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ब्रेकिंग न्यूज़ : EOW के SP बोले चिप्स घोटाले में बड़े नाम दायरे में, जल्द किये जायेंगे घोटाले में तलब

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रायपुर,2 फ़रवरी 2018। चिप्स में चल रही EOW की जाँच अपनी गति से आगे बढ रही है। काग़ज़ी अभिलेखों से थोड़ा हटकर मामला डिजिटल अभिलेखों का है। दिलचस्प यह भी है कि तकनीक के हाईटेक होने के बावजूद अगर्चे कोई अपराध घटित हुआ है तो उसके निशान डिजिटल होने के बावजूद नुमाया है और जो नही है उसे तलाश करने का काम जारी है।
महालेखाकार ने अपनी रिपोर्ट में यह तथ्य दिया कि 17 विभागों मे 1921 जो टेंडर हुए उनमें गड़बड़ी हुई यह आँकड़ा महालेखा कार्यालय ने 4601 करोड़ का बताया है। विधानसभा के दौरान यह रिपोर्ट सामने आई, और अब तक के दिखते इतिहास से दूर भूपेश सरकार ने इस गड़बड़ी की जाँच के लिए जाँच EOW को सौंप दी।EOW के आईजी एसआरपी कल्लुरी के निर्देशन मे पुलिस अधिक्षक इंदिरा कल्याण एलिसेला इस जाँच के प्रमुख हैं।
जाँच जिस दिशा में चल रही है वो यह संकेत देती है कि जो कथित गड़बड़ी हुई है उसके अनुसार बडी रक़म जिनमें राशि चालीस करोड़ या कि उससे भी उपर है, जिसमें PWD शामिल है, उसके टेंडर एक ही मैक आईडी से भरे गए। याने कि,जिस कम्प्यूटर पर टेंडर की जानकारी दी गई थी उसी कम्प्यूटर से निविदा भर दी गई।जाँच दल यह संभावना या कि आशंका को जाँच के दायरे में रख रहा है कि, इतने बडे स्तर पर हुई यह गड़बड़ी चिप्स के सम्मिलन के बगैर कैसे कर संभव है।
EOW एसपी इंदिरा कल्याण एलिसेला और उनकी टीम इन्हीं डिजिटल अभिलेखों का अध्ययन कर रही है और उसे वरियता के आधार पर जाँच में लेते जा रही है।
वह मॉड्यूल जिस पर टेंडर होते थे उसका नाम है ई प्रोक्यूरमेंट। जाँच दल की नज़रें इस पर ही टिक गई हैं।
टेंडर घोटाले की जाँच कर रही EOW के मुखिया इंदिरा कल्याण ऐलीसेला ने जाँच को लेकर स्वाभाविक रुप से जानकारी नही दी पर उन्होने NPG से कहा
“हम इस मसले पर निचले नही उच्चतम स्तर तक जाएँगे”
उन्होने आगे जोड़ा –
“इस टेंडर घोटाले की जाँच की जद में तत्कालीन पीएस, सेक्रेट्री और सीईओ भी आएँगे”

 
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