बिलासपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज बिलासपुर में सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बिलासपुर की धरती में मुझे संगठन का कार्य करने का सौभाग्य मिला। बहुत कुछ सीखने को मिला। अभिभाजित म.प्र. के समय अभाव के बावजूद कार्यकर्ताओं के स्वभाव में कोई कमी या निराशा नहीं दिखती थी। इसीलिए छत्तीसगढ़ में भाजपा को बार-बार जनता का आशीर्वाद और सेवा का सौभाग्य मिला। इसके पीछे हमारे वे ही कार्यकर्ता हैं जो जनता-जनार्दन और सरकार के बीच समस्याओं के समाधान के लिए मजबूत कड़ी के तौर पर प्रयास करते हैं। धान का कटोरा कहकर मोदी ने यहां के दुबराज चावल की महक को महसूस कराया और कहा कि काले सोने की यह धरती अपनी ऊर्जा और रोशनी से पूरे हिन्दुस्थान को प्रकाशित कर रही है। यहां की संत-परम्परा का स्मरण कर प्रधानमंत्री ने सतनाम परम्परा और संतों की भूमि भी छत्तीसगढ़ को बताया।
अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने बिलासपुर के सभा में नोटबंदी पर मंच से पहली बार विपक्ष को करारा जवाब भी दिया। उन्होंने कहा कि एक परिवार की तीसरी पीढ़ी के प्रधानमंत्री ने कहा था कि दिल्ली से निकला एक रुपया लोगों तक पहुंचते-पहुंचते 15 पैसे रह जाता है। उन्होंने पूछा, यह कौन-सा पंजा था जो एक रुपए को 15 पैसे में बदल देता था? वह कैसा पंजा था जो रुपए को घिस-घिसकर 15 पैसे बना देता था? भाजपा की केन्द्र सरकार ने उन्हीं 85 पैसों को नोटबंदी के जरिए बाहर निकाला और मां-बेटे को जमानत लेनी पड़ी। आज वे लोग हमें ईमानदारी का सर्टीफिकेट दे रहे हैं! बिस्तरों-तकियों में छिपे ये 85 पैसे ही हमने नोटबंदी करके निकाले।

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