छत्तीसगढ़

बड़ा मंदिर में प्राचीन स्फटिकमणी प्रतिमाओं का अभिषेक और विशेष शांति धारा

रायपुर । राजधानी के मालवीय रोड स्थित आदिनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर के जिनालय में पार्श्वनाथ बेदी के समक्ष आध्यात्मिक प्रयोगशाला के माध्यम से 7 जुलाई, तिथि : आषाढ़ शुक्ल  शुक्ल तृतीया,निर्माण संवत २५५० दिन : रविवार को प्राचीन आरंग के चमत्कारिक स्फटिकमणी की प्रतिमाओं का अभिषेक किया गया। बड़ा मंदिर ट्रस्ट कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष श्रेयश जैन बालू ने बताया कि दिगंबर जैनीयों के 1400 वर्ष के प्राचीन स्थान आरंग खंडहरों से जो रायपुर से 22 मील दूर है अष्टधातु के सिंहासनों सहित निकली हुई ये स्फटिकमणी की भव्य प्रतिमाओं को असाद सुदी २ संबत १९५४ को गंगाधर गंधर्व से प्राप्त कर रायपुर दिगम्बर जैन समाज ने विराजमान किया था। इन चमत्कारिक प्रतिमाओं के दर्शन एवं अभिषेक पूजन से विशेष फल प्राप्त होते है। साथ ही गृहस्थ को आत्मकल्याण के लिये पंच-परमेष्ठी भगवान का अभिषेक शांति धारा स्तुति एवं पूजन प्रतिदिन करना चाहिए।

आज प्रात 8.30 बजे पार्श्वनाथ बेदी में प्राचीन प्रतिमा 23 वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ भगवान को पांडुक्षीला में विराजमान कर प्रासुक जल से अभिषेक उपरांत शांति धारा की गई। अष्ट द्रव्यों से पूजन कर अर्घ्य समर्पित किए गए। आज की रिद्धि सिद्धि सुख शांति प्रदाता शांतिधारा करने का सौभाग्य अमरचंद जैन को प्राप्त हुआ। आज की शांति धारा का शुद्ध उच्चारण कोषाध्यक्ष दिलीप जैन द्वारा किया गया। तत्पश्चात सभी ने भगवान की आरती की और अष्ठ द्रव्यों से निर्मित अरिच्छेद पार्श्वनाथ भगवान का पूजन कर अर्घ्य समर्पित किए। अंत में महाअर्घ्य चढ़ा कर विसर्जन पाठ पढ़ कर विसर्जन किया गया। आज के कार्यक्रम में विशेष रूप से श्रेयश जैन बालू,अमरचंद जैन, दिलीप जैन ,सुरेश मोदी, कुमुद जैन, प्रणीत जैन, राशु जैन, धीरज गोधा, श्रद्धेय जैन, राज जैन, प्रत्युष जैन, अक्षत जैन विशेष रूप से उपस्थित थे।


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