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देखिए कलेक्टर साहब ! सीएमएचओ कर रहे मनमानी, नोडल ऑफिसर को मालूम ही नहीं खुल गया बालाजी डाइग्नोस्टिक सेंटर का सीलबंद ताला

डॉक्टर एस एन केशरी, सीएमएचओ कोरबा

कोरबा : सीएमएचओ डॉक्टर एस एन केशरी के कोरबा में पदस्थापना के बाद से ही स्वास्थ्य विभाग विवादों में घिरा हुआ है। श्री हरि क्लिनिक एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के अवैध कृत्यों पर लगाम लगाने में नाकाम स्वास्थ्य विभाग प्रमाणित जांच कार्रवाई के बाद मामले की लीपापोती में लगा हुआ है। मामला कटघोरा स्थित बालाजी डायग्नोस्टिक सेंटर से जुड़ा हुआ है। यहां पिछले दिनों नर्सिंग होम एक्ट का पालन नहीं किये जाने के बाद नोडल अधिकारी ने टीम के साथ पहुंच सीलबंद कार्रवाई की थी बताया गया कि जिस बिलासपुर के पैथोलोजिस्ट के नाम पर यहां जांच रिपोर्ट दी जा रही थी वो कभी यहां आते ही नहीं है ठीक कोरबा के सरकारी डॉक्टर विशाल राजपूत की पत्नी ममता राजपूत द्वारा संचालित श्री हरि क्लिनिक एवं डायग्नोस्टिक सेंटर निहारिका के जैसे ही जैसे वहां कभी डॉक्टर मृत्यंजय शराफ के कदम नहीं पड़े यहां भी पैथलॉजिस्ट गायब रहते थे शिकायत की जांच में पहुंची टीम ने पहले तो बालाजी पैथो लैब को बंद करने कहा और पैथोलोजिस्ट की मौजूदगी में ही पैथोलैब कि रिपोर्ट जारी करने की हिदायत दी, बावजूद इसके खेल वैसा ही यहां जारी रहा जब दुबारा जांच हुई तो फिर वहीं ढाक के तीन पात यहां लैब तकनीशियन को छोड़ कोई डॉक्टर नहीं मिला लिहाजा बालाजी पैथोलैब को नर्सिंग होम एक्ट के नोडल ऑफिसर ने सील कर दिया इसकी बकायदा तस्वीर भी खींचकर वाइरल कराई गई पीठ थपथपाया गया। लेकिन अब इस लैब को गुपचुप तरिके से वापस से खोल दिया गया है।

सीएमएचओ पर पैसे लेने का आरोप

श्री हरि क्लिनिक एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के जैसे ही बालाजी डायग्नोस्टिक सेंटर में भी मामले को दबाने के लिए सीएमएचओ का नाम उछल रहा है। पुख्ता सूत्रों की माने तो सीलबंद लैब को खोलने सीएमएचओ ने 2 लाख रुपयों की मांग की थी। अब जब गुपचुप तरीके से सीलबंद बालाजी लैब खुल गया है तो आरोप सच होते नज़र आ रहे है।

 

बाल रोग विशेषज्ञ की देखरेख में पैथोलैब के संचालन का दावा

हमारे पास मौजूद दस्तावेज बताते है कि बालाजी डायग्नोस्टिक सेंटर कटघोरा का संचालन बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लीलाधार सिंह की देखरेख में होना बताया गया है। शपथ के मुताबिक डॉक्टर दिन में केवल एक घंटे यहां अपनी सेवाएं दे पाएंगे है। प्रोपराइटर धर्मेंद्र कुमार धीवर ने जानकारी दी है कि वो नियमित सेवाएं दे रहे है। नर्सिंग होम के नियमों के मुताबिक किसी भी एमबीबीएस डॉक्टर की देखरेख में मिनी पैथोलैब की मंजूरी दी जा सकती है। जहां छोटे मोटे टेस्ट ही होंगे लेकिन यहां धड़ल्ले से वो तमाम टेस्ट किये जा रहे है जो कि केवल बड़े पैथोलैब याने डायग्नोस्टिक सेंटर में ही हो सकते है।

पंजीयन करते समय ही करते है गड़बड़ी की गुंजाइश

स्वास्थ्य अमला पंजीयन करते समय नाम को बिल्कुल नहीं देखता है, न ही वो यह देखने की जहमत उठाता है कि जिस पैथोलोजिस्ट का नाम संचालन में दिया जा रहा क्या उस चिकित्सक का किन्ही और पैथोलैब में पूर्व पंजीयन है। यदि है तो चिकित्सक से शपथ पत्र लेकर समय का निर्धारण कराना आवश्यक है और उस समयावधि में पैथोलोजिस्ट अपनी सेवाएं दे रहा है या नहीं इसके देखरेख की जिम्मेदारी सीएमएचओ की देखरेख में स्वास्थ्य महकमे की है बावजूद इसके आरोपों पर यकीन करें तो सीएमएचओ डॉक्टर केशरी द्वारा यहां केवल पैसे का लेनदेन ही समय से किया जाता रहता है, बाकी औपचारिकताएं पूरी कराने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं रहती है। श्री हरि क्लिनिक एवं डायग्नोस्टिक सेंटर में जिस चिकित्सक का पंजीयन किया गया था वो कोरबा में ही 5 स्थानों पर अपने नाम से रिपोर्ट जारी कर रहे थे बकायदा उनके नाम से पंजीयन विभाग ने किया हुआ था तो क्या ये सिर्फ महज संयोग था कि चिकित्सक के नाम का सहारा लेकर अवैध क्लिनिक संचालन का धंधा करने पूरी छूट दी जा रही थी अब केवल नौकरी छोड़ देने भर से श्री हरि डायग्नोस्टिक सेंटर पर कोई कार्रवाई नहीं कि जा रही यहां पंजीयन भी श्री हरि क्लिनिक एवं डायग्नोस्टिक सेंटर के नाम से सिर्फ पैथोलैब का किया गया है लेकिन संस्था का नाम जान ऐसा लगेगा कि क्लिनिक का भी पंजीयन हो गया है बाकयदा सरकारी डॉक्टर विशाल राजपूत यहां अपने नाम की तख्ती निगम की सरकारी ज़मीन पर अवैध लगा अपनी दुकानदारी चमका रहे है। लेकिन टीम यहां कार्रवाई करने के लिए सीएमएचओ के आदेश का इंतजार में बैठी है। वैसे ही बालाजी डायग्नोस्टिक सेंटर का सील होने के तुरंत बाद खुलना सीधे भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।

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