छत्तीसगढ़

आदिवासी किसान की जमीन पर भूमाफियाओं की गिद्ध नज़र, गुंडागर्दी के दम पर कब्जे की कोशिश जारी

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कोरबा। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की जमीनों पर कब्जा करने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। भूमाफिया और दबंग लोग प्रशासन की सुस्ती का फायदा उठाकर गरीबों की पुश्तैनी जमीनों पर अवैध कब्जा कर रहे हैं। ताजा मामला कोरबा जिले के मानिकपुर निवासी खीकराम उरांव का है, जिनकी दादरखुर्द स्थित पैतृक भूमि (खसरा नंबर 848, रकबा 0.400 एकड़) पर कुछ अज्ञात लोगों ने अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश की।

खीकराम उरांव का कहना है कि जब उन्होंने अपनी जमीन पर हो रहे अवैध निर्माण का विरोध किया, तो अतिक्रमणकारियों ने उन्हें गाली-गलौच कर धमकाया और धक्का देकर भगा दिया। इस मामले में उन्होंने कलेक्टर कोरबा को लिखित शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई, जिसके बाद कलेक्टर ने जांच के आदेश जारी किए हैं।

सीमांकन के आदेश के बावजूद दबंगों का कब्जे का खेल जारी

खीकराम उरांव के अनुसार, उनकी जमीन ग्राम दादरखुर्द, तिवारी फार्म हाउस के आगे, हनुमान मंदिर के पास स्थित है। इस पर पहले भी फर्जी दस्तावेज बनाकर कब्जा करने की साजिश रची गई थी, लेकिन मामला उजागर होने के बाद साजिशकर्ता जवाहर अग्रवाल अपराधी साबित हुआ और उसे 7 साल की सजा हुई। इसके बाद प्रशासन ने खीकराम उरांव के पिता के नाम पर जमीन का स्वामित्व बहाल कर दिया।

हालांकि, अब एक बार फिर कुछ अज्ञात भूमाफियाओं द्वारा उस जमीन पर गड्ढे खोदकर निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है। पीड़ित के मुताबिक, उन्होंने इस मामले की शिकायत तहसीलदार कोरबा और कलेक्टर को पहले भी की थी, जिसके बाद सीमांकन के आदेश जारी किए गए थे। लेकिन सीमांकन के दौरान ही दबंगों ने विवाद खड़ा कर दिया, जिसके कारण यह प्रक्रिया अधूरी रह गई।

गुंडागर्दी के बल पर कब्जा, विरोध करने पर धमकी

खीकराम उरांव ने बताया कि आज जब वे अपनी जमीन पर पहुंचे तो वहां कुछ लोग जबरन निर्माण कार्य कर रहे थे। जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उन लोगों ने उन्हें गालियां दीं, धक्का दिया और धमकाते हुए कहा – “जहां जाना है जाओ, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।”

प्रशासन की सुस्ती, गरीबों की जमीन हड़प रहे दबंग

इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक गरीब आदिवासी किसान जिसकी जमीन पहले भी भूमाफियाओं के निशाने पर थी, उसे आज फिर से बेदखली की नौबत झेलनी पड़ रही है। सवाल यह है कि जब कलेक्टर और तहसीलदार के आदेशों के बावजूद अवैध कब्जा नहीं रुक पा रहा है, तो प्रशासन की भूमिका क्या है?
क्या अवैध कब्जाधारियों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है? या फिर भूमाफिया इतने बेखौफ हो गए हैं कि वे खुलेआम गरीब आदिवासियों की जमीन हड़पने की साजिश कर रहे हैं?

कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश – क्या मिलेगा न्याय?
खीकराम उरांव की शिकायत पर कलेक्टर ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, यह देखना होगा कि प्रशासन कितनी जल्दी और कितनी प्रभावी कार्रवाई करता है।
क्या पीड़ित किसान को न्याय मिलेगा या फिर यह मामला भी प्रशासनिक फाइलों में दबकर रह जाएगा? क्या अवैध कब्जाधारियों पर कोई सख्त कार्रवाई होगी या फिर वे फिर से किसी और गरीब किसान की जमीन हड़पने की साजिश करेंगे?

 
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