छत्तीसगढ़

CG Election : रमन सिंह लगाएंगे जीत का चौका? क्या कहते हैं यहां के समीकरण, देखिएं ये रिपोर्ट

राजनांदगांव – छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव सीट को हाई प्रोफाइल माना जा रहा है। 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने अपने निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की करुणा शुक्ला को 16933 मतों से हराया था।

रमन सिंह को जहां 80589 (51.69%) इतने वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस की करुणा शुक्ला को 63656 (40.83%) वोटों पर ही संतोष करना पड़ा था, जबकि तीसरे नंबर पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) (JCCJ) के प्रत्याशी दीपक यादव को 1858 (1.19%) मतों पर ही संतोष करना पड़ा था।

राजनांदगांव विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में आती है। इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा के संतोष पांडेय सांसद हैं। उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस के भोलाराम साहू को 111966 मतों से हराया था। इस बार राजनांदगांव विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। राजनांदगांव विधानसभा सीट अनारक्षित है। साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 197661 मतदाता थे।

साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार डॉ. रमन सिंह ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 86797 मतदाताओं का समर्थन मिला था। विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अलका उदय मुदलियार को 50931 वोट मिले थे। वह 35866 वोटों के अंतर से दूसरे स्थान पर रही थीं

इसी तरह 2008 के विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार डॉ. रमन सिंह को कुल 77230 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस कांग्रेस प्रत्याशी उदय मुदलियार 44841 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। इस तरह से रमन सिंह ने 32389 वोटों से जीत हासिल की थी।

2018 के विधानसभा चुनाव में 68 सीटें जीतकर कांग्रेस छत्तीसगढ़ में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। साथ ही भूपेश बघेल राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। इन्हीं नतीजों के साथ भाजपा के रमन सिंह की 15 साल तक चली सरकार का कार्यकाल खत्म हो गया था, क्योंकि इस चुनाव में भाजपा को 15 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था।

2018 में सत्ता कैसे बदली?

2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता कैसे बदली इसे समझने के लिए हमें साल 2013 के चुनाव नतीजों पर भी नजर डालनी पड़ेगी। उस वक्त भाजपा को 49 सीटें मिली थीं और कांग्रेस को 41सीटों पर संतोष करना पड़ा था, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर का अंतर एक फीसदी से भी कम रहा था। अब भूपेश बघेल सरकार के पास राज्य में पहली बार बनी कांग्रेस सरकार को रिपीट करने की चुनौती है, जबकि भाजपा एंटी-इनकम्बेंसी के सहारे फिर सत्ता पाने की गुणा-गणित में लगी है।

 

राजनांदगांव विधानसभा सीट का इतिहास

राजनांदगांव विधानसभा सीट से सबसे पहले 1967 में कांग्रेस से किशोरीलाल शुक्ला विधायक चुने गए। अगले विधानसभा चुनाव 1972 में किशोरीलाल ने इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखा, लेकिन आपातकाल से उपजे सत्ता विरोधी लहर में कांग्रेस का यह किला ढह गया। विधानसभा चुनाव 1977 में जनता दल के ठाकुर दरबार सिंह ने किशोरीलाल शुक्ला को हराकर राजनांदगांव विधानसभा सीट पर अपना कब्जा कायम किया।

1980 में हुए विधानसभा चुनाव में फिर किशोरीलाल शुक्ला निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए यहां से विधायक चुने गए। इसके बाद साल 1985 में कांग्रेस से बलबीर खानुजा और 1990 में भाजपा के लीलाराम भोजवानी विधायक चुने गए।1990 में भाजपा ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की।

1993 से 2008 तक कांग्रेस और भाजपा में कड़ी टक्कर

साल 1993 के विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव से कांग्रेस के युवा नेता उदय मुदलियार विधायक चुने गए। साल 1993 से 1998 तक वह इस सीट से विधायक रहे। 1998 के विधानसभा चुनाव में यहां एक बार फिर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी।

भाजपा के लीलाराम भोजवानी ने उदय मुदलियार को पटखनी देकर इस सीट पर कब्जा किया और वह 2003 तक विधायक रहे, लेकिन नए राज्य बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव 2003 में हुए। इस बार कांग्रेस के उदय मुदलियार ने फिर कमबैक किया। 2003 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर मुदलियार 2008 तक विधायक बने रहे।

2008 से राजनांदगांव भाजपा का अभेद किला

साल 2008 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ के पहले निर्वाचित मुख्यमंत्री रहे डॉ रमन सिंह राजनांदगांव से विधायक चुने गए। इसके बाद से लेकर तीन कार्यकाल 2008, 2013 और 2018 में यहां से भाजपा का एकतरफा कब्जा रहा है। 2013 के विधानसभा चुनाव में डॉ रमन सिंह ने कांग्रेस के उम्मीदवार और उदय मुदलियार की पत्नी अलका उदय मुदलियार को 35 हजार 866 वोटों से करारी शिकस्त दी। हालांकि 2018 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली करुणा शुक्ला ने डॉ रमन को कड़ी टक्कर दी, लेकिन भाजपा के इस किले को वह भी भेद नहीं सकीं। 2018 विधानसभा चुनाव में 16,933 वोटों के अंतर से करुणा शुक्ला को हराकर डॉ रमन सिंह विधायक चुने गए।

राजनांदगांव का जातीय समीकरण?

राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक आबादी पिछड़ा वर्ग की है। जिसमें साहू, लोधी, यादव और अन्य शामिल हैं। इसके साथ ही सामान्य वर्ग की भी आबादी अच्छी खासी है। इस कारण राजनीतिक पार्टियों द्वारा ओबीसी फैक्टर को लेकर चुनाव लड़ा जाता है।

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