छत्तीसगढ़

श्रमिक परिवार की 5981 बेटियों के खाते में आये 11 करोड़ 96 लाख

215 लाख की लागत से हिरोली से मुतवेंडी तक बनना था 10 किलोमीटर सड़क

बीजापुर । जिस सड़क के निर्माण के दौरान जवानों ने अपनी कुर्बानी दी, वही सड़क ठेकेदार-इंजीनियर की मिलीभगत के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। गुणवत्ताहीन कार्य के चलते डेढ़ किलोमीटर की डामरीकरण सड़क पहली बारिश में ही दो हिस्सों में बंट गई। यह सड़क विशेष केंद्रीय सहायता योजना (SCA) के तहत बनाई गई थी।

आपको बता दें कि केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार अंदुरुनी क्षेत्रों के विकास हेतु विशेष केंद्रीय सहायता योजना (SCA) नियाद नेल्लोनार योजना के तहत सड़क, पुल, पुलियों का निर्माण कर गांवों को मुख्य धारा से जोड़ने का हर संभव प्रयास कर रही है। इस में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार काफी हद तक सफल भी हो रही है। जिससे अंदरूनी क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके। इसके के लिए सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दिन-रात सुरक्षा के साये में ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछा रही है। इन अंदरूनी सड़को को बनाने में कई जवानों की शहादत भी हुई है। जिससे सरकार और प्रशासन में बैठे लोग भी इस बात से वाकिफ हैं।

भ्रष्टाचार और लापरवाही
जिले के गंगालूर थाना क्षेत्र के विशेष केंद्रीय सहायता योजना (SCA) के तहत हिरोली से मुतवेंडी तक 215 लाख की लागत से 10 किलोमीटर सड़क की स्वीकृति हुई है। सड़क निर्माण के लिए जिला निर्माण समिति को कार्य एजेंसी बनाया गया है। जिला निर्माण समिति के तहत उक्त सड़क बीजापुर की शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन को निर्माण का ठेका दिया गया है और इसकी देख रेख के लिए लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर गौरव शर्मा को निगुक्त किया है।

हिरोली से मुतवेंडी तक स्वीकृत 10 किलोमीटर सड़क का निर्माण का काम दो माह पहले इंजीनियर गौरव शर्मा के देखरेख में शुरू हुआ था और अब तक कुल 49.99  रुपयों की लागत 1.53 कि.मी.सड़क का निर्माण हुआ है।बरसात के मौसम के काम होने की वजह से पहली बारिश ने सड़क की गुणवत्ता की पोल खोल दी। डामरीकृत सड़क बीच से दो भागों में बट गई। सड़क का डामर उखाड़ने लगा है। लेकिन इन सड़कों का हाल देकर ऐसा लगता कि ठेकेदार और इंजीनियर ने इन्हें बनवाने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई। यह डेढ़ किलोमीटर की सड़क बनाने की लागत राशि लगभग 50 लाख रुपये है। इंजीनियर अगर इन 50 लाख रुपयों से बन रही सड़क पर 55 मिनट समय भी उस जगह पर जाकर दिया होता तो शायद इस सड़क बनवाने में शहीद जवानों की आत्मा को शांति मिलती। लेकिन इंजीनियर ने अपनी कमीशन के चलते घर बैठे इस डेढ़ किलोमीटर की सड़क का मूल्यांकन कर पूरी राशि का आहरण करने ठेकेदार की मदद की और इस डेढ़ किलोमीटर की सड़क में गुणवत्ताहीन कार्य करा कर इस सड़क पर एक भृष्टाचार की लकीर लिख दी।

सड़क पर बनी पाईप पुलिया भी बह गई
हिरोली से मुतवेंडी तक निर्माणाधीन सड़क पर कई पुलिया के निर्माण भी होना है।सूत्रों की माने तो इसी सड़क पर एक पुल का निर्माण होना था लेकिन ठेकेदार और इंजीनियर ने महज पाईप बिछा कर पुलिया बना दिया।अब यह पाईप पुलिया पहली बारिश में ही बह गई। पुलिया के बह जाने से अब ग्रामीणों को आने जाने में दिक्कत होने लगी है।

क्या कहते है जिम्मेदार
हिरोली से मुतवेंडी सड़क पर 1.5 किलोमीटर गुणवत्ताहीन सड़क निर्माण के संबंध में जिला निर्माण समिति के नोडल  उत्तम सिंह पंचारी से जानकारी चाही गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना करते हुए कलेक्टर से जानकारी लेने की बात कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया।वंही सड़क की देख रेख करने वाले इंजीनियर गौरव शर्मा से जानकारी के लिए फ़ोन करने पर साहब ने फ़ोन उठाना भी मुनासिब नही समझा।

इस घटना से स्पष्ट होता है कि सड़क निर्माण में भ्रष्टाचार और लापरवाही हुई है। ठेकेदार और इंजीनियर की मिलीभगत से गुणवत्ताहीन कार्य हुआ, जिससे शहीद जवानों की आत्मा को भी ठेस पहुंची है। सरकार को इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

 

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