छत्तीसगढ़

शासकीय भूमि पर रसूखदार द्वारा किये जा रहे कब्जे की CM से जायसवाल समाज ने की थी शिकायत.. CM के निर्देश के बाद कार्यवाही का समाज कर रहा इंतजार.

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कोरबा/कटघोरा 16नवम्बर 2024 : एक ओर जब कलेक्टर अजीत बसंत सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण, बेजा निर्माण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाते हुए सख्त निर्देश जारी किए हैं तो वहीं दूसरी तरफ कटघोरा में राजस्व विभाग की नाक के नीचे और एसडीएम व तहसीलदार की जानकारी में होने के बावजूद कटघोरा के जायसवाल समाज की प्रतावित सरकारी जमीन पर कब्जा कर निर्माण किया जा रहा है। जिसकी शिकायत जायसवाल समाज ने मुख्यमंत्री के कटघोरा आगमन पर की थी। जिसपर मुख्यमंत्री ने तहसीलदार को उक्त मामले पर संज्ञान लेते हुए तत्काल कार्यवाही के लिए निर्देशित किया था।

 

बतादें की यह जमीन शासन की योजना के अनुसार कटघोरा के जायसवाल समाज के लिए प्रतावित है जिस पर शासन की मंशा या समाज/जनता की मांग अनुरूप निर्माण कार्य हो सके लेकिन इस जमीन के पीछे मौजूद अपने निजी जमीन को छोड़कर मुख्य मार्ग की इस सरकारी जमीन पर दृष्टि डाले हुए कटघोरा के रसूखदार सेठ जी प्रशांत अग्रवाल अपनी मनमानी चला रहे हैं। वे राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं और कहीं न कहीं इस रसूख के बूते कटघोरा के राजस्व अधिकारियों को प्रभाव में लेकर बेजा निर्माण कर रहे हैं। इसके प्रति स्थानीय लोगों व जायसवाल समाज के लोगों में नाराजगी व्याप्त है। कलेक्टर के निर्देश का पालन राजस्व अधिकारी करते तो इस तरह से आरक्षित छोड़ी गई जमीन पर बेजा कब्जा करने की हिमाकत नहीं होती। उक्त मामले में स्थगन आदेश भी हुआ है लेकिन उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है।

सूत्रों से मिली जानकारी से जो बात सामने आई है कि जायसवाल समाज के कुछ लोगों द्वारा जब रसूखदार द्वारा शासकीय भूमि पर कब्जा किया जा रहा था तो इसकी शिकायत एसडीएम व तहसीलदार से की गई थी। जिसपर कोई कार्यवाही तो नही की गई, लेकिन कुछ दिनों बाद शासकीय भूमि पर कब्जा कर रहे रसूखदार ने जायसवाल  समाज के कुछ पदाधिकारियों से सांठगांठ कर मामले पर समाज की सहमति होना प्रशासनिक अधिकारियों के सामने प्रस्तुत की। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह सामने आया जब इस मामले पर जायसवाल समाज के कोरबा जिला अध्यक्ष से इस मामले में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने इस मामले में कोई जानकारी का न होना बताया।  उन्होंने कहा की इस मामले में कटघोरा के सामाजिक पदाधिकारी ही बता पाएंगे।

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि जायसवाल समाज की प्रस्तावित शासकीय भूमि सड़क से लगी है और रसूखदार प्रशांत अग्रवाल की भूमि शासकीय भूमि के पीछे है। लेकिन सवाल यह है कि जब यह कब्जा किया जा रहा था तो समाज के पदाधिकारियों ने इस पर ध्यान क्यों नही दिया। लेकिन इस पर सामाजिक कुछ व्यक्तियों ने इसकी शिकायत राजस्व विभाग से तो की लेकिन पदाधिकारियों द्वारा इस ओर कोई ध्यान नही दिया गया। कटघोरा नंगर में 8 नवम्बर को जायसवाल समाज द्वारा सहस्त्रबाहु जयंती का प्रांतीय सममेलन आयेजित किया गया था जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मुख्य अतिथि बतौर उपस्थित हुए थे। जायसवाल सामाज के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारियों ने समाज की शासकीय भूमि पर हो रहे कब्जे की शिकायत मुख्यमंत्री से की थी। जिसपर मुख्यमंत्री ने तहसीलदार को इस मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए थे।

*समाज को CM के निर्देश के बाद कार्यवाही का इंतजार*

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से जायसवाल सामज द्वारा समाज की प्रस्तावित शासकीय भूमि पर हो रहे कब्जे की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री ने तहसीलदार को तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए थे। लेकिन जायसवाल समाज को अब राजस्व विभाग द्वारा समाज की प्रस्तावित शासकीय भूमि पर किये जा रहे कब्जे पर कार्यवाही का इंतजार है। समाज के लोगों का कहना कि मुख्यमंत्री के आदेश का पालन राजस्व विभाग कब तक करता है और समाज की भूमि पर हो रहे कब्जे को कब तक मुक्त कराता है।

 
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