एवं आरटीओ जैसे तकनीकी पदों पर प्रतिनियुक्ति/पदस्थापना करने की प्रक्रिया को चुनौती दी है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की एकलपीठ ने सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग और परिवहन आयुक्त सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।

यह याचिका परिवहन विभाग में पदस्थ अमित प्रकाश कश्यप, गौरव साहू, विवेक सिन्हा, एसएल लकड़ा, सीएल देवांगन, रविन्द्र कुमार ठाकुर सहित अन्य ने दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रख्यात अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी ने पक्ष रखते हुए दलील दी कि परिवहन विभाग के ये पद पूर्णत: तकनीकी प्रकृति के हैं। इनमें वाहन परीक्षण, सड़क सुरक्षा, मोटरयान अधिनियमों का क्रियान्वयन और यांत्रिक निरीक्षण जैसे कार्य होते हैं। इन जिम्मेदारियों के लिए मैकेनिकल या ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में डिग्रीधारी प्रशिक्षित अधिकारियों की जरूरत है।

मतीन सिद्दीकी ने कोर्ट में तर्क रखा कि छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग अधीनस्थ श्रेणी-III (कार्यपालिक) सेवा भर्ती नियम 2008 और छत्तीसगढ़ परिवहन विभाग (गजटेड) सेवा भर्ती नियम 2010 के तहत इन पदों पर शैक्षणिक योग्यता और तकनीकी अनुभव अनिवार्य है। इसके बावजूद बार-बार प्रशासनिक सेवा (SAS) के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ कर न सिर्फ नियमों की अनदेखी की जा रही है, बल्कि विभागीय योग्य अधिकारियों की पदोन्नति भी रोकी जा रही है।

याचिका में कहा गया है कि यह व्यवस्था संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 16 (समान अवसर का अधिकार) का भी उल्लंघन है। हाईकोर्ट ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए राज्य शासन से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।

 
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