कुसमुंडा में तहसीलदारों से मारपीट का मामला — पकड़े गए आरोपी निकले डीजल चोरी गिरोह के, तहसीलदारों पर भी उठे सवाल आखिर आधी रात को कौन सा ‘इलाज’ कराने गए थे अधिकारी ?

कोरबा।
कुसमुंडा थाना क्षेत्र की श्रमिक बस्ती में नायब तहसीलदारों के साथ हुई मारपीट का मामला अब नए मोड़ पर पहुँच गया है। पुलिस ने घटना में शामिल चार आरोपियों — पुनेश, संदीप शर्मा उर्फ बब्बन, डिंपल और हितेश सारथी — को गिरफ्तार किया है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि इनका संबंध इलाके के कुख्यात डीजल चोरी गिरोह से है, जो लंबे समय से क्षेत्र में सक्रिय रहा है।
जानकारी के अनुसार, आरोपी हितेश सारथी आदतन अपराधी है। वहीं पुनेश और बब्बन का संबंध अभिषेक शर्मा नामक व्यक्ति से है, जो पहले डीजल चोरी के धंधे में लिप्त रह चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह गैंग आए दिन आम लोगों के साथ मारपीट और दबंगई की घटनाओं को अंजाम देता रहा, लेकिन थाने में इनकी पहुँच इतनी मजबूत थी कि कभी कार्रवाई नहीं हुई।
मगर इस बार मामला उल्टा पड़ गया — जब शासकीय अधिकारी खुद इनकी हिंसा का शिकार बने, तो पुलिस ने आनन-फानन में हत्या का प्रयास, डकैती और बलवा जैसी गंभीर धाराएँ लगा दीं। पुलिस ने देर रात तक इनसे पूछताछ जारी रखी। सुबह चर्चा थी कि आरोपियों का जुलूस निकाला जाएगा, लेकिन देर शाम तक केवल पहचान परेड की कार्रवाई ही की गई।
दूसरी ओर अब तहसीलदारों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक, दीपका तहसीलदार अमित केरकेट्टा और हरदीबाजार तहसीलदार अभिजीत राजभानु अपने सहयोगी पटवारी त्रिलोक सोनवानी के कहने पर “हाथ-पैर का दर्द दूर कराने” के बहाने कुसमुंडा आदर्श नगर कॉलोनी के पास स्थित एक पार्लर में पहुँचे थे। बताया जा रहा है कि वहां उनके ड्राइवर और स्थानीय युवकों के बीच पहले विवाद हुआ, जिसके बाद स्थिति बिगड़ गई।
बीच-बचाव करने पहुँचे दोनों तहसीलदारों से युवकों ने मारपीट कर दी। पुलिस ने इस घटना में बीएनएस की धारा 310(2) (डकैती), 109 (हत्या का प्रयास) और 191(1) (बलवा) के तहत अपराध दर्ज किया है।
सबसे बड़ा सवाल अब यह उठ रहा है कि आखिर आधी रात को सरकारी अधिकारी किस “इलाज” के लिए बस्ती इलाके के पार्लर में पहुँचे थे, वह भी दो-दो ब्लैक स्कॉर्पियो गाड़ियों में। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि ये गाड़ियाँ न तो विभागीय थीं, न ही तहसीलदारों की निजी संपत्ति — बल्कि कहा जा रहा है कि वे एसईसीएल के कृपा पात्रों से जुड़ी थीं।
इस बीच, पुलिस ने एफआईआर को ‘सेंसिटिव’ बताते हुए विवरण सार्वजनिक नहीं किया है। यह स्पष्ट नहीं है कि पुलिस बदमाशों की पहचान छिपा रही है, तहसीलदारों की, या पूरे घटनाक्रम की। पर जनता के मन में यह सवाल ज़रूर उठ रहा है —
“क्या अब सरकारी कामकाज के नाम पर रात के अंधेरे में भी निजी सौदेबाज़ी और अनैतिक रिश्तों का खेल चल रहा है ?”
फिलहाल, कुसमुंडा पुलिस दोनों पक्षों से पूछताछ कर रही है। सूत्रों के अनुसार, यह मामला जल्द ही राजनीतिक रंग भी ले सकता है क्योंकि आरोपियों में से कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोगों से जुड़े बताए जा रहे हैं।

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