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चिटफंड कंपनियों ने 50 हजार करोड़ रुपए की ठगी की, 20 लाख लोग प्रभावित

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रायपुर । छत्तीसगढ़ की भोली-भाली जनता को आकर्षक लाभ का झांसा देकर सवा सौ से अधिक चिटफंड कंपनियों ने 50 हजार करोड़ रुपए की ठगी की है। कई कंपनियां तो ऐसी हैं, जो 10-12 साल से निवेश कराने में लगी हुई थीं। करीब 20.55 लाख लोग अब अपनी जमापूंजी वापसी के लिए परेशान हैं।
पुलिस ने कुछ कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई तो शुरू की, लेकिन लोगों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 से चिटफंड कंपनियां सबसे अधिक सक्रिय हुईं। एक सरकारी संस्था के सर्वेक्षण के अनुसार देश भर में जितनी भी चिटफंड कंपनियां हैं, उनका बेसिक एक समान ही होता है कि रकम को कम समय में दोगुना या तिगुना करने का प्लान।
इस पूरी कार्ययोजना को पहले से ही तैयार कर लिया जाता है और बहुत ही बारीकी से पूरी योजना को अंजाम दिया जाता है। प्लान को मूर्त रूप देने के लिए चिटफंड कंपनियों के संचालक सबसे पहले किसी लोकल व्यक्ति यानी एजेंट का चयन करते हैं, जो काफी समय से बेरोजगार हो, मगर उसकी छवि क्षेत्र में अच्छी हो क्योंकि अमूमन 85 फीसदी भारतीय अपने क्षेत्र के निवासियों के चलते ही चिटफंड कंपनियों में पहली बार रकम निवेश करते हैं।
कुछ स्थानों पर परिवार के किसी अपने के चलते रकम निवेश करते हैं। योजना के अनुरूप ही, कंपनी का कार्यालय बेहद सुसज्जित व आलीशान खोलते हैं और प्रारंभ में चिटफंड कंपनियों के कर्मचारियों की जीवनशैली को उच्च स्तरीय बनाते हैं ताकि इनकी शानो-शौकत व जीवन यापन के उच्च स्तर का देखकर अधिक से अधिक लोग प्रभावित हों।
चिटफंड कंपनियों के ठगी के अधिकांश मामलों में पुलिस ने कंपनी से जुड़े एजेंटों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया है। कांग्रेस सरकार ने घोषणापत्र में चिटफंड पीड़ितों को न्याय दिलाने का वादा करने के साथ ही ऐसे एजेंटों पर दर्ज मामले वापस लेने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस निर्देश के बाद एजेंटों की सूची तैयार करने के साथ चिटफंड के पुराने सभी रिकॉर्ड पुलिस अपडेट करने में जुटी है।
देश के न्यायालयीन इतिहास में यह पहला मामला होगा जब पिछले साल 13 नवंबर को 110 चिटफंड कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर 20 हजार एजेंटों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में सामूहिक हलफनामा दायर किया।
पूर्व में इस मामले को लेकर 500 एजेंटों ने याचिका दाखिल की थी। इस क्रम में छत्तीसगढ़ के अलावा मप्र, ओडिशा, आंध्र, केरल व महाराष्ट्र से यहां एकत्र हुए पांच हजार एजेंटों हाईकोर्ट से विशेष अनुमति लेकर हलफनामा जमा कराया।

 
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